Revised Common Lectionary (Complementary)
मित्तिथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।
1 सर्वशक्तिमान यहोवा, सचमुच तेरा मन्दिर कितना मनोहर है।
2 हे यहोवा, मैं तेरे मन्दिर में रहना चाहता हूँ।
मैं तेरी बाट जोहते थक गया हूँ!
मेरा अंग अंग जीवित यहोवा के संग होना चाहता है।
3 सर्वशक्तिमान यहोवा, मेरे राजा, मेरे परमेश्वर,
गौरेया और शूपाबेनी तक के अपने घोंसले होते हैं।
ये पक्षी तेरी वेदी के पास घोंसले बनाते हैं
और उन्हीं घोंसलों में उनके बच्चे होते हैं।
4 जो लोग तेरे मन्दिर में रहते हैं, अति प्रसन्न रहते हैं।
वे तो सदा ही तेरा गुण गाते हैं।
5 वे लोग अपने हृदय में गीतों के साथ जो तेरे मन्दिर मे आते हैं,
बहुत आनन्दित हैं।
6 वे प्रसन्न लोग बाका घाटी
जिसे परमेश्वर ने झरने सा बनाया है गुजरते हैं।
गर्मो की गिरती हुई वर्षा की बूँदे जल के सरोवर बनाती है।
7 लोग नगर नगर होते हुए सिय्योन पर्वत की यात्रा करते हैं
जहाँ वे अपने परमेश्वर से मिलेंगे।
8 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन!
याकूब के परमेश्वर तू मेरी सुन ले।
9 हे परमेश्वर, हमारे संरक्षक की रक्षा कर।
अपने चुने हुए राजा पर दयालु हो।
10 हे परमेश्वर, कहीं और हजार दिन ठहरने से
तेरे मन्दिर में एक दिन ठहरना उत्तम है।
दुष्ट लोगों के बीच वास करने से,
अपने परमेश्वर के मन्दिर के द्वार के पास खड़ा रहूँ यही उत्तम है।
11 यहोवा हमारा संरक्षक और हमारा तेजस्वी राजा है।
परमेश्वर हमें करूणा और महिमा के साथ आशीर्वद देता है।
जो लोग यहोवा का अनुसरण करते हैं
और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं, उनको वह हर उत्तम वस्तु देता है।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा, जो लोग तेरे भरोसे हैं वे सचमुच प्रसन्न हैं!
दारा का आदेश
6 अत: राजा दारा ने अपने पूर्व के राजाओं के लेखों की जाँच करने का आदेश दिया। वे लेख बाबेल में वहीं रखे थे जहाँ खज़ाना रखा गया था। 2 अहमत्ता के किले में एक दण्ड में लिपटा गोल पत्रक मिला। (एकवतन मादे प्रान्त में है।) उस दण्ड में लिपटे गोल पत्रक पर जो लिखा था, वह यह है:
सरकारी टिप्पणी: 3 कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये एक आदेश दिया। आदेश यह था:
परमेश्वर का मन्दिर फिर से बनने दो। यह बलि भेंट करने का स्थान होगा। इसकी नींव को बनने दो। मन्दिर साठ हाथ ऊँचा और साठ हाथ चौड़ा होना चाहिए। 4 इसके परकोटे में विशाल पत्थरों की तीन कतारें और विशाल लकड़ी के शहतीरों की एक कतार होनी चाहिए। मन्दिर को बनाने का व्यय राजा के खज़ाने से किया जाना चाहिये। 5 साथ ही साथ, परमेशवर के मन्दिर की सोने और चाँदी की चीज़ें उनके स्थान पर वापस रखी जानी चाहिए। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम के मन्दिर से लिया था और उन्हें बाबेल लाया था। वे परमेश्वर के मन्दिर में वापस रख दिये जाने चाहिये।
6 इसलिये अब, मैं दारा,
फरात नदी के पश्चिम के प्रदेशों के शासनाधिकारी तत्तनै और शतर्बोजनै और उस प्रान्त के रहने वाले सभी अधिकारियों, तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम लोग यरूशलेम से दूर रहो। 7 श्रमिकों को परेशान न करो। परमेश्वर के उस मन्दिर के काम को बन्द करने का प्रयत्न मत करो। यहूदी प्रशासक और यहूदी प्रमुखों को इन्हें फिर से बनाने दो। उन्हें परमेश्वर के मन्दिर को उसी स्थान पर फिर से बनाने दो जहाँ यह पहले था।
8 अब मैं यह आदेश देता हूँ, तुम्हें परमेश्वर के मन्दिर को बनाने वाले यहूदी प्रमुखों के लिये यह करना चाहिये: इमारत की लागत का भुगतान राजा के खज़ाने से होना चाहिये। यह धन फ़रात नदी के पश्चिम के क्षेत्र के प्रान्तों से इकट्ठा किये गये राज्य कर से आयेगा। ये काम शीघ्रता से करो, जिससे काम रूके नहीं। 9 उन लोगों को वह सब दो जिसकी उन्हें आवश्यकता हो। यदि उन्हें स्वर्ग के परमेश्वर को बलि के लिये युवा बैलों, मेढ़ों या मेमनों की जरूरत पड़े तो उन्हें वह सब कुछ दो। यदि यरूशलेम के याजक गेहूँ, नमक, दाखमधु और तेल माँगें तो बिना भूल चूक के प्रतिदिन ये चीज़ें उन्हें दो। 10 उन चीज़ों को यहूदी याजकों को दो जिससे वे ऐसी बलि भेंट करें कि जिससे स्वर्ग का परमेश्वर प्रसन्न हो। उन चीज़ों को दो जिससे याजक मेरे और मेरे पुत्रों के लिये प्रार्थना करें।
11 मैं यह आदेश भी देता हूँ कि यदि कोई व्यक्ति इस आदेश को बदलता है तो उस व्यक्ति के मकान से एक लकड़ी की कड़ी निकाल लेनी चाहिए और उस लकड़ी की कड़ी को उस व्यक्ति के शरीर पर धँसा देना चाहिये और उसके घर को तब तक नष्ट किया जाना चाहिये जब तक कि वह पत्थरों का ढेर न बन जाये।
12 परमेश्वर यरूशलेम पर अपना नाम अंकित करे और मुझे आशा है कि परमेश्वर किसी भी उस राजा या व्यक्ति को पराजित करेगा जो इस आदेश को बदलने का प्रयत्न करता है। यदि कोई यरूशलेम में इस मन्दिर को नष्ट करना चाहता है तो मुझे आशा है कि परमेश्वर उसे नष्ट कर देगा।
मैं (दारा) ने, यह आदेश दिया है। इस आदेश का पालन शीघ्र और पूर्ण रूप से होना चाहिए!
मन्दिर का पूर्ण और समर्पित होना
13 अत: फ़रात नदी के पश्चिम क्षेत्र के प्रशासक तत्तनै, शतर्बोजनै और उसके साथ के लोगों ने राजा दारा के आदेश का पालन किया। उन लोगों ने आज्ञा का पालन शीघ्र और पूर्ण रूप से किया। 14 अत: यहूदी अग्रजों (प्रमुखों) ने निर्माण कार्य जारी रखा और वे सफल हुए क्योंकि हाग्गै नबी और इद्दो के पुत्र जकर्याह ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन लोगों ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया। यह इस्राएल के परमेश्वर के आदेश का पालन करने के लिये किया गया। यह फारस के राजाओं, कुस्रू, दारा और अर्तक्षत्र ने जो आदेश दिये थे उनका पालन करने के लिये किया गया। 15 मन्दिर का निर्माण अदर महीने के तीसरे दिन पूरा हुआ।[a] यह राजा दारा के शासन के छठें वर्ष में हुआ।[b]
16 तब इस्राएल के लोगों ने अत्यन्त उल्लास के साथ परमेश्वर के मन्दिर का समर्पण उत्सव मनाया। याजक, लेवीवंशी, और बन्धुवाई से वापस आए अन्य सभी लोग इस उत्सव में सम्मिलित हुये।
यीशु का मन्दिर जाना
(मत्ती 21:12-17; लूका 19:45-48; यूहन्ना 2:13-22)
15 फिर वे यरूशलेम को चल पड़े। जब उन्होंने मन्दिर में प्रवेश किया तो यीशु ने उन लोगों को जो मन्दिर में ले बेच कर रहे थे, बाहर निकालना शुरु कर दिया। उसने पैसे का लेन देन करने वालों की चौकियाँ उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के तख्त पलट दिये। 16 और उसने मन्दिर में से किसी को कुछ भी ले जाने नहीं दिया। 17 फिर उसने शिक्षा देते हुए उनसे कहा, “क्या शास्त्रों में यह नहीं लिखा है, ‘मेरा घर सभी जाति के लोगों के लिये प्रार्थना-गृह कहलायेगा?’ किन्तु तुमने उसे ‘चोरों का अड्डा’ बना दिया है।” (A)
18 जब प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने यह सुना तो वे उसे मारने का कोई रास्ता ढूँढने लगे। क्योंकि भीड़ के सभी लोग उसके उपदेश से चकित थे। इसलिए वे उससे डरते थे। 19 फिर जब शाम हुई, तो वे नगर से बाहर निकले।
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