Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 145:8-14

यहोवा दयालु है और करुणापूर्ण है।
    यहोवा तू धैर्य और प्रेम से पूर्ण है।
यहोवा सब के लिये भला है।
    परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसी में निजकरुणा प्रकट करता है।
10 हे यहोवा, तेरे कर्मो से तुझे प्रशंसा मिलती है।
    तुझको तेरे भक्त धन्य कहा करते हैं।
11 वे लोग तेरे महिमामय राज्य का बखान किया करते हैं।
    तेरी महानता को वे बताया करते हैं।
12 ताकि अन्य लोग उन महान बातों को जाने जिनको तू करता है।
    वे लोग तेरे महिमामय राज्य का मनन किया करते हैं।
13 हे यहोवा, तेरा राज्य सदा—सदा बना रहेगा
    तू सर्वदा शासन करेगा।

14 यहोवा गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाता है।
    यहोवा विपदा में पड़े लोगों को सहारा देता है।

जकर्याह 2:6-13

“जल्दी करो! उत्तर देश से भाग निकलो!
    हाँ यह सत्य है कि मैंने तुम्हारे लोगों को चारों ओर बिखेरा।
सिय्योन के लोगों, तुम बाबुल में बन्दी हो।
    किन्तु अब भाग निकलो! उस नगर से भाग जाओ!”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने मेरे बारे में यह कहा, “उसने मुझे भेजा है, जिन्होंने उन राष्ट्रों में युद्ध में तुमसे चीज़ें छीनीं!
    उसने तुझे प्रतिष्ठा देने को मुझे भेजा है।”
    किन्तु उसके बाद, यहोवा मुझे उनके विरूद्ध भेजेगा।
क्यों? क्योंकि यदि वे तुम्हें चोट पहुँचायेंगे तो
    वह यहोवा की आँख की पुतली को चोट पहुँचाना होगा।
और मैं उन लोगों के विरूद्ध अपना हाथ उठाऊँगा
    और उनके दास उनकी सम्पत्ति लेंगे।
तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे भेजा है।

10 यहोवा कहता है,
“सिय्योन, प्रसन्न हो! क्यों? क्योंकि मैं आ रहा हूँ,
    और मैं तुम्हारे नगर में रहूँगा।
11 उस समय अनेक राष्ट्रों के लोग
    मेरे पास आएंगे
और वे मेरे लोग हो जायेंगे।
    मैं तुम्हारे नगर में रहूँगा
और तुम जानोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने
    मुझे तुम्हारे पास भजा है।”

12 यहोवा यरूशलेम को फिर से अपना विशेष नगर चुनेगा
    और यहूदा, पवित्र—भूमि का उनका हिस्सा होगा।
13 सभी व्यक्ति, शान्त हो जाओ!
    यहोवा अपने पवित्र घर से बाहर आ रहा है।

रोमियों 7:7-20

पाप से लड़ाई

तो फिर हम क्या कहें? क्या हम कहें कि व्यवस्था पाप है? निश्चय ही नहीं। जो भी हो, यदि व्यवस्था नहीं होती तो मैं पहचान ही नहीं पाता कि पाप क्या है? यदि व्यवस्था नहीं बताती, “जो अनुचित है उसकी चाहत मत करो” तो निश्चय ही मैं पहचान ही नहीं पाता कि अनुचित इच्छा क्या है। किन्तु पाप ने मौका मिलते ही व्यवस्था का लाभ उठाते हुए मुझमें हर तरह की ऐसी इच्छाएँ भर दीं जो अनुचित के लिए थीं। व्यवस्था के अभाव में पाप तो मर गया। एक समय मैं बिना व्यवस्था के ही जीवित था, किन्तु जब व्यवस्था का आदेश आया तो पाप जीवन में उभर आया। 10 और मैं मर गया। वही व्यवस्था का आदेश जो जीवन देने के लिए था, मेरे लिए मृत्यु ले आया। 11 क्योंकि पाप को अवसर मिल गया और उसने उसी व्यवस्था के आदेश के द्वारा मुझे छला और उसी के द्वारा मुझे मार डाला।

12 इस तरह व्यवस्था पवित्र है और वह विधान पवित्र, धर्मी और उत्तम है। 13 तो फिर क्या इसका यह अर्थ है कि जो उत्तम है, वही मेरी मृत्यु का कारण बना? निश्चय ही नहीं। बल्कि पाप उस उत्तम के द्वारा मेरे लिए मृत्यु का इसलिए कारण बना कि पाप को पहचाना जा सके। और व्यवस्था के विधान के द्वारा उसकी भयानक पापपूर्णता दिखाई जा सके।

मानसिक द्वन्द्व

14 क्योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है और मैं हाड़-माँस का भौतिक मनुष्य हूँ जो पाप की दासता के लिए बिका हुआ है। 15 मैं नहीं जानता मैं क्या कर रहा हूँ क्योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, नहीं करता, बल्कि मुझे वह करना पड़ता है, जिससे मैं घृणा करता हूँ। 16 और यदि मैं वही करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता तो मैं स्वीकार करता हूँ कि व्यवस्था उत्तम है। 17 किन्तु वास्तव में वह मैं नहीं हूँ जो यह सब कुछ कर रहा है, बल्कि यह मेरे भीतर बसा पाप है। 18 हाँ, मैं जानता हूँ कि मुझ में यानी मेरे भौतिक मानव शरीर में किसी अच्छी वस्तु का वास नहीं है। नेकी करने के इच्छा तो मुझ में है पर नेक काम मुझ से नहीं होते। 19 क्योंकि जो अच्छा काम मैं करना चाहता हूँ, मैं नहीं करता बल्कि जो मैं नहीं करना चाहता, वे ही बुरे काम मैं करता हूँ। 20 और यदि मैं वही काम करता हूँ जिन्हें करना नहीं चाहता तो वास्तव में उनका कर्ता जो उन्हें कर रहा है, मैं नहीं हूँ, बल्कि वह पाप है जो मुझ में बसा है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International