Revised Common Lectionary (Complementary)
ऐन्
121 मैंने वे बातें की हैं जो खरी और भली हैं।
हे यहोवा, तू मुझको ऐसे उन लोगों को मत सौंप जो मुझको हानि पहुँचाना चाहते हैं।
122 मुझे वचन दे कि तू मुझे सहारा देगा। मैं तेरा दास हूँ।
हे यहोवा, उन अहंकारी लोगों को मुझको हानि मत पहुँचाने दे।
123 हे यहोवा, तूने मेरे उद्धार का एक उत्तम वचन दिया था,
किन्तु अपने उद्धार को मेरी आँख तेरी राह देखते हुए थक गई।
124 तू अपना सच्चा प्रेम मुझ पर प्रकट कर। मैं तेरा दास हूँ।
तू मुझे अपने विधान की शिक्षा दे।
125 मैं तेरा दास हूँ।
अपनी वाचा को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
126 हे यहोवा, यही समय है तेरे लिये कि तू कुछ कर डाले।
लोगों ने तेरे विधान को तोड़ा है।
127 हे यहोवा, उत्तम सुवर्ण से भी अधिक
मुझे तेरे आदेश भाते हैं।
128 तेरे सब आदेशों का बहुत सावधानी से मैं पालन करता हूँ।
मैं झूठे उपदेशों से घृणा करता हूँ।
29 परमेश्वर ने सुलैमान को उत्तम बुद्धि दी। सुलैमान अनेकों बातें समझ सकता था। उसकी बुद्धि कल्पना के परे तीव्र थी। 30 सुलैमान की बुद्धि पूर्व के सभी व्यक्तियों की बुद्धि से अधिक तीव्र थी और उसकी बुद्धि मिस्र में रहने वाले सभी व्यक्तियों की बुद्धि से अधिक तीव्र थी। 31 वह पृथ्वी के किसी भी व्यक्ति से अधिक बुद्धिमान था। वह एज्रेही एतान से भी अधिक बुद्धिमान था। वह हेमान, कलकोल तथा दर्दा से अधिक बुद्धिमान था। ये माहोल के पुत्र थे। राजा सुलैमान इस्राएल और यहूदा के चारों ओर के सभी देशों में प्रसिद्ध हो गया। 32 अपने जीवन काल में राजा सुलैमान ने तीन हजार बुद्धिमत्तापूर्ण उपदेश लिखे। उसने पन्द्रह सौ गीत भी लिखे।
33 सुलैमान प्रकृति के बारे में भी बहुत कुछ जानता था। सुलैमान ने लबानोन के विशाल देवदारु वृक्षों से लेकर दीवारों में उगने वाली जूफा के विभिन्न प्रकार के पेड़े—पौधों में से हर एक के विषय में शिक्षा दी। राजा सुलैमान ने जानवरों, पक्षियों और रेंगने वाले जन्तुओं और मछलियों की चर्चा की है। 34 सुलैमान की बुद्धिमत्तापूर्ण बातों को सुनने के लिये सभी राष्ट्रों से लोग आते थे। सभी राष्ट्रों के राजा अपने बुद्धिमान व्यक्तियों को राजा सुलैमान की बातों को सुनने के लिये भेजते थे।
प्रभु का अभेद्य कवच धारण करो
10 मतलब यह कि प्रभु में स्थित होकर उसकी असीम शक्ति के साथ अपने आपको शक्तिशाली बनाओ। 11 परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो। ताकि तुम शैतान की योजनाओं के सामने टिक सको। 12 क्योंकि हमारा संघर्ष मनुष्यों से नहीं है, बल्कि शासकों, अधिकारियों इस अन्धकारपूर्ण युग की आकाशी शक्तियों और अम्बर की दुष्टात्मिक शक्तियों के साथ है। 13 इसलिए परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो ताकि जब बुरे दिन आयें तो जो कुछ सम्भव है, उसे कर चुकने के बाद तुम दृढ़तापूर्वक अडिग रह सको।
14-15 सो अपनी कमर पर सत्य का फेंटा कस कर धार्मिकता की झिलम पहन कर तथा पैरों में शांति के सुसमाचार सुनाने की तत्परता के जूते धारण करके तुम लोग अटल खड़े रहो। 16 इन सब से बड़ी बात यह है कि विश्वास को ढाल के रूप में ले लो। जिसके द्वारा तुम उन सभी जलते तीरों को बुझा सकोगे, जो बदी के द्वारा छोड़े गये हैं। 17 छुटकारे का शिरस्त्राण पहन लो और परमेश्वर के संदेश रूपी आत्मा की तलवार उठा लो। 18 हर प्रकार की प्रार्थना और निवेदन सहित आत्मा की सहायता से हर अवसर पर विनती करते रहो। इस लक्ष्य से सभी प्रकार का यत्न करते हुए सावधान रहो। तथा सभी संतों के लिये प्रार्थना करो।
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