Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 15

दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू में कौन रह सकता है?
    तेरे पवित्र पर्वत पर कौन रह सकता है?
केवल वह व्यक्ति जो खरा जीवन जीता है, और जो उत्तम कर्मों को करता है,
    और जो ह्रदय से सत्य बोलता है। वही तेरे पर्वत पर रह सकता है।
ऐसा व्यक्ति औरों के विषय में कभी बुरा नहीं बोलता है।
    ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों का बुरा नहीं करता।
    वह अपने घराने की निन्दा नहीं करता है।
वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं।
    और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं।
ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है
    तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।
वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है
    तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता,
और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये
    घूस नहीं लेता।

यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।

निर्गमन 32:15-35

15 तब मूसा पर्वत से नीचे उतरा। मूसा के पास आदेश वाले दो समतल पत्थर थे। ये आदेश पत्थर के सामने तथा पीछे दोनों तरफ लिखे हुए थे। 16 परमेश्वर ने स्वयं उन पत्थरों को बनाया था और परमेश्वर ने स्वयं उन आदेशों को उन पत्थरों पर लिखा था।

17 जब वे पर्वत से उतर रहे थे यहोशू ने लोगों का उन्मत्त शोर सुना। यहोशू ने मूसा से कहा, “नीचे पड़ाव में युद्ध की तरह का शोर है!”

18 मूसा ने उत्तर दिया, “यह सेना का विजय के लिये शोर नहीं है। यह हार से चिल्लाने वाली सेना का शोर भी नहीं है। मैं जो आवाज़ सुन रहा हूँ वह संगीत की है।”

19 जब मूसा डेरे के समीप आया तो उसने सोने के बछड़े और गाते हुए लोगों को देखा। मूसा बहुत क्रोधित हो गया और उसने उन विशेष पत्थरों को ज़मीन पर फेंक दिया। पर्वत की तलहटी में पत्थरों के कई टुकडे हो गए। 20 तब मूसा ने लोगों के बनाए बछड़े को नष्ट कर दिया। उसने इसे आग में गला दिया। उसने सोने को तब तक पीसा जब तक यह चूर्ण न हो गया और उसने उस चूर्ण को पानी में फेंक दिया। उसने इस्राएल के लोगों को वह पानी पीने को विवश किया।

21 मूसा ने हारून से कहा, “इन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया? तुम उन्हें ऐसा बुरा पाप करने की ओर क्यों ले गए?”

22 हारून ने उत्तर दिया, “महाशय, क्रोधित मत हो। आप जानते हैं कि ये लोग सदा गलत काम करने को तैयार रहते हैं। 23 लोगों ने मुझ से कहा, ‘मूसा हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया। किन्तु हम लोग नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ।’ इसलिए हम लोगों को मार्ग दिखाने वाला कोई देवता बनाओ, 24 इसलिए मैंने लोगों से कहा, ‘यदि तुम्हारे पास सोने की अंगूठियाँ हों तो उन्हें मुझे दे दो।’ लोगों ने मुझे अपना सोना दिया। मैंने इस सोने को आग में फेंका और उस आग से यह बछड़ा आया।”

25 मूसा ने देखा कि हारून ने विद्रोह उत्पन्न किया है। लोग मूर्खों की तरह उग्र व्यवहार इस तरह कर रहे थे कि उनके सभी शत्रु देख सकें। 26 इसलिए मूसा डेरे के द्वार पर खड़ा हुआ। मूसा ने कहा, “कोई व्यक्ति जो यहोवा का अनुसरण करना चाहता है मेरे पास आए” तब लेवी के परिवार के सभी लोग दौड़कर मूसा के पास आए।

27 तब मूसा ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें बताऊँगा कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा क्या कहता है ‘हर व्यक्ति अपनी तलवार अवश्य उठा ले और डेरे के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाये। तुम लोग इन लोगों को अवश्य दण्ड दोगे चाहे किसी व्यक्ति को अपने भाई, मित्र और पड़ोसी को ही क्यों न मारना पड़े।’”

28 लेवी के परिवार के लोगों ने मूसा का आदेश माना। उस दिन इस्राएल के लगभग तीन हज़ार लोग मरे। 29 तब मूसा ने कहा, “यहोवा ने आज तुम को ऐसे लोगों के रूप में चुना है जो अपने पुत्रों और भाईयों को आशीर्वाद देंगे।”

30 अगली सुबह मूसा ने लोगों से कहा, “तुम लोगों ने भयंकर पाप किया है। किन्तु अब मैं यहोवा के पास ऊपर जाऊँगा और ऐसा कुछ कर सकूँगा जिससे वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर दे।” 31 इसलिए मूसा वापस यहोवा के पास गया और उसने कहा, “कृपया सुन! इन लोगों ने बहुत बुरा पाप किया है और सोने का एक देवता बनाया है। 32 अब उन्हें इस पाप के लिये क्षमा कर। यदि तू क्षमा नहीं करेगा तो मेरा नाम उस किताब से मिटा दे जिसे तूने लिखा है।”[a]

33 किन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “जो मेरे विरुद्ध पाप करते हैं केवल वे ही ऐसे लोग हैं जिनका नाम मैं अपनी पुस्तक से मिटाता हूँ। 34 इसलिए जाओ और लोगों को वहाँ ले जाओ जहाँ मैं कहता हूँ। मेरा दूत तुम्हारे आगे आगे चलेगा और तुम्हें रास्ता दिखाएगा। जब उन लोगों को दण्ड देने का समय आएगा जिन्होंने पाप किया है तब उन्हें दण्ड दिया जायेगा।” 35 इसलिए यहोवा ने लोगों में एक भयंकर बीमारी उत्पन्न की। उस ने यह इसलिए किया कि उन लोगों ने हारून से सोने का बछड़ा बनाने को कहा था।

याकूब 1:9-16

सच्चा धन

साधारण परिस्थितियों वाले भाई को गर्व करना चाहिए कि परमेश्वर ने उसे आत्मा का धन दिया है। 10 और धनी भाई को गर्व करना चाहिए कि परमेश्वर ने उसे नम्रता दी है। क्योंकि उसे तो घास पर खिलने वाले फूल के समान झड़ जाना है। 11 सूरज कड़कड़ाती धूप लिए उगता है और पौधों को सुखा डालता है। उनकी फूल पत्तियाँ झड़ जाती हैं और सुन्दरता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार धनी व्यक्ति भी अपनी भाग दौड़ के साथ समाप्त हो जाता है।

परमेश्वर परीक्षा नहीं लेता

12 वह व्यक्ति धन्य है जो परीक्षा में अटल रहता है क्योंकि परीक्षा में खरा उतरने के बाद वह जीवन के उस विजय मुकुट को धारण करेगा, जिसे परमेश्वर ने अपने प्रेम करने वालों को देने का वचन दिया है। 13 परीक्षा की घड़ी में किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है,” क्योंकि बुरी बातों से परमेश्वर को कोई लेना देना नहीं है। वह किसी की परीक्षा नहीं लेता। 14 हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है। 15 फिर जब वह इच्छा गर्भवती होती है तो पाप पूरा बढ़ जाता है और वह मृत्यु को जन्म देता है।

16 सो मेरे प्रिय भाइयों, धोखा मत खाओ।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International