Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 जब यहोवा हमें पुन: मुक्त करेगा तो यह ऐसा होगा
जैसे कोई सपना हो!
2 हम हँस रहे होंगे और खुशी के गीत गा रहे होंगे!
तब अन्य राष्ट्र के लोग कहेंगे,
“यहोवा ने इनके लिए महान कार्य किये हैं।”
3 दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है।
अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।
4 हे यहोवा, हमें तू स्वतंत्र कर दे,
अब तू हमें मरुस्थल के जल से भरे हुए जलधारा जैसा बना दे।
5 जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे,
किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!
6 हम बीज लेकर रोते हुए खेतों में गये।
सो आनन्द मनाने आओ क्योंकि हम उपज के लिए हुए आ रहे हैं।
शमायाह को परमेश्वर का सन्देश
24 शमायाह को भी एक सन्देश दो। शमायाह नेहलामी परिवार से है। 25 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शमायाह, तुमने यरूशलेम के सभी लोगों को पत्र भेजे और तुमने यासेयाह के पुत्र याजक सपन्याह को पत्र भेजे। तुमने सभी याजकों को पत्र भेजे। तुमने उन पत्रों को अपने नाम से भेजा और यहोवा की सत्ता के नाम पर नहीं। 26 शमायाह, तुमने सपन्याह को अपने पत्र में जो लिखा था वह यह है: ‘सपन्याह यहोवा ने यहोयादा के स्थान पर तुम्हें याजक बनाया है। तुम यहोवा के मन्दिर के अधिकारी हो। तुम्हें उस किसी को कैद कर लेना चाहिये जो पागल की तरह काम करता है और नबी की तरह व्यवहार करता है। तुम्हें उस व्यक्ति के पैरों को लकड़ी के बड़े टुकड़े के बीच रखना चाहिये और उसके गले में लौह—कटक पहनाना चाहिए। 27 इस समय यिर्मयाह नबी की तरह काम कर रहा है। अत: तुमने उसे बन्दी क्यों नहीं बनाया 28 यिर्मयाह ने हम लोगों को यह सन्देश बाबुल में दिया था: बाबुल में रहने वाले लोगों, तुम वहाँ लम्बे समय तक रहोगे। अत: अपने मकान बनाओ और वहीं बस जाओ। बाग लगाओ और वह खाओ, जो उपजाओ।’”
29 याजक सपन्याह ने यिर्मयाह नबी को पत्र सुनाया। 30 तब यिर्मयाह के पास यहोवा का सन्देश आया। 31 “यिर्मयाह, बाबुल के सभी बन्दियों को यह सन्देश भेजो: ‘नेहलामी परिवार के शमायाह के बारे में जो यहोवा कहता है, वह यह है: शमायाह ने तुम्हारे सामने भविष्यवाणी की, किन्तु मैंने उसे नहीं भेजा। शमायाह ने तुम्हें झूठ में विश्वास कराया है। शमायाह ने यह किया है। 32 अत: यहोवा जो कहता है वह यह है: नेहलामी परिवार के शमायाह को मैं शीघ्र दण्ड दूँगा। मैं उसके परिवार को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा और मैं अपने लोगों के लिये जो अच्छा करूँगा उसमें उसका कोई भाग नहीं होगा।’” यह सन्देश यहोवा का है। “‘मैं शमायाह को दण्ड दूँगा क्योंकि उसने लोगों को यहोवा के विरुद्ध जाने की शिक्षा दी है।’”
अंधे को आँखें
22 फिर वे बैतसैदा चले आये। वहाँ कुछ लोग यीशु के पास एक अंधे को लाये और उससे प्रार्थना की कि वह उसे छू दे। 23 उसने अंधे व्यक्ति का हाथ पकड़ा और उसे गाँव के बाहर ले गया। उसने उसकी आँखों पर थूका, अपने हाथ उस पर रखे और उससे पूछा, “तुझे कुछ दिखता है?”
24 ऊपर देखते हुए उसने कहा, “मुझे लोग दिख रहे हैं। वे आसपास चलते पेड़ों जैसे लग रहे हैं।”
25 तब यीशु ने उसकी आँखों पर जैसे ही फिर अपने हाथ रखे, उसने अपनी आँखें पूरी खोल दीं। उसे ज्योति मिल गयी थी। वह सब कुछ साफ़ साफ़ देख रहा था। 26 फिर यीशु ने उसे घर भेज दिया और कहा, “वह गाँव में न जाये।”
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