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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
निर्गमन 12:1-4

फसह पर्व के निर्देश

12 मूसा और हारून जब मिस्र में ही थे, यहोवा ने उनसे कहा, “यह महीना तुम लोगों के लिए वर्ष का पहला महीना होगा। इस्राएल की पूरी जाति के लिए यह आदेश है: इस महीने के दसवें दिन हर एक व्यक्ति अपने परिवार के लोगों के लिए एक मेमना अवश्य प्राप्त करेगा। यदि पूरा मेमना खा सकने वाले पर्याप्त आदमी अपने परिवारों में न हों तो उस भोजन में सम्मिलित होने के लिए अपने कुछ पड़ोसियों को निमन्त्रित करना चाहिए। खाने के लिए हर एक को पर्याप्त मेमना होना चाहिए।

निर्गमन 12:5-10

एक वर्ष का यह नर मेमना दोषरहित होना चाहिए। यह जानवर या तो एक भेड़ का बच्चा हो सकता है या बकरे का बच्चा। तुम्हें इस जानवर को महीने के चौदहवें दिन तक सावधानी के साथ रखना चाहिए। उस दिन इस्राएल जाति के सभी लोग सन्ध्या काल में इन जानवरों को मारेंगे। इन जानवरों का खून तुम्हें इकट्ठा करना चाहिए। कुछ खून उन घरों के दरवाजों की चौखटों के ऊपरी सिरे तथा दोनों पटों पर लगाना चाहिए जिन घरों में लोग यह भोजन करें।

“इस रात को तुम मेमने को अवश्य भून लेना और उसका माँस खा जाना। तुम्हें कड़वी जड़ी—बूटियों और अखमीरी रोटियाँ भी खानी चाहिए। तुम्हें मेमने को पानी में उवालना नहीं चाहिए। तुम्हें पूरे मेमने को आग पर भूनना चाहिए। इस दशा में भी मेमने का सिर, उसके पैर तथा उसका भीतरी भाग ठीक बना रहना चाहिए। 10 उसी रात को तुम्हें सारा माँस अवश्य खा लेना चाहिए। यदि थोड़ा माँस सबेरे तक बच जाये तो उसे आग में अवश्य ही जला देना चाहिए।

निर्गमन 12:11-14

11 “जब तुम भोजन करो तो ऐसे वस्त्रों को पहनो जैसे तुम लोग यात्रा पर जा रहे हो तुम लोगों के लबादे तुम्हारी पेटियों में कसे होने चाहिए। तुम लोग अपने जूते पहने रहना और अपनी यात्रा की छड़ी को अपने हाथों में रखना। तुम लोगों को शीघ्रता से भोजन कर लेना चाहिए। क्यों? क्योंकि यह यहोवा का फसह है वह समय जब यहोवा ने अपने लोगों की रक्षा की और उन्हें शीघ्रता से मिस्र के बाहर ले गया।

12 “आज रात मैं मिस्र से होकर गुजरूँगा और मिस्र में प्रत्येक पहलौठे पुत्र को मार डालूँगा। मैं सभी पहलौठे जानवरों और मनुष्यों को मार डालूँगा। मैं मिस्र के सभी देवताओं को दण्ड दूँगा और दिखा दूँगा कि मैं यहोवा हूँ। 13 किन्तु तुम लोगों के घरों पर लगा हुआ खून एक विशेष चिन्ह होगा। जब मैं खून देखूँगा, तो तुम लोगों के घरों को छोड़ता हुआ गुजर जाऊँगा।[a] मैं मिस्र के लोगों के लिए हानिकारक चीज़ें उत्पन्न करूँगा। किन्तु उन बुरी बीमारियों में से कोई भी तुम लोगों को हानि नहीं पहुँचाएगी।

14 “सो तुम लोग आज की इस रात को सदा याद रखोगे, तुम लोगों के लिए यह एक विशेष पवित्र पर्व होगा। तुम्हारे वंशज सदा इस पवित्र पर्व को यहोवा की भक्ति किया करेंगे।

भजन संहिता 116:1-2

जब यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ सुनता है
    यह मुझे भाता है।
जब मै सहायता पाने उसको पुकारता हूँ वह मेरी सुनता है:
    यह मुझे भाता है।

भजन संहिता 116:12-19

12 मैं भला यहोवा को क्या अर्पित कर सकता हूँ
    मेरे पास जो कुछ है वह सब यहोवा का दिया है!
13 मैं उसे पेय भेंट दूँगा
    क्योंकि उसने मुझे बचाया है।
    मैं यहोवा के नाम को पुकारूँगा।
14 जो कुछ मन्नतें मैंने मागी हैं वे सभी मैं यहोवा को अर्पित करूँगा,
    और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।

15 किसी एक की भी मृत्यु जो यहोवा का अनुयायी है, यहोवा के लिये अति महत्वपूर्ण है।
    हे यहोवा, मैं तो तेरा एक सेवक हूँ!
16 मैं तेरा सेवक हूँ।
    मैं तेरी किसी एक दासी का सन्तान हूँ।
    यहोवा, तूने ही मुझको मेरे बंधनों से मुक्त किया!
17 मैं तुझको धन्यवाद बलि अर्पित करूँगा।
    मैं यहोवा के नाम को पुकारूँगा।
18 मैं यहोवा को जो कुछ भी मन्नतें मानी है वे सभी अर्पित करूँगा,
    और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।
19 मैं मन्दिर में जाऊँगा
    जो यरूशलेम में है।

यहोवा के गुण गाओ!

1 कुरिन्थियों 11:23-26

23 क्योंकि जो सीख मैंने तुम्हें दी है, वह मुझे प्रभु से मिली थी। प्रभु यीशु ने उस रात, जब उसे मरवा डालने के लिये पकड़वाया गया था, एक रोटी ली 24 और धन्यवाद देने के बाद उसने उसे तोड़ा और कहा, “यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए है। मुझे याद करने के लिये तुम ऐसा ही किया करो।”

25 उनके भोजन कर चुकने के बाद इसी प्रकार उसने प्याला उठाया और कहा, “यह प्याला मेरे लहू के द्वारा किया गया एक नया वाचा है। जब कभी तुम इसे पिओ तभी मुझे याद करने के लिये ऐसा करो।” 26 क्योंकि जितनी बार भी तुम इस रोटी को खाते हो और इस प्याले को पीते हो, उतनी ही बार जब तक वह आ नहीं जाता, तुम प्रभु की मृत्यु का प्रचार करते हो।

यूहन्ना 13:1-17

यीशु का अपने शिष्यों के पैर धोना

13 फ़सह पर्व से पहले यीशु ने देखा कि इस जगत को छोड़ने और परम पिता के पास जाने का उसका समय आ पहुँचा है तो इस जगत में जो उसके अपने थे और जिन्हें वह प्रेम करता था, उन पर उसने चरम सीमा का प्रेम दिखाया।

शाम का खाना चल रहा था। शैतान अब तक शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के मन में यह डाल चुका था कि वह यीशु को धोखे से पकड़वाएगा। यीशु यह जानता था कि परम पिता ने सब कुछ उसके हाथों सौंप दिया है और वह परमेश्वर से आया है, और परमेश्वर के पास ही वापस जा रहा है। इसलिये वह खाना छोड़ कर खड़ा हो गया। उसने अपने बाहरी वस्त्र उतार दिये और एक अँगोछा अपने चारों ओर लपेट लिया। फिर एक घड़े में जल भरा और अपने शिष्यों के पैर धोने लगा और उस अँगोछे से जो उसने लपेटा हुआ था, उनके पाँव पोंछने लगा।

फिर जब वह शमौन पतरस के पास पहुँचा तो पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धो रहा है।”

उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तू नहीं जानता कि मैं क्या कर रहा हूँ पर बाद में जान जायेगा।”

पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी भी नहीं धोयेगा।”

यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं न धोऊँ तो तू मेरे पास स्थान नहीं पा सकेगा।”

शमौन पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, केवल मेरे पैर ही नहीं, बल्कि मेरे हाथ और मेरा सिर भी धो दे।”

10 यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे अपने पैरों के सिवा कुछ भी और धोने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि पूरी तरह शुद्ध होता है। तुम लोग शुद्ध हो पर सबके सब नहीं।” 11 वह उसे जानता था जो उसे धोखे से पकड़वाने वाला है। इसलिए उसने कहा था, “तुम में से सभी शुद्ध नहीं हैं।”

12 जब वह उनके पाँव धो चुका तो उसने अपने बाहरी वस्त्र फिर पहन लिये और वापस अपने स्थान पर आकर बैठ गया। और उनसे बोला, “क्या तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारे लिये क्या किया है? 13 तुम लोग मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’ कहते हो। और तुम उचित हो। क्योंकि मैं वही हूँ। 14 इसलिये यदि मैंने प्रभु और गुरु होकर भी जब तुम्हारे पैर धोये हैं तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोना चाहिये। मैंने तुम्हारे सामने एक उदाहरण रखा है 15 ताकि तुम दूसरों के साथ वही कर सको जो मैंने तुम्हारे साथ किया है। 16 मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ एक दास स्वामी से बड़ा नहीं है और न ही एक संदेशवाहक उससे बड़ा है जो उसे भेजता है। 17 यदि तुम लोग इन बातों को जानते हो और उन पर चलते हो तो तुम सुखी होगे।

यूहन्ना 13:31-35

अपनी मृत्यु के विषय में यीशु का वचन

31 उसके चले जाने के बाद यीशु ने कहा, “मनुष्य का पुत्र अब महिमावान हुआ है। और उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई है। 32 यदि उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई है तो परमेश्वर अपने द्वारा उसे महिमावान करेगा। और वह उसे महिमा शीघ्र ही देगा।”

33 “हे मेरे प्यारे बच्चों, मैं अब थोड़ी ही देर और तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढोगे और जैसा कि मैंने यहूदी नेताओं से कहा था, तुम वहाँ नहीं आ सकते, जहाँ मैं जा रहा हूँ, वैसा ही अब मैं तुमसे कहता हूँ।

34 “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक दूसरे से प्रेम करो। जैसा मैंने तुमसे प्यार किया है वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो। 35 यदि तुम एक दूसरे से प्रेम रखोगे तभी हर कोई यह जान पायेगा कि तुम मेरे अनुयायी हो।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International