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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 85:8-13

जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
    यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
    यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
    अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
    नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
    और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
    धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
    और वह उसके लिये राह बनायेगी।

आमोस 4:6-13

“मैंने तुम्हें अपने पास बुलाने के लिये कई काम किये। मैंने तुम्हें खाने को कुछ भी नहीं दिया। तुम्हारे किसी भी नगर में भोजन नहीं था। किन्तु तुम मेरे पास वापस नहीं लौटे।” यहोवा ने यह सब कहा।

“मैंने वर्षा भी बन्द की और यह फसल पकने के तीन महीने पहले हुआ। अत: कोई फसल नहीं हुई। तब मैंने एक नगर पर वर्षा होने दी किन्तु दूसरे नगर पर नहीं। वर्षा देश के एक हिस्से में हुई। किन्तु देश के अन्य भागों में भूमि बहुत सूख गई। अत: दो या तीन नगरों से लोग पानी लेने के लिये दूसरे नगरों को लड़खड़ाते हुए गए किन्तु वहाँ भी हर एक व्यक्ति के लिये पर्याप्त जल नहीं मिला। तो भी तुम मेरे पास सहायता के लिये नहीं आए।” यहोवा ने यह सब कहा।

“मैंने तुम्हारी फसलों को गर्मी और बीमारी से मार डाला। मैंने तुम्हारे बागों और अंगूर के बगीचों को नष्ट किया। टिड्डियों ने तुम्हारे अंजीर के पेड़ों और जैतून के पेड़ों को खा डाला। किन्तु तुम फिर भी मेरे पास सहायता के लिये नहीं आए।” यहोवा ने यह सब कहा।

10 “मैंने तुम्हारे विरूद्ध महामारियाँ वैसे ही भेजीं जैसे मैंने मिस्र में भेजी थीं। मैंने तुम्हारे युवकों को तलवार के घाट उतार दिया। मैंने तुम्हारे घोड़े ले लिये। मैंने तुम्हारे डेरों को शवों की दुर्गन्ध से भरा। किन्तु तब भी तुम मेरे पास सहायता को वापस नहीं लौटे।” यहोवा ने यह सब कहा।

11 “मैने तुम्हें वैसे ही नष्ट किया जैसे मैंने सदोम और अमोरा को नष्ट किया था और वे नगर पूरी तरह नष्ट किये गये थे। तुम आग से खींची गई जलती लकड़ी की तरह थे। किन्तु तुम फिर भी सहायता के लिये मेरे पास नही लौटे।” यहोवा ने यह सब कहा।

12 “अत: इस्राएल, मैं तुम्हारे साथ यह सब करूँगा। मैं तुम्हारे साथ यह करूँगा। इस्राएल, अपने परमेश्वर से मिलने के लिये तैयार हो जाओ!”

13 मैं कौन हूँ मैं वही हूँ जिसने पर्वतों को बनाया।
    मैंने तुम्हारा प्राण बनाया।
    मैंने लोगों को अपने विचार बनाए।
मैं ही सुबह को शाम में बदलता हूँ।
    मैं पृथ्वी के ऊपर के पर्वतों पर चलता हूँ।
    मैं कौन हूँ मेरा नाम यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर है।

लूका 1:57-80

यूहन्ना का जन्म

57 फिर इलीशिबा का बच्चे को जन्म देने का समय आया और उसके घर एक पुत्र पैदा हुआ। 58 जब उसके पड़ोसियों और उसके परिवार के लोगों ने सुना कि प्रभु ने उस पर दया दर्शायी है तो सबने उसके साथ मिल कर हर्ष मनाया।

59 और फिर ऐसा हुआ कि आठवें दिन बालक का ख़तना करने के लिए लोग वहाँ आये। वे उसके पिता के नाम के अनुसार उसका नाम जकरयाह रखने जा रहे थे, 60 तभी उसकी माँ बोल उठी, “नहीं, इसका नाम तो यूहन्ना रखा जाना है।”

61 तब वे उससे बोले, “तुम्हारे किसी भी सम्बन्धी का यह नाम नहीं है।” 62 और फिर उन्होंने संकेतों में उसके पिता से पूछा कि वह उसे क्या नाम देना चाहता है?

63 इस पर जकरयाह ने उनसे लिखने के लिये एक तख्ती माँगी और लिखा, “इसका नाम है यूहन्ना।” इस पर वे सब अचरज में पड़ गये। 64 तभी तत्काल उसका मुँह खुल गया और उसकी वाणी फूट पड़ी। वह बोलने लगा और परमेश्वर की स्तुति करने लगा। 65 इससे सभी पड़ोसी डर गये और यहूदिया के सारे पहाड़ी क्षेत्र में लोगों में इन सब बातों की चर्चा होने लगी। 66 जिस किसी ने भी यह बात सुनी, अचरज में पड़कर कहने लगा, “यह बालक क्या बनेगा?” क्योंकि प्रभु का हाथ उस पर है।

जकरयाह की स्तुति

67 तब उसका पिता जकरयाह पवित्र आत्मा से अभिभूत हो उठा और उसने भविष्यवाणी की:

68 “इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की जय हो
    क्योंकि वह अपने लोगों की सहायता के लिए आया और उन्हें स्वतन्त्र कराया।
69 उसने हमारे लिये अपने सेवक
    दाऊद के परिवार से एक रक्षक प्रदान किया।
70 जैसा कि उसने बहुत पहले अपने पवित्र
    भविष्यवक्ताओं के द्वारा वचन दिया था।
71 उसने हमें हमारे शत्रुओं से और उन सब के हाथों से,
    जो हमें घृणा करते थे, हमारे छुटकारे का वचन दिया था।
72 हमारे पुरखों पर दया दिखाने का
    अपने पवित्र वचन को याद रखने का।
73 उसका वचन था एक वह शपथ जो हमारे पूर्वज इब्राहीम के साथ ली गयी थी
74     कि हमारे शत्रुओं के हाथों से हमारा छुटकारा हो
    और बिना किसी डर के प्रभु की सेवा करने की अनुमति मिले।
75     और अपने जीवन भर हर दिन उसके सामने हम पवित्र और धर्मी रह सकें।

76 “हे बालक, अब तू परमप्रधान का नबी कहलायेगा,
    क्योंकि तू प्रभु के आगे-आगे चल कर उसके लिए राह तैयार करेगा।
77 और उसके लोगों से कहेगा कि उनके पापों की क्षमा द्वारा उनका उद्धार होगा।

78 “हमारे परमेश्वर के कोमल अनुग्रह से
    एक नये दिन का प्रभात हम पर ऊपर से उतरेगा।
79 उन पर चमकने के लिये जो मौत की गहन छाया में जी रहे हैं
ताकि हमारे चरणों को शांति के मार्ग की दिशा मिले।”

80 इस प्रकार वह बालक बढ़ने लगा और उसकी आत्मा दृढ़ से दृढ़तर होने लगी। वह जनता में प्रकट होने से पहले तक निर्जन स्थानों में रहा।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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