Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 107:1-3

पाँचवाँ भाग

(भजनसंहिता 107–150)

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह उत्तम है।
    उसका प्रेम अमर है।
हर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे यहोवा ने बचाया है, इन राष्ट्रों को कहे।
    हर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे यहोवा ने अपने शत्रुओं से छुड़ाया उसके गुण गाओ।
यहोवा ने निज भक्तों को बहुत से अलग अलग देशों से इकट्ठा किया है।
    उसने उन्हें पूर्व और पश्चिम से, उत्तर और दक्षिण से जुटाया है।

भजन संहिता 107:33-43

33 परमेश्वर ने नदियाँ मरूभूमि में बदल दीं।
    परमेश्वर ने झरनों के प्रवाह को रोका।
34 परमेश्वर ने उपजाऊँ भूमि को व्यर्थ की रेही भूमि में बदल दिया।
    क्यों क्योंकि वहाँ बसे दुष्ट लोगों ने बुरे कर्म किये थे।
35 और परमेश्वर ने मरूभूमि को झीलों की धरती में बदला।
    उसने सूखी धरती से जल के स्रोत बहा दिये।
36 परमेश्वर भूखे जनों को उस अच्छी धरती पर ले गया
    और उन लोगों ने अपने रहने को वहाँ एक नगर बसाया।
37 फिर उन लोगों ने अपने खेतों में बीजों को रोप दिया।
    उन्होंने बगीचों में अंगूर रोप दिये, और उन्होंने एक उत्तम फसल पा ली।
38 परमेश्वर ने उन लोगों को आशिर्वाद दिया। उनके परिवार फलने फूलने लगे।
    उनके पास बहुत सारे पशु हुए।
39 उनके परिवार विनाश और संकट के कारण छोटे थे
    और वे दुर्बल थे।
40 परमेश्वर ने उनके प्रमुखों को कुचला और अपमानित किया था।
    परमेश्वर ने उनको पथहीन मरूभूमि में भटकाया।
41 किन्तु परमेश्वर ने तभी उन दीन लोगों को उनकी याचना से बचा कर निकाल लिया।
    अब तो उनके घराने बड़े हैं, उतने बड़े जितनी भेड़ों के झुण्ड।
42 भले लोग इसको देखते हैं और आनन्दित होते हैं,
    किन्तु कुटिल इसको देखते हैं और नहीं जानते कि वे क्या कहें।
43 यदि कोई व्यक्ति विवेकी है तो वह इन बातों को याद रखेगा।
    यदि कोई व्यक्ति विवेकी है तो वह समझेगा कि सचमुच परमेश्वर का प्रेम कैसा है।

यशायाह 55:1-9

परमेश्वर ऐसा भोजन देता है जिससे सच्ची तृप्ति मिलती है

55 “हे प्यासे लोगों, जल के पास आओ।
    यदि तुम्हारे पास धन हीं है तो इसकी चिन्ता मत करो।
आओ, खाना लो और खाओ।
    आओ, भोजन लो।
तुम्हें इसकी कीमत देने की आवश्यकता नहीं है।
    बिना किसी कीमत के दूध और दाखमधु लो।
व्यर्थ ही अपना धन ऐसी किसीवस्तु पर क्यों बर्बाद करते हो जो सच्चा भोजन नहीं है
    ऐसी किसी वस्तु के लिये क्यों श्रम करते हो जो सचमुच में तुम्हें तृप्त नहीं करती
मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम सच्चा भोजन पाओगे।
    तुम उस भोजन का आनन्द लोगे। जिससे तुम्हारा मन तृप्त हो जायेगा।
जो कुछ मैं कहता हूँ, ध्यान से सुनो।
    मुझ पर ध्यान दो कि तुम्हारा प्राण सजीव हो।
तुम मेरे पास आओ और मैं तुम्हारे साथ एक वाचा करूँगा जो सदा—सदा के लिये बना रहेगा।
    यह वाचा वैसी ही होगी जैसी वाचा दाऊद के संग मैंने की थी।
मैंने दाऊद को वचन दिया था कि मैं उस पर सदा करूणा करूँगा
    और तुम उस वाचा के भरोसे रह सकते हो।
मैंने अपनी उस शक्ति का दाऊद को साक्षी बनाया था जो सभी राष्ट्रों के लिये थी।
    मैंने दाऊद का बहुत देशों का प्रशासक और उनका सेनापति बनाया था।”

अनेक अज्ञात देशों में अनेक अनजानी जातियाँ हैं।
    तू उन सभी जातियों को बुलायेगा, जो जातियाँ तुझ से अपरिचित हैं
किन्तु वे भागकर तेरे पास आयेंगी। ऐसा घटेगा क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा ऐसा ही चाहता है।
    ऐसा घटेगा क्योंकि वह इस्राएल का पवित्र तुझको मान देता है।
सो तुम यहोवा को खोजो।
    कहीं बहुत देर न हो जाये।
अब तुम उसको पुकार लो जब तक वह तुम्हारे पास है।
हे पापियों! अपने पापपूर्ण जीवन को त्यागो।
    तुमको चाहिये कि तुम बुरी बातें सोचना त्याग दो।
तुमको चाहिये कि तुम यहोवा के पास लौट आओ।
    जब तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम्हें सुख देगा।
उन सभी को चाहिये कि वे यहोवा की शरण में आयें क्योंकि परमेश्वर हमें क्षमा करता है।

लोग परमेश्वर को नहीं समझ पायेंगे

यहोवा कहता है, “तुम्हारे विचार वैसे नहीं, जैसे मेरे हैं।
    तुम्हारी राहें वैसी नहीं जैसी मेरी राहें हैं।
जैसे धरती से ऊँचे स्वर्ग हैं वैसे ही तुम्हारी राहों से मेरी राहें ऊँची हैं
    और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।”
ये बातें स्वयं यहोवा ने ही कहीं हैं।

मरकुस 8:1-10

चार हज़ार को भोजन

(मत्ती 15:32-39)

उन्हीं दिनों एक दूसरे अवसर पर एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई। उनके पास खाने को कुछ नहीं था। यीशु ने अपने शिष्यों को पास बुलाया और उनसे कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आ रहा है क्योंकि इन लोगों को मेरे साथ तीन दिन हो चुके हैं और उनके पास खाने को कुछ नहीं है। और यदि मैं इन्हें भूखा ही घर भेज देता हूँ तो वे मार्ग में ही ढेर हो जायेंगे। कुछ तो बहुत दूर से आये हैं।”

उसके शिष्यों ने उत्तर दिया, “इस जंगल में इन्हें खिलाने के लिये किसी को पर्याप्त भोजन कहाँ से मिल सकता है?”

फिर यीशु ने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?”

उन्होंने उत्तर दिया, “सात।”

फिर उसने भीड़ को धरती पर नीचे बैठ जाने की आज्ञा दी। और उसने वे सात रोटियाँ लीं, धन्यवाद किया और उन्हें तोड़ कर बाँटने के लिये अपने शिष्यों को दिया। और फिर उन्होंने भीड़ के लोगों में बाँट दिया। उनके पास कुछ छोटी मछलियाँ भी थीं, उसने धन्यवाद करके उन्हें भी बाँट देने को कहा।

लोगों ने भर पेट भोजन किया और फिर उन्होंने बचे हुए टुकड़ों को इकट्ठा करके सात टोकरियाँ भरीं। वहाँ कोई चार हज़ार पुरुष रहे होंगे। फिर यीशु ने उन्हें विदा किया। 10 और वह तत्काल अपने शिष्यों के साथ नाव में बैठ कर दलमनूता प्रदेश को चला गया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International