Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 हे यहोवा, मैं गहन कष्ट में हूँ
सो सहारा पाने को मैं तुम्हें पुकारता हूँ।
2 मेरे स्वामी, तू मेरी सुन ले।
मेरी सहायता की पुकार पर कान दे।
3 हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे
तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।
4 हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर।
फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।
5 मैं यहोवा की बाट जोह रहा हूँ कि वह मुझको सहायता दे।
मेरी आत्मा उसकी प्रतीक्षा में है।
यहोवा जो कहता है उस पर मेरा भरोसा है।
6 मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ।
मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
7 इस्राएल, यहोवा पर विश्वास कर।
केवल यहोवा के साथ सच्चा प्रेम मिलता है।
यहोवा हमारी बार—बार रक्षा किया करता है।
8 यहोवा इस्राएल को उनके सारे पापों के लिए क्षमा करेगा।
यहूदा का राजा हिजकिय्याह
29 हिजकिय्याह जब पच्चीस वर्ष का था, राजा हुआ। उसने उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में शासन किया। उसकी माँ का नाम अबिय्याह था। अबिय्याह जकर्याह की पुत्री थी। 2 हिजकिय्याह ने वही किया जो यहोवा चाहता था कि वह करे। उसने अपने पूर्वज दाऊद की तरह, जो उचित था, वही किया।
3 हिजकिय्याह ने यहोवा के मन्दिर के दरवाजों को जोड़ा और उन्हें मजबूत किया। हिजकिय्याह ने मन्दिर को फिर खोला। उसने राजा होने के बाद, वर्ष के पहले महीन में यह किया। 4-5 हिजकिय्याह ने याजकों और लेवीवंशियों को एक बैठक में एक साथ बिठाया। वह मन्दिर के पूर्व की दिशा में खुले आँगन में उनके साथ बैठक में शामिल हुआ। हिजकिय्याह ने उनसे कहा, “मेरी सुनों, लेवीवंशियों! पवित्र सेवा के लिये अपने को तैयार करो। यहोवा, परमेश्वर के मन्दिर को पवित्र सेवा के लिये तैयार करो। वह परमेश्वर है जिसकी आज्ञा का पालन तुम्हारे पूर्वजों ने किया। मन्दिर से उन चीज़ों को बाहर करो जो वहाँ के लिये नहीं हैं। वे चीज़ें मन्दिर को शुद्ध नहीं बनातीं। 6 हमारे पूर्वजों ने यहोवा को छोड़ा और यहोवा के भवन से मुख मोड़ लिया। 7 उन्होंने मन्दिर के स्वागत—कक्ष के दरवाजे को बन्द कर दिया और दीपकों को बुझा दिया। उन्होंने सुगन्धि का जलाना और इस्राएल के परमेश्वर को पवित्र स्थान में होमबलि भेंट करना बन्द कर दिया। 8 इसलिये, यहोवा यहूदा और यरूशलेम के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ। यहोवा ने उन्हें दण्ड दिया। अन्य लोग भयभीत हुए और दु:खी हुए जब उन्होंने देखा कि यहोवा ने यहूदा और यरूशलेम के लोगों के साथ क्या किया। अन्य लोगों ने यहूदा के लोगों के लिये लज्जा और घृणा से अपने सिर झुका लिये। तुम जानते हो कि यह सब सच है। तुम अपनी आँखों से इसे देख सकते हो। 9 यही कारण है कि हमारे पूर्वज युद्ध में मारे गये। हमारे पुत्र, पुत्रियाँ औऱ पत्नियाँ बन्दी बनाई गईं। 10 इसलिये मैं हिजकिय्याह ने यह निश्चय किया है कि मैं यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के साथ एक वाचा करुँ। तब वह हम लोगों पर आगे क्रोधित नहीं होगा। 11 इसलिए मेरे पुत्रो, तुम लोग सुस्त न हो या और अधिक समय नष्ट न करो। यहोवा ने तुम लोगों को अपनी सेवा के लिये चुना है। तुम्हें उसकी सेवा करनी चाहिए और उसके लिये सुगन्धि जलानी चाहिए।”
12-14 उन लेवीवंशियों की यह सूची है जो वहाँ थे और जिन्होंने कार्य आरम्भ किया।
कहाती परिवार के अमासै का पुत्र महत और अजर्याह का पुत्र योएल थे।
मरारीत परिवार के अब्दी का पुत्र कीश और यहल्लेलेल का पुत्र अजर्याह थे।
गेर्शोनी परिवार से जिम्मा का पुत्र योआह और योआह का पुत्र एदेन थे।
एलीसापान के वंशजों में शिम्री औऱ यूएल थे।
आसाप के वंशजों में जकर्याह और मत्तन्याह थे।
हेमान के वंशजों में से यहूएल और शिमी थे।
यदूतून के वंशजों में से शमायाह और उज्जीएल थे।
15 तब इन लेवीवंशियों ने अपने भाइयों को इकट्ठा किया और मन्दिर में पवित्र सेवा करने के लिये अपने को तैयार किया। उन्होंने राजा के उन आदेशों का पालन किया जो यहोवा के पास से आये थे। वे यहोवा के मन्दिर में उसे स्वच्छ करने गए। 16 याजक यहोवा के मन्दिर के भीतरी भाग में उसे स्वच्छ करने गए। उन्होंने सभी अशुद्ध चीज़ों को बाहर निकाला जिन्हें उन्होंने मन्दिर में पाया। वे अशुद्ध चीज़ों को यहोवा के मन्दिर के आँगन में ले आए। तब लेवीवंशी अशुद्ध चीज़ों को किद्रोन की घाटी में ले गए। 17 पहले महीने के पहले दिन लेवीवंशी अपने को पवित्र सेवा के लिये तैयार करने लगे। महीने के आठवें दिन लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर के द्वार—मण्डप में आए। आठ दिन और, वे यहोवा के मन्दिर को पवित्र उपयोग के लिये स्वच्छ करते रहे। उन्होंने पहले महीन के सोलहवें दिन यह काम पूरा किया।
18 तब वे राजा हिजकिय्याह के पास गए। उन्होंने उससे कहा, “राजा हिजकिय्याह, हम लोगों ने यहोवा के पूरे मन्दिर और भेंट जलाने के लिये वेदी को स्वच्छ कर दिया। हम लोगों ने रोटी को पक्तियों में रखने की मेज और उस के लिये उपयोग में आने वाली सभी चीज़ों को स्वच्छ कर दिया। 19 उन दिनों जब आहाज राजा था उसने परमेश्वर के प्रति विरोध किया। उसने बहुत सी चीज़ें फेंक दी थीं। जो मन्दिर में थीं। किन्तु हम लोगों ने फिर उन चीज़ों को रख दिया है औऱ उन्हें पवित्र कार्य के लिये तैयार कर दिया है। वे अब यहोवा की वेदी के सामने हैं।”
परमेश्वर का वरदान विश्वास से मिलता है
3 हे मूर्ख गलातियो, तुम पर किसने जादू कर दिया है? तुम्हें तो, सब के सामने यीशु मसीह को क्रूस पर कैसे चढ़ाया गया था, इसका पूरा विवरण दे दिया गया था। 2 मैं तुमसे बस इतना जानना चाहता हूँ कि तुमने आत्मा का वरदान क्या व्यवस्था के विधान को पालने से पाया था, अथवा सुसमाचार के सुनने और उस पर विश्वास करने से? 3 क्या तुम इतने मूर्ख हो सकते हो कि जिस जीवन को तुमने आत्मा से आरम्भ किया, उसे अब हाड़-माँस के शरीर की शक्ति से पूरा करोगे? 4 तुमने इतने कष्ट क्या बेकार ही उठाये? आशा है कि वे बेकार नहीं थे। 5 परमेश्वर, जो तुम्हें आत्मा प्रदान करता है और जो तुम्हारे बीच आश्चर्य कर्म करता है, वह यह इसलिए करता है कि तुम व्यवस्था के विधान को पालते हो या इसलिए कि तुमने सुसमाचार को सुना है और उस पर विश्वास किया है।
6 यह वैसे ही है जैसे कि इब्राहीम के विषय में शास्त्र कहता है: “उसने परमेश्वर में विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिनी गई।”(A) 7 तो फिर तुम यह जान लो, इब्राहीम के सच्चे वंशज वे ही हैं जो विश्वास करते हैं। 8 शास्त्र ने पहले ही बता दिया था, “परमेश्वर ग़ैर यहूदियों को भी उनके विश्वास के कारण धर्मी ठहरायेगा। और इन शब्दों के साथ पहले से ही इब्राहीम को परमेश्वर द्वारा सुसमाचार से अवगत करा दिया गया था।”(B) 9 इसीलिए वे लोग जो विश्वास करते हैं विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।
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