Revised Common Lectionary (Complementary)
8 जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
9 परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
और वह उसके लिये राह बनायेगी।
इस्राएल को चेतावनी
3 इस्राएल के लोगों, इस सन्देश को सुनो! यहोवा ने तुम्हारे बारे में यह सब कहा है! यह सन्देश उन सभी परिवारों (इस्राएल) के लिये है जिन्हें मैं मिस्र देश से बाहर लाया हूँ। 2 “पृथ्वी पर अनेक परिवार हैं। किन्तु तुम अकेले परिवार हो जिसे मैंने विशेष ध्यान देने के लिये चुना। किन्तु तुम मेरे विरूद्ध हो गए। अत: मैं तुम्हारे सभी पापों के लिये दण्ड दूँगा।”
इस्राएल को दण्ड देने का कारण
3 दो व्यक्ति तब तक एक साथ नहीं चल सकते
जब तक वे कोई वाचा न करें!
4 जंगल में सिंह अपने शिकार को पकड़ने के बाद ही गरजता है।
यदि कोई जवान सिंह अपनी माँद में गरज रहा हो तो
उसका संकेत यही है कि
उ सने अपने शिकार को पकड़ लिया है।
5 काई चिड़िया भूमि पर जाल में तब तक नहीं पड़ेगी
जब तक उसमें कोई चुग्ग न हो
यदि जाल बन्द हो जाये तो
वह चिड़िया को फँसा लेगा।
6 यदि कोई तुरही खतरे की चेतावनी देगी तो
लोग भय से अवश्य काँप उठेंगे।
यदि काई विपत्ति किसी नगर में आई हो तो
उसे यहोवा ने भेजा।
7 मेरा स्वामी यहोवा कुछ भी करने का निश्चय कर सकता है। किन्तु कुछ भी करने से पहले वह अपने सेवक नबियों को अपनी छिपी योजना बतायेगा। 8 यदि कोई सिंह दहाड़ेगा तो लोग भयभीत होंगे। यदि यहोवा कुछ भविष्यवक्ता से कहेगा तो वह भविष्यवाणी करेगा।
9-10 अशदोद और मिस्र के ऊँचे किलों पर जाओ और इस सन्देश की घोषणा करो: “शोमरोन के पर्वतों पर जाओ। वहाँ तुम बड़ी गड़बड़ी पाओगे। क्यों क्योंकि लोग नहीं जानते कि ठीक कैसे रहा जाता है। वे अन्य लोगों के प्रति क्रूर थे। वे अन्य लोगों से चीजें लेते थे और उन चीजों को अपने ऊँचे किलों में छिपाते थे। उनके खजाने युद्ध में ली गई उनकी चीजों से भरे हैं।”
11 अत: यहोवा कहता है, “उस देश में एक शत्रु आएगा। वह शत्रु तुम्हारी शक्ति ले लेगा। वह उन चीजों को ले लेगा जिन्हें तुमने अपने ऊँचे किलों में छिपा रखा है।”
12 यहोवा यह कहता है,
“जैसे जब कोई सिंह किसी मेमने पर झपटता है
तो गड़ेरया उस मेमने का केवल
कोई हिस्सा ही बचा सकता है।
वह सिंह के मुँह से उसके दो पैर,
या उसके कान के एक हिस्से को हीखींच सकता है।
ठीक इसी तरह इस्राएल के अधिक लोग
नहीं बचाये जा सकेंगे।
सामारिया में रहने वाले लोग अपने बिछौने का कोई कोना
या अपनी चौकी का कोई पाया ही बचा पाएंगे।”
पौलुस की मसीहियों के लिये सलाह
2 प्रार्थना में सदा लगे रहो। और जब तुम प्रार्थना करो तो सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहो। 3 साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करो कि परमेश्वर हमें अपने संदेश के प्रचार का तथा मसीह से सम्बन्धित रहस्यपूर्ण सत्य के प्रवचन का अवसर प्रदान करे क्योंकि इसके कारण ही मैं बन्दीगृह में हूँ। 4 प्रार्थना करो कि मैं इसे ऐसे स्पष्टता के साथ बता सकूँ जैसे मुझे बताना चाहिए।
5 बाहर के लोगों के साथ विवेकपूर्ण व्यवहार करो। हर अवसर का पूरा-पूरा उपयोग करो। 6 तुम्हारी बोली सदा मीठी रहे और उससे बुद्धि की छटा बिखरे ताकि तुम जान लो कि किस व्यक्ति को कैसे उत्तर देना है।
पौलुस के साथियों के समाचार
7 हमारा प्रिय बन्धु तुखिकुस जो एक विश्वासी सेवक और प्रभु में स्थित साथी दास है, तुम्हें मेरे सभी समाचार बता देगा। 8 मैं उसे तुम्हारे पास इसलिए भेज रहा हूँ कि तुम्हें उससे हमारे हालचाल का पता चल जाये वह तुम्हारे हृदयों को प्रोत्साहित करेगा। 9 मैं अपने विश्वासी तथा प्रिय बन्धु उनेसिमुस को भी उसके साथ भेज रहा हूँ जो तुम्हीं में से एक है। वे, यहाँ जो कुछ घट रहा है, उसे तुम्हें बतायेंगे।
10 अरिस्तरखुस का जो बन्दीगृह में मेरे साथ रहा है तथा बरनाबास के बन्धु मरकुस का तुम्हें नमस्कार, (उसके विषय में तुम निर्देश पा ही चुके हो कि यदि वह तुम्हारे पास आये तो उसका स्वागत करना), 11 यूसतुस कहलाने वाले यीशु का भी तुम्हें नमस्कार पहुँचे। यहूदी विश्वासियों में बस ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे साथ काम कर रहे हैं। ये मेरे लिये आनन्द का कारण रहे हैं।
12 इपफ्रास का भी तुम्हें नमस्कार पहुँचे। वह तुम्हीं में से एक है और मसीह यीशु का सेवक है। वह सदा बड़ी वेदना के साथ तुम्हारे लिये लगनपूर्वक प्रार्थना करता रहता है कि तुम आध्यात्मिक रूप से सम्पूर्ण बनने के लिये विकास करते रहो। तथा विश्वासपूर्वक परमेश्वर की इच्छा के अनुकूल बने रहो। 13 मैं इसका साक्षी हूँ कि वह तुम्हारे लिये और लौदीकिया तथा हियरापुलिस के रहने वालों के लिये सदा कड़ा परिश्रम करता रहा है। 14 प्रिय चिकित्सक लूका तथा देमास तुम्हें नमस्कार भेजते हैं।
15 लौदीकिया में रहने वाले भाइयों को तथा नमुफास और उस कलीसिया को जो उसके घर में जुड़ती है, नमस्कार पहुँचे। 16 और देखो, पत्र जब तुम्हारे सम्मुख पढ़ा जा चुके, तब इस बात का निश्चय कर लेना कि इसे लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़वा दिया जाये। और लौदीकिया से मेरा जो पत्र तुम्हें मिले, उसे तुम भी पढ़ लेना। 17 अखिप्पुस से कहना कि वह इस बात का ध्यान रखे कि प्रभु में जो सेवा उसे सौंपी गयी है, वह उसे निश्चय के साथ पूरा करे।
18 मैं पौलुस स्वयं अपनी लेखनी से यह नमस्कार लिख रहा हूँ। याद रखना मैं कारागार में हूँ, परमेश्वर का अनुग्रह तुम्हारे साथ रहे।
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