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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 19:7-14

यहोवा की शिक्षायें सम्पूर्ण होती हैं,
    ये भक्त जन को शक्ति देती हैं।
यहोवा की वाचा पर भरोसा किया जा सकता हैं।
    जिनके पास बुद्धि नहीं है यह उन्हैं सुबुद्धि देता है।
यहोवा के नियम न्यायपूर्ण होते हैं,
    वे लोगों को प्रसन्नता से भर देते हैं।
यहोवा के आदेश उत्तम हैं,
    वे मनुष्यों को जीने की नयी राह दिखाते हैं।

यहोवा की आराधना प्रकाश जैसी होती है,
    यह तो सदा सर्वदा ज्योतिमय रहेगी।
यहोवा के न्याय निष्पक्ष होते हैं,
    वे पूरी तरह न्यायपूर्ण होते हैं।
10 यहोवा के उपदेश उत्तम स्वर्ण और कुन्दन से भी बढ़ कर मनोहर है।
    वे उत्तम शहद से भी अधिक मधुर हैं, जो सीधे शहद के छते से टपक आता है।
11 हे यहोवा, तेरे उपदेश तेरे सेवक को आगाह करते है,
    और जो उनका पालन करते हैं उन्हें तो वरदान मिलते हैं।

12 हे यहोवा, अपने सभी दोषों को कोई नहीं देख पाता है।
    इसलिए तू मुझे उन पापों से बचा जो एकांत में छुप कर किये जाते हैं।
13 हे यहोवा, मुझे उन पापों को करने से बचा जिन्हें मैं करना चाहता हूँ।
    उन पापों को मुझ पर शासन न करने दे।
यदि तू मुझे बचाये तो मैं पवित्र और अपने पापों से मुक्त हो सकता हूँ।
14 मुझको आशा है कि, मेरे वचन और चिंतन तुझको प्रसन्न करेंगे।
    हे यहोवा, तू मेरी चट्टान, और मेरा बचाने वाला है!

व्यवस्था विवरण 1:1-18

मूसा इस्राएल के लोगों से बातचीत करता है

मूसा द्वारा इस्राएल के लोगों को दिया गया सन्देश यह है। उसने उन्हें यह सन्देश तब दिया जब वे यरदन की घाटी में, यरदन नदी की पूर्व के मरुभूमि में थे। यह सूप के उस पार एक तरफ पारान मरुभूमि और दूसरी तरफ तोपेल, लाबान, हसेरोत और दीजाहाब नगरों के बीच में था।

होरेब (सीनै) पर्वत से सेईर पर्वत से होकर कादेशबर्ने की यात्रा केवल ग्यारह दिन की है। किन्तु जब मूसा ने इस्राएल के लोगों को इस स्थान पर सन्देश दिया तब इस्राएल के लोगों को मिस्र छोड़े चालीस वर्ष हो चुके थे। यह चालीस वर्ष के ग्यारहवें महीने का पहला दिन था, जब मूसा ने लोगों से बातें कीं तब उसने उनसे वही बातें कहीं जो यहोवा ने उसे कहने का आदेश दिया था। यह यहोवा की सहायता से उनके द्वारा एमोरी लोगों के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग को पराजित किए जाने के बाद हुआ। (सीहोन हेशबोन और ओग अशतारोत एवं एद्रेई में रहते थे।) उस समय वे यरदन नदी के पूर्व की ओर मोआब के प्रदेश में थे और मूसा ने परमेश्वर के आदेशों की व्याख्या की। मूसा ने कहाः

“यहोवा, हमारे परमेश्वर ने होरेब (सीनै) पर्वत पर हमसे कहा। उसने कहा, ‘तुम लोग काफी समय तक इस पर्वत पर ठहर चुके हो। यहाँ से चलने के लिए हर एक चीज तैयार कर लो। एमोरी लोगों के यरदन घाटी, पहाड़ी क्षेत्र, पश्चिमी ढाल—अराबा का पहाड़ी प्रदेश, नीची भूमी, नेगेव और समुद्र से लगे क्षेत्रों में जाओ। कनानी लोगों के देश में तथा लबानोन में परात नामक बड़ी नदी तक जाओ। देखो, मैंने यह सारा देश तुम्हें दिया है। अन्दर जाओ, और स्वयं उस पर अधिकार करो। यह वही देश है जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दिया था। मैंने यह प्रदेश उन्हें तथा उनके वंशजों को देने का वजन दिया था।’”

मूसा प्रमुखों की नियुक्ति करता है

मूसा ने कहा, “उस समय जब मैंने तुमसे बात की थी तब कहा था, मैं अकेले तुम लोगों का नेतृत्व करने और देखभाल करने में समर्थ नहीं हूँ। 10 यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने क्रमशः लोगों को इतना बढ़ाया है कि तुम लोग अब उतने हो गए हो जितने आकाश में तारे हैं! 11 तुम्हें यहोवा, तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, आज तुम जितने हो, उससे हजार गुना अधिक करे! वह तुम्हें वह आशीर्वाद दे जो उसने तुम्हें देने का वचन दिया है! 12 किन्तु मैं अकेले तुम्हारी देखभाल नहीं कर सकता और न तो तुम्हारी सारी समस्याओं और वाद—विवाद का समाधान कर सकता हूँ। 13 ‘इसलिए हर एक परिवार समूह से कुछ व्यक्तियो को चुनो और मैं उन्हें तुम्हारा नेता बनाऊँगा। उन बुद्धिमान लोगों को चुनो जो समझदार और अनुभवी हों।’

14 “और तुम लोगों ने कहा, ‘हम लोग समझते हैं ऐसा करना अच्छा है।’

15 “इसलिए मैंने, तुम लोगों द्वारा अपने परिवार समूह से चुने गए बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्तियों को लिया और उन्हें तुम्हार प्रमुख बनाया। मैंने उनमें से कुछ को हजार का, कुछ को सौ का, कुछ को पचास का और कुछ को दस का प्रमुख बनाया है। उनको मैंने तुम्हारे परिवार समूहों के लिए अधिकारी नियुक्त किया है।

16 “उस समय, मैंने तुम्हारे इन प्रमुखों को तुम्हारा न्यायाधीश बनाया था। मैंने उनसे कहा, ‘अपने लोगों के बीच के वाद—प्रतिवाद को सुनो। हर एक मुकदमे का फैसला सही—सही करो। इसका कोई महत्व नहीं कि मुकदमा दो इस्राएली लोगों के बीच है या इस्राएली और विदेशी के बीच। तुम्हें हर एक मुकदमे का फैसला सही करना चाहिए। 17 जब तुम फैसला करो तब यह न सोचो कि कोई व्यक्ति दूसरे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। तुम्हें हर एक व्यक्ति का फैसला एक समान समझकर करना चाहिए। किसी से डरो नहीं क्योंकि तुम्हारा फैसला परमेश्वर से आया है। किन्तु यदि कोई मुकदमा इतना जटिल हो कि तुम फैसला ही न कर सको तो उसे मेरे पास लाओ और इसका फैसला मैं करूँगा।’ 18 उसी समय, मैंने वे सभी दूसरी बातें बताईं जिन्हें तुम्हें करना है।

प्रेरितों के काम 12:20-25

20 वह सूर और सैदा के लोगों से बहुत क्रोधित रहता था। वे एक समूह बनाकर उससे मिलने आये। राजा के निजी सेवक बलासतुस को मनाकर उन्होंने हेरोदेस से शांति की प्रार्थना की क्योंकि उनके देश को राजा के देश से ही खाने को मिलता था।

21 एक निश्चित दिन हेरोदेस अपनी राजसी वेश-भूषा पहन कर अपने सिंहासन पर बैठा और लोगों को भाषण देने लगा। 22 लोग चिल्लाये, “यह तो किसी देवता की वाणी है, मनुष्य की नहीं।” 23 क्योंकि हेरोदेस ने परमेश्वर को महिमा प्रदान नहीं की थी, इसलिए तत्काल प्रभु के एक स्वर्गदूत ने उसे बीमार कर दिया। और उसमें कीड़े पड़ गये जो उसे खाने लगे और वह मर गया।

24 किन्तु परमेश्वर का वचन प्रचार पाता रहा और फैलता रहा।

25 बरनाबास और शाऊल यरूशलेम में अपना काम पूरा करके मरकुस कहलाने वाले यूहन्ना को भी साथ लेकर अन्ताकिया लौट आये।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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