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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
नीतिवचन 9:1-6

सुबुद्धि और दुर्बुद्धि

सुबुद्धि ने अपना घर बनाया है। उसने अपने सात खम्भे गढ़े हैं। उसने अपना भोजन तैयार किया और मिश्रित किया अपना दाखमधु अपनी खाने की मेज पर सजा ली है। और अपनी दासियों को नगर के सर्वोच्च स्थानों से बुलाने को भेजा है। “जो भी भोले भले हैं, यहाँ पर पधारें।” जो विवेकी नहीं, वह उनसे यह कहती है, “आओ, मेरा भोजन करो, और मिश्रित किया हुआ मेरा दाखमधु पिओ। तुम अपनी दुर्बद्धि के मार्ग को छोड़ दो, तो जीवित रहोगे। तुम समझ—बूझ के मार्ग पर आगे बढ़ो।”

भजन संहिता 34:9-14

यहोवा के पवित्र जन को उसकी आराधना करनी चाहिए।
    यहोवा केभक्तों के लिए कोई अन्य सुरक्षित स्थान नहीं है।
10 आज जो बलवान हैं दुर्बल और भूखे हो जाएंगे।
    किन्तु जो परमेश्वर के शरण आते हैं वे लोग हर उत्तम वस्तु पाएंगे।
11 हे बालकों, मेरी सुनो,
    और मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि यहोवा की सेवा कैसे करें।
12 यदि कोई व्यक्ति जीवन से प्रेम करता है,
    और अच्छा और दीर्घायु जीवन चाहता है,
13 तो उस व्यक्ति को बुरा नहीं बोलना चाहिए,
    उस व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
14 बुरे काम मत करो। नेक काम करते रहो।
    शांति के कार्य करो।
    शांति के प्रयासों में जुटे रहो जब तक उसे पा न लो।

इफिसियों 5:15-20

15 इसलिए सावधानी के साथ देखते रहो कि तुम कैसा जीवन जी रहे हो। विवेकहीन का सा आचरण मत करो, बल्कि बुद्धिमान का सा आचरण करो। 16 जो हर अवसर का अच्छे कर्म करने के लिये पूरा-पूरा उपयोग करते हैं, क्योंकि ये दिन बुरे हैं 17 इसलिए मूर्ख मत बनो बल्कि यह जानो कि प्रभु की इच्छा क्या है। 18 मदिरा पान करके मतवाले मत बने रहो क्योंकि इससे कामुकता पैदा होती है। इसके विपरीत आत्मा से परिपूर्ण हो जाओ। 19 आपस में भजनों, स्तुतियों और आध्यात्मिक गीतों का, परस्पर आदानप्रदान करते रहो। अपने मन में प्रभु के लिए गीत गाते उसकी स्तुति करते रहो। 20 हर किसी बात के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम पर हमारे परमपिता परमेश्वर का सदा धन्यवाद करो।

यूहन्ना 6:51-58

51 मैं ही वह जीवित रोटी हूँ जो स्वर्ग से उतरी है। यदि कोई इस रोटी को खाता है तो वह अमर हो जायेगा। और वह रोटी जिसे मैं दूँगा, मेरा शरीर है। इसी से संसार जीवित रहेगा।”

52 फिर यहूदी लोग आपस में यह कहते हुए बहस करने लगे, “यह अपना शरीर हमें खाने को कैसे दे सकता है?”

53 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर नहीं खाओगे और उसका लहू नहीं पिओगे तब तक तुममें जीवन नहीं होगा। 54 जो मेरा शरीर खाता रहेगा और मेरा लहू पीता रहेगा, अनन्त जीवन उसी का है। अन्तिम दिन मैं उसे फिर जीवित करूँगा। 55 मेरा शरीर सच्चा भोजन है और मेरा लहू ही सच्चा पेय है। 56 जो मेरे शरीर को खाता रहता है, और लहू को पीता रहता है वह मुझमें ही रहता है, और मैं उसमें।

57 “बिल्कुल वैसे ही जैसे जीवित पिता ने मुझे भेजा है और मैं परम पिता के कारण ही जीवित हूँ, उसी तरह वह जो मुझे खाता रहता है मेरे ही कारण जीवित रहेगा। 58 यही वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरी है। यह वैसी नहीं है जैसी हमारे पूर्वजों ने खायी थी। और बाद में वे मर गये थे। जो इस रोटी को खाता रहेगा, सदा के लिये जीवित रहेगा।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International