Revised Common Lectionary (Complementary)
1 यहोवा राजा है।
वह सामर्थ्य और महिमा का वस्त्र पहने है।
वह तैयार है, सो संसार स्थिर है।
वह नहीं टलेगा।
2 हे परमेश्वर, तेरा साम्राज्य अनादि काल से टिका हुआ है।
तू सदा जीवित है।
3 हे यहोवा, नदियों का गर्जन बहुत तीव्र है।
पछाड़ खाती लहरों का शब्द घनघोर है।
4 समुद्र की पछाड़ खाती लहरे गरजती हैं, और वे शक्तिशाली हैं।
किन्तु ऊपर वाला यहोवा अधिक शक्तिशाली है।
5 हे यहोवा, तेरा विधान सदा बना रहेगा।
तेरा पवित्र मन्दिर चिरस्थायी होगा।
चार पशुओं के बारे में दानिय्येल का स्वप्न
7 बेलशस्सर के बाबुल पर शासन काल के पहले वर्ष दानिय्येल को एक सपना आया सपने में अपने पलंग पर लेटे हुए दानिय्येल ने, ये दर्शन देखे। दानिय्येल ने जो सपना देखा था, उसे लिख लिया। 2 दानिय्येल ने बताया, “रात में मैंने सपने में एक दर्शन पाया। मैंने देखा कि चारों दिशाओं से हवा बह रही है और उन हवाओं से सागर उफनने लगा था। 3 फिर मैंने तीन पशुओं को देखा। हर पशु दूसरे पशु से भिन्न था। वे चारों पशु समुद्र में से उभर कर बाहर निकले थे।
4 “उनमें से पहला पशु सिंह के समान दिखाई दे रहा था और उस सिंह के उकाब के जैसे पंख थे। मैंने उस पशु को देखा। फिर मैंने देखा कि उसके पंख उखाड़ फेंके गये हैं। धरती पर से उस पशु को इस प्रकार उठाया गया जिससे वह किसी मनुष्य के समान अपने दो पैरों पर खड़ा हो गया। इस सिंह को मनुष्य का सा दिमाग दे दिया गया था।
5 “और फिर मैंने देखा कि मेरे सामने एक और दूसरा पशु मौजूद है। यह पशु एक भालू के जैसा था। वह अपनी एक बगल पर उठा हुआ था। उस पशु के मुँह में दांतों के बीच तीन पसलियाँ थीं। उस भालू से कहा गया था, ‘उठ और तुझे जितना चाहिये उतना माँस खा ले!’
6 “इसके बाद, मैंने देखा कि मेरे सामने एक और पशु खड़ा है। यह पशु चीते जैसे लग रहा था और उस चीते की पीठ पर चार पंख थे। पंख ऐसे लग रहे थे, जैसे वे किसी चिड़िया के पंख हों। इस पशु के चार सिर थे, और उसे शासन का अधिकार दिया गया था।
7 “इसके बाद, सपने में रात को मैंने देखा कि मेरे सामने एक और चौथा जानवर खड़ा है। यह जानवर बहुत खुँखार और भयानक लग रहा था। वह बहुत मज़बूत दिखाई दे रहा था। उसके लोहे के लम्बे—लम्बे दाँत थे। यह जानवर अपने शिकारों को कुचल करके खा डाल रहा था और शिकार को खा चुकने के बाद जो कुछ बचा रहता, वह उसे अपने पैरों तले कुचल रहा था। इस पशु से पहले मैंने सपने में जो पशु देखे थे, यह चौथा पशु उन सबसे अलग था। इस पशु के दस सींग थे।
8 “अभी मैं उन सींगों के बारे में सोच ही रहा था कि उन सींगों के बीच एक सींग और उग आया। यह सींग बहुत छोटा था। इस छोटे सींग पर आँखें थी, और वे आँखें किसी व्यक्ति की आँखों जैसी थीं। इस छोटे सींग में एक मुख भी था और वह स्वयं की प्रशंसा कर रहा था। इस छोटे सींग ने अन्य सींगों में से तीन सींग उखाड़ फेंके।
चौथे पशु के स्वप्न का फल
15 “मैं, दानिय्येल बहुत विकल और चिंतित था। वे दर्शन जो मैंने देखे थे, उन्होंने मुझे विकल बनाया हुआ था। 16 मैं, जो वहाँ खड़े थे, उनमें से एक के पास पहुँचा। मैंने उससे पूछा, इस सब कुछ का अर्थ क्या है? सो उसने बताया, उसने मुझे समझाया कि इन बातों का मतलब क्या है। 17 उसने कहा, ‘वे चार बड़े पशु, चार राज्य हैं। वे चारों राज्य धरती से उभरेंगे। 18 किन्तु परमेश्वर के पवित्र लोग उस राज्य को प्राप्त करेंगे जो एक अमर राज्य होगा।’
वह जो स्वर्ग से उतरा
31 “जो ऊपर से आता है वह सबसे महान् है। वह जो धरती से है, धरती से जुड़ा है। इसलिये वह धरती की ही बातें करता है। जो स्वर्ग से उतरा है, सबके ऊपर है; 32 उसने जो कुछ देखा है, और सुना है, वह उसकी साक्षी देता है पर उसकी साक्षी को कोई ग्रहण नहीं करना चाहता। 33 जो उसकी साक्षी को मानता है वह प्रमाणित करता है कि परमेश्वर सच्चा है। 34 क्योंकि वह, जिसे परमेश्वर ने भेजा है, परमेश्वर की ही बातें बोलता है। क्योंकि परमेश्वर ने उसे आत्मा का अनन्त दान दिया है। 35 पिता अपने पुत्र को प्यार करता है। और उसी के हाथों में उसने सब कुछ सौंप दिया है। 36 इसलिए वह जो उसके पुत्र में विश्वास करता है अनन्त जीवन पाता है पर वह जो परमेश्वर के पुत्र की बात नहीं मानता उसे वह जीवन नहीं मिलेगा। इसके बजाय उस पर परम पिता परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा।”
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