Revised Common Lectionary (Complementary)
9 क्यों? क्योंकि तू यहोवा के भरोसे है।
तूने परम परमेश्वर को अपना शरणस्थल बनाया है।
10 तेरे साथ कोई भी बुरी बात नहीं घटेगी।
कोई भी रोग तेरे घर में नहीं होगा।
11 क्योंकि परमेश्वर स्वर्गदूतों को तेरी रक्षा करने का आदेश देगा। तू जहाँ भी जाएगा वे तेरी रक्षा करेंगे।
12 परमेश्वर के दूत तुझको अपने हाथों पर ऊपर उठायेंगे।
ताकि तेरा पैर चट्टान से न टकराए।
13 तुझमें वह शक्ति होगी जिससे तू सिंहों को पछाडेगा
और विष नागों को कुचल देगा।
14 यहोवा कहता है, “यदि कोई जन मुझ में भरोसा रखता है तो मैं उसकी रक्षा करूँगा।
मैं उन भक्तों को जो मेरे नाम की आराधना करते हैं, संरक्षण दूँगा।”
15 मेरे भक्त मुझको सहारा पाने को पुकरेंगे और मैं उनकी सुनूँगा।
वे जब कष्ट में होंगे मैं उनके साथ रहूँगा।
मैं उनका उद्धार करूँगा और उन्हें आदर दूँगा।
16 मैं अपने अनुयायियों को एक लम्बी आयु दूँगा
और मैं उनकीरक्षा करूँगा।
10 तू बुरे काम करती है, फिर भी तू अपने को सुरक्षित समझती है।
तू कहा करती है, ‘तेरे बुरे काम को कोई नहीं देखता।’
तू बुरे काम करती है किन्तु तू सोचती है कि तेरी बुद्धि और तेरा ज्ञान तुझको बचा लेंगे।
तू स्वयं को सोचती है कि, ‘बस एक तू ही महत्त्वपूर्ण है।
तेरे जैसा और कोई भी दूसरा नहीं है।’
11 “किन्तु तुझ पर विपत्तियाँ आयेंगी।
तू नहीं जानती कि यह कब हो जायेगा, किन्तु विनाश आ रहा है।
तू उन विपत्तियों को रोकने के लिये कुछ भी नहीं कर पायेगी।
तेरा विनाश इतना शीघ्र होगा कि तुझको पता तक भी न चलेगा कि क्या कुछ तेरे साथ घट गया।
12 जादू और टोने को सीखने में तूने कठिन श्रम करते हुए जीवन बिता दिया।
सो अब अपने जादू और टोने को चला।
सम्भव है, टोने—टोटके तुझको बचा ले।
सम्भव है, उनसे तू किसी को डरा दे।
13 तेरे पास बहुत से सलाहकार हैं।
क्या तू उनकी सलाहों से तंग आ चुकी है तो फिर उन लोगों को जो सितारे पढ़ते हैं, बाहर भेज।
जो बता सकते हैं महीना कब शुरू होता है।
सो सम्भव है वे तुझको बता पाये कि तुझ पर कब विपत्तियाँ पड़ेंगी।
14 किन्तु वे लोग तो स्वयं अपने को भी बचा नहीं पायेंगे।
वे घास के तिनकों जैसे भक से जल जायेंगे।
वे इतने शीघ्र जलेंगे कि अंगार तक कोई नहीं बचेगा जिसमें रोटी सेकी जा सके।
कोई आग तक नहीं बचेगी जिसके पास बैठ कर वे खुद को गर्मा ले।
15 ऐसा ही हर वस्तु के साथ में घटेगा जिनके लिये तूने कड़ी मेहनत की।
तेरे जीवन भर जिन से तेरा व्यापार रहा, वे ही व्यक्ति तुझे त्याग जायेंगे।
हर कोई अपनी—अपनी राह चला जायेगा।
कोई भी व्यक्ति तुझको बचाने को नहीं बचेगा।”
सेवक बनों
24 फिर उनमें यह बात भी उठी कि उनमें से सबसे बड़ा किसे समझा जाये। 25 किन्तु यीशु ने उनसे कहा, “गैर यहूदियों के राजा उन पर प्रभुत्व रखते हैं और वे जो उन पर अधिकार का प्रयोग करते हैं, ‘स्वयं को लोगों का उपकारक’ कहलवाना चाहते हैं। 26 किन्तु तुम वैसै नहीं हो बल्कि तुममें तो सबसे बड़ा सबसे छोटे जैसा होना चाहिये और जो प्रमुख है उसे सेवक के समान होना चाहिए। 27 क्योंकि बड़ा कौन है: वह जो खाने की मेज़ पर बैठा है या वह जो उसे परोसता है? क्या वही नहीं जो मेज पर है किन्तु तुम्हारे बीच मैं वैसा हूँ जो परोसता है।
28 “किन्तु तुम वे हो जिन्होंने मेरी परिक्षाओं में मेरा साथ दिया है। 29 और मैं तुम्हे वैसे ही एक राज्य दे रहा हूँ जैसे मेरे परम पिता ने इसे मुझे दिया था। 30 ताकि मेरे राज्य में तुम मेरी मेज़ पर खाओ और पिओ और इस्राएल की बारहों जनजातियों का न्याय करते हुए सिंहासनों पर बैठो।
© 1995, 2010 Bible League International