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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 101

दाऊद का एक गीत।

मैं प्रेम और खरेपन के गीत गाऊँगा।
    यहोवा मैं तेरे लिये गाऊँगा।
मैं पूरी सावधानी से शुद्ध जीवन जीऊँगा।
    मैं अपने घर में शुद्ध जीवन जीऊँगा।
    हे यहोवा तू मेरे पास कब आयेगा
मैं कोई भी प्रतिमा सामने नहीं रखूँगा।
    जो लोग इस प्रकार तेरे विमुख होते हैं, मुझो उनसे घृणा है।
    मैं कभी भी ऐसा नहीं करूँगा।
मैं सच्चा रहूँगा।
    मैं बुरे काम नहीं करूँगा।
यदि कोई व्यक्ति छिपे छिपे अपने पड़ोसी के लिये दुर्वचन कहे,
    मैं उस व्यक्ति को ऐसा करने से रोकूँगा।
मैं लोगों को अभिमानी बनने नहीं दूँगा
    और मैं उन्हें सोचने नहीं दूँगा, कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।

मैं सारे ही देश में उन लोगों पर दृष्टि रखूँगा।
    जिन पर भरोसा किया जा सकता और मैं केवल उन्हीं लोगों को अपने लिये काम करने दूँगा।
    बस केवल ऐसे लोग मेरे सेवक हो सकते जो शुद्ध जीवन जीते हैं।
मैं अपने घर में ऐसे लोगों को रहने नहीं दूँगा जो झूठ बोलते हैं।
    मैं झूठों को अपने पास भी फटकने नहीं दूँगा।
मैं उन दुष्टों को सदा ही नष्ट करूँगा, जो इस देश में रहते है।
    मै उन दुष्ट लोगों को विवश करूँगा, कि वे यहोवा के नगर को छोड़े।

2 राजा 17:24-41

शोमरोनी लोगों का आरम्भ

24 अश्शूर का राजा इस्राएलियों को शोमरोन से ले गया। अश्शूर का राजा बाबेल, कूता, अब्वाहमात और सपवैम से लोगों को लाया। उसने उन लोगों को शोमरोन में बसा दिया। उन लोगों ने शोमरोन पर अधिकार किया और उसके चारों ओर के नगरों में रहने लगे। 25 जब ये लोग शोमरोन में रहने लगे तो इन्होंने यहोवा का सम्मान नहीं किया। इसलिये यहोवा ने सिंहों को इन पर आक्रमण के लिये भेजा। इन सिंहों ने उनके कुछ लोगों को मार डाला। 26 कुछ लोगों ने यह बात अश्शूर के राजा से कही। “वे लोग जिन्हें आप ले गए और शोमरोन के नगरों में बसाया, उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते। इसलिये उस देवता ने उन लोगों पर आक्रमण करने के लिये सिंह भेजे। सिहों ने उन लोगों को मार डाला क्योंकि वे लोग उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते थे।”

27 इसलिए अश्शूर के राजा ने यह आदेश दियाः “तुमने कुछ याजकों को शोमरोन से लिया था। मैंने जिन याजकों को बन्दी बनाया था उनमें से एक को शोमरोन को वापस भेज दो। उस याजक को जाने और वहाँ रहने दो। तब वह याजक लोगों को उस देश के देवता के नियम सिखा सकता है।”

28 इसलिये अश्शूरियों द्वारा शोमरोन से लाये हुए याजकों में से एक बेतेल में रहने आया। उस याजक ने लोगों को सिखाया कि उन्हें यहोवा का सम्मान कैसे करना चाहिये।

29 किन्तु उन सभी राष्ट्रों ने निजी देवता बनाए और उन्हें शोमरोन के लोगों द्वारा बनाए गए उच्च स्थानों पर पूजास्थलों में रखा। उन राष्ट्रों ने यही किया, जहाँ कहीं भी वे बसे। 30 बाबेल के लोगों ने असत्य देवता सुक्कोतबनोत को बनाया। कूत के लोगों ने असत्य देवता नेर्गल को बनाया। हमात के लोगों ने असत्य देवता अशीमा को बनाया। 31 अव्वी लोगों ने असत्य देवत निभज और तर्त्ताक बनाए और सपवमी लोगों ने झूठे देवताओं अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक के सम्मान के लिये अपने बच्चों को आग में जलाया।

32 किन्तु उन लोगों ने यहोवा की भी उपासना की। उन्होंने अपने लोगों में से उच्च स्थानों के लिये याजक चुने। ये याजक उन पूजा के स्थानों पर लोगों के लिये बलि चढ़ाते थे। 33 वे यहोवा का सम्मान करते थे, किन्तु वे अपने देवताओं की भी सेवा करते थे। वे लोग अपने देवता की वैसी ही सेवा करते थे जैसी वे उन देशों में करते थे जहाँ से वे लाए गए थे।

34 आज भी वे लोग वैसे ही रहते हैं जैसे वे भूतकाल में रहते थे। वे यहोवा का सम्मान नहीं करते थे। वे इस्राएलियों के आदेशों और नियमों का पालन नहीं करते थे। वे उन नियमों या आदेशों का पालन नहीं करते थे जिन्हें यहोवा ने याकूब (इस्राएल) की सन्तानों को दिया था। 35 यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ एक वाचा की थी। यहोवा ने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। तुम्हें उनकी पूजा या सेवा नहीं करनी चाहिये या उन्हें बलि भेंट नहीं करनी चाहिये। 36 किन्तु तुम्हें यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यहोवा वही परमेश्वर है जो तुम्हें मिस्र से बाहर ले आया। यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग तुम्हें बचाने के लिये किया। तुम्हें यहोवा की ही उपासना करनी चाहिये और उसी को बलि भेंट करनी चाहिये। 37 तुम्हें उसके उन नियमों, विधियों, उपदेशों और आदेशों का पालन करना चाहिये जिन्हें उसने तुम्हारे लिये लिखा। तुम्हें इनका पालन सदैव करना चाहिये। तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। 38 तुम्हें उस वाचा को नहीं भूलना चाहिये, जो मैंने तुम्हारे साथ किया। तुम्हें अन्य देवताओं का आदर नहीं करना चाहिये। 39 नहीं! तुम्हें केवल यहोवा, अपने परमेश्वर का ही सम्मान करना चाहिये। तब वह तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से बचाएगा।”

40 किन्तु इस्राएलियों ने इसे नहीं सुना। वे वही करते रहे जो पहले करते चले आ रहे थे। 41 इसलिये अब तो वे अन्य राष्ट्र यहोवा का सम्मान करते हैं, किन्तु वे अपनी देवमूर्तियों की भी सेवा करते हैं। उनके पुत्र—पौत्र वही करते हैं, जो उनके पूर्वज करते थे। वे आज तक वही काम करते हैं।

1 तीमुथियुस 3:14-4:5

हमारे जीवन का रहस्य

14 मैं इस आशा के साथ तुम्हें ये बातें लिख रहा हूँ कि जल्दी ही तुम्हारे पास आऊँगा। 15 यदि मुझे आने में समय लग जाये तो तुम्हें पता रहे कि परमेश्वर के परिवार में, जो सजीव परमेश्वर की कलीसिया है, किसी को अपना व्यवहार कैसा रखना चाहिए। कलीसिया ही सत्य की नींव और आधार स्तम्भ है। 16 हमारे धर्म के सत्य का रहस्य निस्सन्देह महान है:

मसीह नर देह धर प्रकट हुआ,
आत्मा ने उसे नेक साधा,
स्वर्गदूतों ने उसे देखा,
वह राष्ट्रों में प्रचारित हुआ।
जग ने उस पर विश्वास किया,
और उसे महिमा में ऊपर उठाया गया।[a]

झूठे उपदेशकों से सचेत रहो

आत्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आगे चल कर कुछ लोग भटकाने वाले झूठे भविष्यवक्ताओं के उपदेशों और दुष्टात्माओं की शिक्षा पर ध्यान देने लगेंगे और विश्वास से भटक जायेंगे। उन झूठे पाखण्डी लोगों के कारण ऐसा होगा जिनका मन मानो तपते लोहे से दाग दिया गया हो। वे विवाह का निषेध करेंगे। कुछ वस्तुएँ खाने को मना करेंगे जिन्हें परमेश्वर के विश्वासियों तथा जो सत्य को पहचानते हैं, उनके लिए धन्यवाद देकर ग्रहण कर लेने को बनाया गया है। क्योंकि परमेश्वर की रची हर वस्तु उत्तम है तथा कोई भी वस्तु त्यागने योग्य नहीं है बशर्ते उसे धन्यवाद के साथ ग्रहण किया जाए। क्योंकि वह परमेश्वर के वचन और प्रार्थना से पवित्र हो जाती है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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