Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यिर्मयाह 23:1-6

23 “यहूदा के गडरियों (प्रमुखों) के लिये यह बहुत बुरा होगा। वे गडेरिये भेड़ों को नष्ट कर रहें हैं। वे भेड़ों को मेरी चरागाह से चारों ओर भगा रहे हैं।” यह सन्देश यहोवा का है।

वे गडेरिये (प्रमुख) मेरे लोगों के लिये उत्तरदायी हैं, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा उन गडेरियों से यह कहता है, “गडेरियों (प्रमुखों), तुमने मेरी भेड़ों को चारों ओर भगाया है। तुमने उन्हें चले जाने को विवश किया है। तुमने उनकी देखभाल नहीं रखी है। किन्तु मैं तुम लोगों को देखूँगा, मैं तुम्हें उन बुरे कामों के लिये दण्ड दूँगा जो तुमने किये हैं।” यह सन्देश यहोवा के यहाँ से है। “मैंने अपनी भेड़ों (लोगों) को विभिन्न देशों में भेजा। किन्तु मैं अपनी उन भेड़ों (लोगों) को एक साथ इकट्ठी करुँगा जो बची रह गई हैं और मैं उन्हें उनकी चरागाह (देश) में लाऊँगा। जब मेरी भेड़ें (लोग) अपनी चरागाह (देश) में वापस आएंगी तो उनके बहुत बच्चे होंगे और उनकी संख्या बढ़ जाएगी। मैं अपनी भेड़ों के लिये नये गडेरिये (प्रमुख) रखूँगा वे गडेरिये (प्रमुख) मेरी भेड़ों (लोगों) की देखभाल करेंगे और मेरी भेड़ें (लोग) भयभीत या डरेंगी नहीं। मेरी भेड़ों (लोगों) में से कोई खोएगी नहीं।” यह सन्देश यहोवा का है।

सच्चा “अंकुर”

यह सन्देश यहोवा का है:
“समय आ रहा है
    जब मैं दाऊद के कुल में एक सच्चा ‘अंकुर’ उगाऊँगा।
वह ऐसा राजा होगा जो बुद्धिमत्ता से शासन करेगा
    और वह वही करेगा जो देश में उचित और न्यायपूर्ण होगा।
उस सच्चे अंकुर के समय में
    यहूदा के लोग सुरक्षित रहेंगे और इस्राएल सुरक्षित रहेगा।
उसका नाम यह होगा
    यहोवा हमारी सच्चाई हैं।”

भजन संहिता 23

दाऊद का एक पद।

यहोवा मेरा गडेरिया है।
    जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।
हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है।
    वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।
वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है।
    वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है।
मैं मृत्यु की अंधेरी घाटी से गुजरते भी नहीं डरुँगा,
    क्योंकि यहोवा तू मेरे साथ है।
    तेरी छड़ी, तेरा दण्ड मुझको सुख देते हैं।
हे यहोवा, तूने मेरे शत्रुओं के समक्ष मेरी खाने की मेज सजाई है।
    तूने मेरे शीश पर तेल उँडेला है।
    मेरा कटोरा भरा है और छलक रहा है।
नेकी और करुणा मेरे शेष जीवन तक मेरे साथ रहेंगी।
    मैं यहोवा के मन्दिर में बहुत बहुत समय तक बैठा रहूँगा।

इफिसियों 2:11-22

मसीह में एक

11 इसलिए याद रखो, वे लोग, जो अपने शरीर में मानव हाथों द्वारा किये गये ख़तने के कारण अपने आपको “ख़तना युक्त” बताते हैं, विधर्मी के रूप में जन्मे तुम लोगों को “ख़तना रहित” कहते थे। 12 उस समय तुम बिना मसीह के थे, तुम इस्राएल की बिरादरी से बाहर थे। परमेश्वर ने अपने भक्तों को जो वचन दिए थे उन पर आधारित वाचा से अनजाने थे। तथा इस संसार में बिना परमेश्वर के निराश जीवन जीते थे। 13 किन्तु अब तुम्हें, जो कभी परमेश्वर से बहुत दूर थे, मसीह के बलिदान के द्वारा मसीह यीशु में तुम्हारी स्थिति के कारण, परमेश्वर के निकट ले आया गया है।

14 यहूदी और ग़ैर यहूदी आपस में एक दूसरे से नफ़रत करते थे और अलग हो गये थे। ठीक ऐसे जैसे उन के बीच कोई दीवार खड़ी हो। किन्तु मसीह ने स्वयं अपनी देह का बलिदान देकर नफ़रत की उस दीवार को गिरा दिया। 15 उसने ऐसा तब किया जब अपने समूचे नियमों और व्यवस्थाओं के विधान को समाप्त कर दिया। उसने ऐसा इसलिए किया कि वह अपने में इन दोनों को ही एक में मिला सकें। और इस प्रकार मिलाप करा दे। क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा उसने उस घृणा का अंत कर दिया। और उन दोनों को परमेश्वर के साथ उस एक देह में मिला दिया। 16 और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा बैर भाव का नाश करके एक ही देह में उन दोनों को संयुक्त करके परमेश्वर से फिर मिला दे। 17 सो आकर उसने तुम्हें, जो परमेश्वर से बहुत दूर थे और जो उसके निकट थे, उन्हें शांति का सुसमाचार सुनाया। 18 क्योंकि उसी के द्वारा एक ही आत्मा से परम पिता के पास तक हम दोनों की पहुँच हुई।

19 परिणामस्वरूप अब तुम न अनजान रहे और न ही पराये। बल्कि अब तो तुम संत जनों के स्वदेशी संगी-साथी हो गये हो। 20 तुम एक ऐसा भवन हो जो प्रेरितों और नबियों की नींव पर खड़ा है। तथा स्वयं मसीह यीशु जिसका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कोने का पत्थर है। 21-22 मसीह में स्थित एक ऐसे स्थान की रचना के रूप में दूसरे लोगों के साथ तुम्हारा भी निर्माण किया जा रहा है, जहाँ आत्मा के द्वारा स्वयं परमेश्वर निवास करता है।

मरकुस 6:30-34

यीशु का पाँच हजार से अधिक को भोजन कराना

(मत्ती 14:13-21; लूका 9:10-17; यूहन्ना 6:1-14)

30 फिर दिव्य संदेश का प्रचार करने वाले प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर जो कुछ उन्होंने किया था और सिखाया था, सब उसे बताया। 31 फिर यीशु ने उनसे कहा, “तुम लोग मेरे साथ किसी एकांत स्थान पर चलो और थोड़ा आराम करो।” क्योंकि वहाँ बहुत लोगों का आना जाना लगा हुआ था और उन्हें खाने तक का मौका नहीं मिल पाता था।

32 इसलिये वे अकेले ही एक नाव में बैठ कर किसी एकांत स्थान को चले गये। 33 बहुत से लोगों ने उन्हें जाते देखा और पहचान लिया कि वे कौन थे। इसलिये वे सारे नगरों से धरती के रास्ते चल पड़े और उनसे पहले ही वहाँ जा पहुँचे। 34 जब यीशु नाव से बाहर निकला तो उसने एक बड़ी भीड़ देखी। वह उनके लिए बहुत दुखी हुआ क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों जैसे थे। सो वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।

मरकुस 6:53-56

यीशु का अनेक रोगियों को चंगा करना

(मत्ती 14:34-36)

53 झील पार करके वे गन्नेसरत पहुँचे। उन्होंने नाव बाँध दी। 54 जब वे नाव से उतर कर बाहर आये तो लोग यीशु को पहचान गये। 55 फिर वे बीमारों को खाटों पर डाले समूचे क्षेत्र में जहाँ कहीं भी, उन्होंने सुना कि वह है, उन्हें लिये दौड़ते फिरे। 56 वह गावों में, नगरों में या बस्तियों में, जहाँ कहीं भी जाता, लोग अपने बीमारों को बाज़ारों में रख देते और उससे विनती करते कि वह अपने वस्त्र का बस कोई सिरा ही उन्हें छू लेने दे। और जो भी उसे छू पाये, सब चंगे हो गये।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International