Revised Common Lectionary (Complementary)
परमेश्वर का एक स्तुति—गीत
25 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है।
मैं तेरे नाम की स्तुति करता हूँ
और मैं तुझे सम्मान देता हूँ।
तूने अनेक अद्भुत कार्य किये हैं।
जो भी शब्द तूने बहुत पहले कहे थे वे पूरी तरह से सत्य हैं।
हर बात वैसी ही घटी जैसे तूने बतायी थी।
2 तूने नगर को नष्ट किया।
वह नगर सुदृढ़ प्राचीरों से संरक्षित था।
किन्तु अब वह मात्र पत्थरों का ढेर रह गया।
परदेसियों का महल नष्ट कर दिया गया।
अब उसका फिर से निर्माण नहीं होगा।
3 सामर्थी लोग तेरी महिमा करेंगे।
क्रूर जातियों के नगर तुझसे डरेंगे।
4 यहोवा निर्धन लोगों के लिये जो जरुरतमंद हैं, तू सुरक्षा का स्थान है।
अनेक विपत्तियाँ उनको पराजित करने को आती हैं किन्तु तू उन्हें बचाता है।
तू एक ऐसा भवन है जो उनको तूफानी वर्षा से बचाता है
और तू एक ऐसी हवा है जो उनको गर्मी से बचाती है।
विपत्तियाँ भयानक आँधी और घनघोर वर्षा जैसी आती हैं।
वर्षा दीवारों से टकराती हैं और नीचे बह जाती है किन्तु मकान में जो लोग हैं, उनको हानि नहीं पहुँचती है।
5 नारे लगाते हुए शत्रु ने ललकारा।
घोर शत्रु ने चुनौतियाँ देने को ललकारा।
किन्तु तूने हे परमेश्वर, उनको रोक लिया।
वे नारे ऐसे थे जैसे गर्मी किसी खुश्क जगह पर।
तूने उन क्रूर लोगों के विजय गीत ऐसे रोक दिये थे जैसे सघन मेघों की छाया गर्मी को दूर करती है।
अपने सेवकों के लिए परमेश्वर का भोज
6 उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा इस पर्वत के सभी लोगों के लिये एक भोज देगा। भोज में उत्तम भोजन और दाखमधु होगा। दावत में नर्म और उत्तम माँस होगा।
7 किन्तु अब देखो, एक ऐसा पर्दा है जो सभी जातियों और सभी व्यक्तियों को ढके है। इस पर्दे का नाम है, “मृत्यु।” 8 किन्तु मृत्यु का सदा के लिये अंत कर दिया जायेगा और मेरा स्वामी यहोवा हर आँख का हर आँसू पोंछ देगा। बीते समय में उसके सभी लोग शर्मिन्दा थे। यहोवा उन की लज्जा का इस धरती पर से हरण कर लेगा। यह सब कुछ घटेगा क्योंकि यहोवा ने कहा था, ऐसा हो।
9 उस समय लोग ऐसा कहेंगे,
“देखो यह हमारा परमेश्वर है!
यह वही है जिसकी हम बाट जोह रहे थे।
यह हमको बचाने को आया है।
हम अपने यहोवा की प्रतीक्षा करते रहे।
अत: हम खुशियाँ मनायेंगे और प्रसन्न होंगे कि यहोवा ने हमको बचाया है।”
दाऊद का एक पद।
1 यहोवा मेरा गडेरिया है।
जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।
2 हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है।
वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।
3 वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है।
वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है।
4 मैं मृत्यु की अंधेरी घाटी से गुजरते भी नहीं डरुँगा,
क्योंकि यहोवा तू मेरे साथ है।
तेरी छड़ी, तेरा दण्ड मुझको सुख देते हैं।
5 हे यहोवा, तूने मेरे शत्रुओं के समक्ष मेरी खाने की मेज सजाई है।
तूने मेरे शीश पर तेल उँडेला है।
मेरा कटोरा भरा है और छलक रहा है।
6 नेकी और करुणा मेरे शेष जीवन तक मेरे साथ रहेंगी।
मैं यहोवा के मन्दिर में बहुत बहुत समय तक बैठा रहूँगा।
फिलिप्पियों को पौलुस का निर्देश
4 हे मेरे प्रिय भाईयों, तुम मेरी प्रसन्नता हो, मेरे गौरव हो। तुम्हें जैसे मैंने बताया है, प्रभु में तुम वैसे ही दृढ़ बने रहो।
2 मैं यहूदिया और संतुखे दोनों को प्रोत्साहित करता हूँ कि तुम प्रभु में एक जैसे विचार बनाये रखो। 3 मेरे सच्चे साथी तुझसे भी मेरा आग्रह है कि इन महिलाओं की सहायता करना। ये वलैमेन्स तथा मेरे दूसरे सहकर्मियों सहित सुसमाचार के प्रचार में मेरे साथ जुटी रही हैं। इनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे गये है।
4 प्रभु में सदा आनन्द मनाते रहो। इसे मैं फिर दोहराता हूँ, आनन्द मनाते रहो।
5 तुम्हारी सहनशील आत्मा का ज्ञान सब लोगों को हो। प्रभु पास ही है। 6 किसी बात कि चिंता मत करो, बल्कि हर परिस्थिति में धन्यवाद सहित प्रार्थना और विनय के साथ अपनी याचना परमेश्वर के सामने रखते जाओ। 7 इसी से परमेश्वर की ओर से मिलने वाली शांति, जो समझ से परे है तुम्हारे हृदय और तुम्हारी बुद्धि को मसीह यीशु में सुरक्षित बनाये रखेगी।
8 हे भाईयों, उन बातों का ध्यान करो जो सत्य हैं, जो भव्य है, जो उचित है, जो पवित्र है, जो आनन्द दायी है, जो सराहने योग्य है या कोई भी अन्य गुण या कोई प्रशंसा 9 जिसे तुमने मुझसे सीखा है, पाया है या सुना है या जिसे करते मुझे देखा है। उन बातों का अभ्यास करते रहो। शांति का स्रोत परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।
विवाह भोज पर लोगों को राजा के बुलावे की दृष्टान्त कथा
(लूका 14:15-24)
22 एक बार फिर यीशु उनसे दृष्टान्त कथाएँ कहने लगा। वह बोला, 2 “स्वर्ग का राज्य उस राजा के जैसा है जिसने अपने बेटे के ब्याह पर दावत दी। 3 राजा ने अपने दासों को भेजा कि वे उन लोगों को बुला लायें जिन्हें विवाह भोज पर न्योता दिया गया है। किन्तु वे लोग नहीं आये।
4 “उसने अपने सेवकों को फिर भेजा, उसने कहा कि जिन लोगों को विवाह भोज पर बुलाया गया है उनसे कहो, ‘देखो मेरी दावत तैयार है। मेरे साँडों और मोटे ताजे पशुओं को काटा जा चुका है। सब कुछ तैयार है। ब्याह की दावत में आ जाओ।’
5 “पर लोगों ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया और वे चले गये। कोई अपने खेतों में काम करने चला गया तो कोई अपने काम धन्धे पर। 6 और कुछ लोगों ने तो राजा के सेवकों को पकड़ कर उनके साथ मार-पीट की और उन्हें मार डाला। 7 सो राजा ने क्रोधित होकर अपने सैनिक भेजे। उन्होंने उन हत्यारों को मौत के घाट उतार दिया और उनके नगर में आग लगा दी।
8 “फिर राजा ने सेवकों से कहा, ‘विवाह भोज तैयार है किन्तु जिन्हें बुलाया गया था, वे अयोग्य सिद्ध हुए। 9 इसलिये गली के नुक्कड़ों पर जाओ और तुम जिसे भी पाओ ब्याह की दावत पर बुला लाओ।’ 10 फिर सेवक गलियों में गये और जो भी भले बुरे लोग उन्हें मिले वे उन्हें बुला लाये। और शादी का महल मेहमानों से भर गया।
11 “किन्तु जब मेहमानों को देखने राजा आया तो वहाँ उसने एक ऐसा व्यक्ति देखा जिसने विवाह के वस्त्र नहीं पहने थे। 12 राजा ने उससे कहा, ‘हे मित्र, विवाह के वस्त्र पहने बिना तू यहाँ भीतर कैसे आ गया?’ पर वह व्यक्ति चुप रहा। 13 इस पर राजा ने अपने सेवकों से कहा, ‘इसके हाथ-पाँव बाँध कर बाहर अन्धेरे में फेंक दो। जहाँ लोग रोते और दाँत पीसते होंगे।’
14 “क्योंकि बुलाये तो बहुत गये हैं पर चुने हुए थोड़े से हैं।”
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