Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद को समर्पित।
1 हे यहोवा, मेरा न्याय कर, प्रमाणित कर कि मैंने पवित्र जीवन बिताया है।
मैंने यहोवा पर कभी विश्वस करना नहीं छोड़ा।
2 हे यहोवा, मुझे परख और मेरी जाँच कर,
मेरे हृदय में और बुद्धि को निकटता से देख।
3 मैं तेरे प्रेम को सदा ही देखता हूँ,
मैं तेरे सत्य के सहारे जिया करता हूँ।
4 मैं उन व्यर्थ लोगो में से नहीं हूँ।
5 उन पापी टोलियों से मुझको घृणा है,
मैं उन धूर्तो के टोलों में सम्मिलित नहीं होता हूँ।
6 हे यहोवा, मैं हाथ धोकर तेरी वेदी पर आता हूँ।
7 हे यहोवा, मैं तेरे प्रशंसा गीत गाता हूँ,
और जो आश्चर्य कर्म तूने किये हैं, उनके विषय में मैं गीत गाता हूँ।
8 हे यहोवा, मुझको तेरा मन्दिर प्रिय है।
मैं तेरे पवित्र तम्बू से प्रेम करता हूँ।
9 हे यहोवा, तू मुझे उन पापियों के दल में मत मिला,
जब तू उन हत्यारों का प्राण लेगा तब मुझे मत मार।
10 वे लोग सम्भव है, छलने लग जाये।
सम्भव है, वे लोग बुरे काम करने को रिश्वत ले लें।
11 लेकिन मैं निश्चल हूँ, सो हे परमेश्वर,
मुझ पर दयालु हो और मेरी रक्षा कर।
12 मैं नेक जीवन जीता रहा हूँ।
मैं तेरे प्रशंसा गीत, हे यहोवा, जब भी तेरी भक्त मण्डली साथ मिली, गाता रहा हूँ।
10 तुम शर्म से गड़ जाओगे,
और तुम सदैव के लिये नष्ट हो जाओगे।
क्योंकि अपने भाई याकूब के प्रति तुम इतने अधिक क्रूर निकले।
11 उस समय तुम सहायता किये बिना दूसरी ओर खड़े रहे।
अजनबी याकूब का खजाना ले गए।
विदेशी इस्राएल के नगर—द्वार में घुसे।
उन विदेशियों ने गोट डालकर यह निश्चय किया कि वे यरूशलेम का कौन सा भाग लेंगे।
उस समय तुम उन विदेशियों के समान ही थे।
12 तुम अपने भाई के विपत्ति काल में उस पर हँसे,
तुम्हें यह नहीं करना चाहिये था।
तुम तब प्रसन्न थे जब लोगों ने यहूदा को नष्ट किया।
तुम्हें वैसा नहीं करना चाहिये था।
उनकी विपत्ति के समय तुमने उसकी खिल्ली उड़ाई।
तुम्हें वैसा नहीं करना चाहिये था।
13 तुम मेरे लोगों के नगर—द्वार में घुसे और उनकी समस्याओं पर हँसे।
तुम्हें वह नहीं करना चाहिये था।
उनके उस विपत्ति काल में तुमने उनके खजाने लिये,
तुम्हें वह नहीं करना चाहिये था।
14 तुम चौराहों पर खड़े हुए और तुमने जान बचाकर भागने की कोशिश करने वाले लोगों को मार डाला।
तुम्हें वैसा नहीं करना चाहिये था।
तुमने उन लोगों को पकड़ लिया जो जीवित बच निकले थे।
तुम्हें वह नहीं करना चाहिए था।
सभी राष्ट्रों का न्याय होना
15 सभी राष्ट्रों पर शीघ्र ही यहोवा का दिन आ रहा है।
तुमने दूसरे लोगों के साथ बुरा किया।
वे ही बुराईयाँ तुम्हारे साथ घटित होंगी।
वे सभी बुराईयाँ तुम्हारे ही सिर पर उतर आएंगी।
16 क्योंकि जैसे तुमने मेरे पवित्र पर्वत पर
दाखमधु पीकर विजय की खुशी मनाई।
वैसे ही सभी जातियाँ निरन्तर मेरे दण्ड को पीएंगी
और उसे निगलेंगी और उनका लोप हो जायेगा।
सातवीं मुहर
8 फिर मेमने ने जब सातवीं मुहर तोड़ी तो स्वर्ग में कोई आधा घण्टे तक सन्नाटा छाया रहा। 2 फिर मैंने परमेश्वर के सामने खड़े होने वाले सात स्वर्गदूतों को देखा। उन्हें सात तुरहियाँ प्रदान की गईं थीं।
3 फिर एक और स्वर्गदूत आया और वेदी पर खड़ा हो गया। उसके पास सोने का एक धूपदान था। उसे संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर जो सिंहासन के सामने थी, चढ़ाने के लिए बहुत सारी धूप दी गई। 4 फिर स्वर्गदूत के हाथ से धूप का वह धुआँ संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ-साथ परमेश्वर के सामने पहुँचा। 5 इसके बाद स्वर्गदूत ने उस धूपदान को उठाया, उसे वेदी की आग से भरा और उछाल कर धरती पर फेंक दिया। इस पर मेघों का गर्जन-तर्जन, भीषण शब्द, बिजली की चमक और भूकम्प होने लगे।
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