Revised Common Lectionary (Complementary)
1 यहोवा का मान करो क्योंकि वह परमेश्वर है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!
2 इस्राएल यह कहता है,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
14 यहोवा मेरी शक्ति और मेरा विजय गीत है।
यहोवा मेरी रक्षा करता है।
15 सज्जनों के घर में जो विजय पर्व मन रहा तुम उसको सुन सकते हो।
देखो, यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर दिखाई है।
16 यहोवा की भुजाये विजय में उठी हुई हैं।
देखो यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर से दिखाई।
17 मैं जीवित रहूँगा, मैं मरूँगा नहीं,
और जो कर्म यहोवा ने किये हैं, मैं उनका बखान करूँगा।
18 यहोवा ने मुझे दण्ड दिया
किन्तु मरने नहीं दिया।
19 हे पुण्य के द्वारों तुम मेरे लिये खुल जाओ
ताकि मैं भीतर आ पाऊँ और यहोवा की आराधना करूँ।
20 वे यहोवा के द्वार है।
बस केवल सज्जन ही उन द्वारों से होकर जा सकते हैं।
21 हे यहोवा, मेरी विनती का उत्तर देने के लिये तेरा धन्यवाद।
मेरी रक्षा के लिये मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ।
22 जिसको राज मिस्त्रियों ने नकार दिया था
वही पत्थर कोने का पत्थर बन गया।
23 यहोवा ने इसे घटित किया
और हम तो सोचते हैं यह अद्भुत है!
24 यहोवा ने आज के दिन को बनाया है।
आओ हम हर्ष का अनुभव करें और आज आनन्दित हो जाये!
स्त्री का वचन
3 हर रात अपनी सेज पर
मैं अपने मन में उसे ढूँढती हूँ।
जो पुरुष मेरा प्रिय है, मैंने उसे ढूँढा है,
किन्तु मैंने उसे नहीं पाया!
2 अब मैं उठूँगी!
मैं नगर के चारों गलियों,
बाज़ारों में जाऊँगी।
मैं उसे ढूढूँगी जिसको मैं प्रेम करती हूँ।
मैंने वह पुरुष ढूँढा
पर वह मुझे नहीं मिला!
3 मुझे नगर के पहरेदार मिले।
मैंने उनसे पूछा, “क्या तूने उस पुरुष को देखा जिसे मैं प्यार करती हूँ?”
4 पहरेदारों से मैं अभी थोड़ी ही दूर गई
कि मुझको मेरा प्रियतम मिल गया!
मैंने उसे पकड़ लिया और तब तक जाने नहीं दिया
जब तक मैं उसे अपनी माता के घर में न ले आई
अर्थात् उस स्त्री के कक्ष में जिसने मुझे गर्भ में धरा था।
स्त्री का वचन स्त्रियों के प्रति
5 यरूशलेम की कुमारियों, कुरंगों
और जंगली हिरणियों को साक्षी मान कर मुझको वचन दो,
प्रेम को मत जगाओ,
प्रेम को मत उकसाओ, जब तक मैं तैयार न हो जाऊँ।
वह और उसकी दुल्हिन
6 यह कुमारी कौन है
जो मरुभूमि से लोगों की इस बड़ी भीड़ के साथ आ रही है?
धूल उनके पीछे से यूँ उठ रही है मानों
कोई धुएँ का बादल हो।
जो धूआँ जलते हुए गन्ध रस, धूप और अन्य गंध मसाले से निकल रही हो।
7 सुलैमान की पालकी को देखो!
उसकी यात्रा की पालकी को साठ सैनिक घेरे हुए हैं।
इस्राएल के शक्तिशाली सैनिक!
8 वे सभी सैनिक तलवारों से सुसज्जित हैं
जो युद्ध में निपुण हैं; हर व्यक्ति की बगल में तलवार लटकती है,
जो रात के भयानक खतरों के लिये तत्पर हैं!
9 राजा सुलैमान ने यात्रा हेतु अपने लिये एक पालकी बनवाई है,
जिसे लबानोन की लकड़ी से बनाया गया है।
10 उसने यात्रा की पालकी के बल्लों को चाँदी से बनाया
और उसकी टेक सोने से बनायी गई।
पालकी की गद्दी को उसने बैंगनी वस्त्र से ढँका
और यह यरूशलेम की पुत्रियों के द्वारा प्रेम से बुना गया था।
11 सिय्योन के पुत्रियों, बाहर आ कर
राजा सुलैमान को उसके मुकुट के साथ देखो
जो उसको उसकी माता ने
उस दिन पहनाया था जब वह ब्याहा गया था,
उस दिन वह बहुत प्रसन्न था!
यीशु का फिर से जी उठना
(मत्ती 28:1-8; लूका 24:1-12; यूहन्ना 20:1-10)
16 सब्त का दिन बीत जाने पर मरियम मगदलीनी, सलौमी और याकूब की माँ मरियम ने यीशु के शव का अभिषेक कर पाने के लिये सुगन्ध-सामग्री मोल ली। 2 सप्ताह के पहले दिन बड़ी सुबह सूरज निकलते ही वे कब्र पर गयीं। 3 वे आपस में कह रही थीं, “हमारे लिये कब्र के द्वार पर से पत्थर को कौन सरकाएगा?”
4 फिर जब उन्होंने आँख उठाई तो देखा कि वह बहुत बड़ा पत्थर वहाँ से हटा हुआ है। 5 फिर जब वे कब्र के भीतर गयीं तो उन्होंने देखा कि श्वेत वस्त्र पहने हुए एक युवक दाहिनी ओर बैठा है। वे सहम गयीं।
6 फिर युवक ने उनसे कहा, “डरो मत, तुम जिस यीशु नासरी को ढूँढ रही हो, जिसे क्रूस पर चढ़ाया गया था, वह जी उठा है! वह यहाँ नहीं है। इस स्थान को देखो जहाँ उन्होंने उसे रखा था। 7 अब तुम जाओ और उसके शिष्यों तथा पतरस से कहो कि वह तुम से पहले ही गलील जा रहा है जैसा कि उसने तुमसे कहा था, वह तुम्हें वहीं मिलेगा।”
8 तब भय और अचरज मे डूबी वे कब्र से बाहर निकल कर भाग गयीं। उन्होंने किसी को कुछ नहीं बताया क्योंकि वे बहुत घबराई हुई थीं।[a]
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