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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 126

आरोहण गीत।

जब यहोवा हमें पुन: मुक्त करेगा तो यह ऐसा होगा
    जैसे कोई सपना हो!
हम हँस रहे होंगे और खुशी के गीत गा रहे होंगे!
    तब अन्य राष्ट्र के लोग कहेंगे,
    “यहोवा ने इनके लिए महान कार्य किये हैं।”
दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है।
    अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।

हे यहोवा, हमें तू स्वतंत्र कर दे,
    अब तू हमें मरुस्थल के जल से भरे हुए जलधारा जैसा बना दे।
जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे,
    किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!
हम बीज लेकर रोते हुए खेतों में गये।
    सो आनन्द मनाने आओ क्योंकि हम उपज के लिए हुए आ रहे हैं।

यिर्मयाह 26:12-24

12 तब यिर्मयाह ने यहूदा के सभी शासकों और अन्य सभी लोगों से बात की। उसने कहा, “यहोवा ने मुझे इस मन्दिर और इस नगर के बारे में बातें कहने के लिये भेजा। जो सब तुमने सुना है वह यहोवा के यहाँ से है। 13 तुम लोगों को अपना जीवन बदलना चाहिये! तुम्हें अच्छे काम करना आरम्भ करना चाहिये। तुम्हें अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिये। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा अपना इरादा बदल देगा। यहोवा वे बुरी विपत्तियाँ नहीं लायेगा, जिनके घटित होने के बारे में उसने कहा। 14 जहाँ तक मेरी बात है, मैं तुम्हारे वश में हूँ। मेरे साथ वह करो जिसे तुम अच्छा और ठीक समझते हो। 15 किन्तु यदि तुम मुझे मार डालोगे तो एक बात निश्चित समझो। तुम एक निरपराध व्यक्ति को मारने के अपराधी होगे। तुम इस नगर और इसमें जो भी रहते हैं उन्हें भी अपराधी बनाओगे। सच में, यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। जो सन्देश तुमने सुना है वह, सच में, यहोवा का है।”

16 तब शासक और सभी लोग बोल पड़े। उन लोगों ने याजकों और नबियों से कहा, “यिर्मयाह, नहीं मारा जाना चाहिये। यिर्मयाह ने जो कुछ कहा है वह हमारे यहोवा परमेश्वर की ही वाणी है।”

17 तब अग्रजों (प्रमुखों) में से कुछ खड़े हुए और उन्होंने सब लोगों से बातें कीं। 18 उन्होंने कहा, “मीकायाह नबी मोरसेती नगर का था। मीकायाह उन दिनों नबी था जिन दिनों हिजकिय्याह यहूदा का राजा था। मीकायाह ने यहूदा के सभी लोगों से यह कहा: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है:

“सिय्योन एक जुता हुआ खेत बनेगा।
    यरूशलेम चट्टानों की ढेर होगा।
जिस पहाड़ी पर मन्दिर बना है
    उस पर पेड़ उगेंगे।”(A)

19 “हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और हिजकिय्याह ने मीकायाह को नहीं मारा। यहूदा के किसी व्यक्ति ने मीकायाह को नहीं मारा। तुम जानते हो हिजकिय्याह यहोवा का सम्मान करता था। वह यहोवा को प्रसन्न करना चाहता था। यहोवा कह चुका था कि वह यहूदा का बुरा करेगा। किन्तु हिजकिय्याह ने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने अपना इरादा बदल दिया। यहोवा ने वे बुरी विपत्तियाँ नहीं आने दीं। यदि हम लोग यिर्मयाह को चोट पहुँचायेंगे तो हम लोग अपने ऊपर अनेक विपत्तियाँ बुलाएंगे और वे विपत्तियाँ हम लोगों के अपने दोष के कारण होंगी।”

20 अतीत काल में एक दूसरा व्यक्ति था जो यहोवा के सन्देश का उपदेश देता था। उसका नाम ऊरिय्याह था। वह शमाय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। ऊरिय्याह, किर्यत्यारीम नगर का था। ऊरिय्याह ने इस नगर और देश के विरुद्ध वही उपदेश दिया जो यिर्मयाह ने दिया है। 21 राजा यहोयाकीम उसके सेना—अधिकारी और यहूदा के प्रमुखों ने ऊरिय्याह का उपदेश सुना। वे क्रोधित हुए। राजा यहोयाकीम ऊरिय्याह को मार डालना चाहता था। किन्तु ऊरिय्याह को पता लगा कि यहोयाकीम उसे मार डालना चाहता है। ऊरिय्याह डर गया और वह मिस्र देश को भाग निकला। 22 किन्तु यहोयाकीम ने एलनातान नामक एक व्यक्ति तथा कुछ अन्य लोगों को मिस्र भेजा। एलनातान अकबोर नामक व्यक्ति का पुत्र था। 23 वे लोग ऊरिय्याह को मिस्र से वापस ले आये। तब वे लोग ऊरिय्याह को राजा यहोयाकीम के पास ले गए। यहोयाकीम ने ऊरिय्याह को तलवार के घाट उतार देने का आदेश दिया। ऊरिय्याह का शव उस कब्रिस्तान में फेंक दिया गया जहाँ गरीब लोग दफनाये जाते थे।

24 शापान का पुत्र अहीकाम ने यिर्मयाह का समर्थन किया। अत: अहीकाम ने लोगों द्वारा मार डाले जाने से यिर्मयाह को बचा लिया।

इब्रानियों 7:11-22

11 यदि लेवी सम्बन्धी याजकता के द्वारा सम्पूर्णता प्राप्त की जा सकती क्योंकि इसी के आधार पर लोगों को व्यवस्था का विधान दिया गया था। तो किसी दूसरे याजक के आने की आवश्यकता ही क्या थी? एक ऐसे याजक की जो मिलिकिसिदक की परम्परा का हो, न कि औरों की परम्परा का। 12 क्योंकि जब याजकता बदलती है, तो व्यवस्था में भी परिवर्तन होना चाहिए। 13 जिसके विषय में ये बातें कही गयी हैं, वह किसी दूसरे गोत्र का है, और उस गोत्र का कोई भी व्यक्ति कभी वेदी का सेवक नहीं रहा। 14 क्योंकि यह तो स्पष्ट ही है कि हमारा प्रभु यहूदा का वंशज था और मूसा ने उस गोत्र के लिए याजकों के विषय में कुछ नहीं कहा था।

यीशु मिलिकिसिदक के समान है

15 और जो कुछ हमने कहा है, वह और भी स्पष्ट है कि मिलिकिसिदक के जैसा एक दूसरा याजक प्रकट होता है। 16 वह अपनी वंशावली के नियम के आधार पर नहीं, बल्कि एक अमर जीवन की शक्ति के आधार पर याजक बना है। 17 क्योंकि घोषित किया गया था: “तू है एक याजक शाश्वत मिलिकिसिदक के जैसा।”(A)

18 पहला नियम इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि वह निर्बल और व्यर्थ था। 19 क्योंकि व्यवस्था के विधान ने किसी को सम्पूर्ण सिद्ध नहीं किया। और एक उत्तम आशा का सूत्रपात किया गया जिसके द्वारा हम परमेश्वर के निकट खिंचते हैं।

20 यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि परमेश्वर ने यीशु को शपथ के द्वारा प्रमुख याजक बनाया था। जबकि औरों को बिना शपथ के ही प्रमुख याजक बनाया गया था। 21 किन्तु यीशु तब एक शपथ से याजक बना था, जब परमेश्वर ने उससे कहा था,

“प्रभु ने शपथ ली है,
    और वह अपना मन कभी नहीं बदलेगा:
‘तू एक शाश्वत याजक है।’”(B)

22 इस शपथ के कारण यीशु एक और अच्छे वाचा की ज़मानत बन गया है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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