Revised Common Lectionary (Complementary)
पहिला भाग
(भजनसंहिता 1–41)
1 सचमुच वह जन धन्य होगा
यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें,
और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए
और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
2 वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है।
वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
3 इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है
जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है।
वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता
और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
वह जो भी करता है सफल ही होता है।
4 किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते।
दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।
5 इसलिए दुष्ट जन न्याय का सामना नहीं कर पायेंगे।
सज्जनों की सभा में वे दोषी ठहरेंगे और उन पापियों को छोड़ा नहीं जायेगा।
6 ऐसा भला क्यों होगा? क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है
और वह दुर्जनों का विनाश करता है।
20 यरूशलेम, ध्यान से देखो!
शत्रुओं को उत्तर से आते देखो।
तुम्हारी रेवड़ कहाँ है परमेश्वर ने तुम्हें सुन्दर रेवड़ दी थी।
तुमसे उस रेवड़ की देखभाल की आशा थी।
21 जब यहोवा उस रेवड़ का हिसाब तुमसे माँगेगा
तो तुम उसे क्या उत्तर दोगे तुमसे आशा थी कि
तुम परमेश्वर के बारे में लोगों को शिक्षा दोगे।
तुम्हारे नेताओं से लोगों का नेतृत्व करने की आशा थी।
लेकिन उन्होंने यह कार्य नहीं किये।
अत: तुम्हें अत्यन्त दुःख व पीड़ा भुगतनी होगी।
22 तुम अपने से पूछ सकते हो,
“यह बुरी विपत्ति मुझ पर क्यों आई”
ये विपत्तियाँ तुम्हारे अनेक पापों के कारण आई।
तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें निर्वस्त्र किया गया
और जूते ले लिये गए।
उन्होंने यह तुम्हें लज्जित करने को किया।
23 एक काला आदमी अपनी चमड़ी का रंग बदल नहीं सकता।
और कोई चीता अपने धब्बे नहीं बदल सकता।
ओ यरूशलेम, उसी तरह तुम भी बदल नहीं सकते,
अच्छा काम नहीं कर सकते।
तुम सदैव बुरा काम करते हो।
24 “मैं तुम्हें अपना घर छोड़ने को विवश करुँगा,
जब तुम भागोगे तब हर दिशा में दौड़ोगे।
तुम उस भूसे की तरह होगे
जिसे मरुभूमि की हवा उड़ा ले जाती है।
25 ये वे सब चीज़ें हैं जो तुम्हारे साथ होंगी,
यह मेरी योजना का तुम्हारा हिस्सा है।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“यह क्यों होगा क्योंकि तुम मुझे भूल गए,
तुमने असत्य देवताओं पर विश्वास किया।
26 यरूशलेम, मैं तुम्हारे वस्त्र उतारुँगा
लोग तुम्हारी नग्नता देखेंगे
और तुम लज्जा से गड़ जाओगे।
27 मैंने उन भयंकर कामों को देखा जो तुमने किये।
मैंने तुम्हें हँसते और अपने प्रेमियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध करते देखा।
मै जानता हूँ कि तुमने वेश्या की तरह दुष्कर्म किया है।
मैंने तुम्हें पहाड़ियों और खेतों में देखा है।
यरूशलेम, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा।
मुझे बताओ कि तुम कब तक अपने गंदे पापों को करते रहोगे”
17 और यदि तुम, प्रत्येक के कर्मों के अनुसार पक्षपात रहित होकर न्याय करने वाले परमेश्वर को हे पिता कह कर पुकारते हो तो इस परदेसी धरती पर अपने निवास काल में सम्मानपूर्ण भय के साथ जीवन जीओ। 18 तुम यह जानते हो कि चाँदी या सोने जैसी वस्तुओं से तुम्हें उस व्यर्थ जीवन से छुटकारा नहीं मिल सकता, जो तुम्हें तुम्हारे पूर्वजों से मिला है। 19 बल्कि वह तो तुम्हें निर्दोष और कलंक रहित मेमने के समान मसीह के बहुमूल्य रक्त से ही मिल सकता है। 20 इस जगत की सृष्टि से पहले ही उसे चुन लिया गया था किन्तु तुम लोगों के लिए उसे इन अंतिम दिनों में प्रकट किया गया। 21 उस मसीह के कारण ही तुम उस परमेश्वर में विश्वास करते रहे जिसने उसे मरे हुओं में से पुनर्जीवित कर दिया और उसे महिमा प्रदान की। इस प्रकार तुम्हारी आशा और तुम्हारा विश्वास परमेश्वर में स्थिर हो।
22 अब देखो जब तुमने सत्य का पालन करते हुए, सच्चे भाईचारे के प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए अपने आत्मा को पवित्र कर लिया है तो पवित्र मन से तीव्रता के साथ परस्पर प्रेम करने को अपना लक्ष्य बना लो। 23 तुमने नाशमान बीज से पुर्नजीवन प्राप्त नहीं किया है बल्कि यह उस बीज का परिणाम है जो अमर है। तुम्हारा पुर्नजन्म परमेश्वर के उस सुसंदेश से हुआ है जो सजीव और अटल है। 24 क्योंकि शास्त्र कहता है:
“सभी प्राणी घास की तरह हैं,
और उनकी सज-धज जंगली फूल की तरह है।
घास मर जाती है
और फूल गिर जाते हैं।
25 किन्तु प्रभु का सुसमाचार सदा-सर्वदा टिका रहता है।”(A)
और यह वही सुसमाचार है जिसका तुम्हें उपदेश दिया गया है।
सजीव पत्थर और पवित्र प्रजा
2 इसलिए सभी बुराइयों, छल-छद्मों, पाखण्ड तथा वैर-विरोधों और परस्पर दोष लगाने से बचे रहो।
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