Revised Common Lectionary (Complementary)
कुरनेलियुस के घर पतरस का प्रवचन
34 फिर पतरस ने अपना मुँह खोला। उसने कहा, “अब सचमुच मैं समझ गया हूँ कि परमेश्वर कोई भेद भाव नहीं करता। 35 बल्कि हर जाति का कोई भी ऐसा व्यक्ति जो उससे डरता है और नेक काम करता है, वह उसे स्वीकार करता है। 36 यही है वह संदेश जिसे उसने यीशु मसीह के द्वारा शांति के सुसमाचार का उपदेश देते हुए इस्राएल के लोगों को दिया था। वह सभी का प्रभु है।
37 “तुम उस महान घटना को जानते हो, जो समूचे यहूदिया में घटी थी। गलील में प्रारम्भ होकर यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिए जाने के बाद से जिसका प्रचार किया गया था। 38 तुम नासरी यीशु के विषय में जानते हो कि परमेश्वर ने पवित्र आत्मा और शक्ति से उसका अभिषेक कैसे किया था और उत्तम कार्य करते हुए तथा उन सब को जो शैतान के बस में थे, चंगा करते हुए चारों ओर वह कैसे घूमता रहा था। क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।
39 “और हम उन सब बातों के साक्षी हैं जिन्हें उसने यहूदियों के प्रदेश और यरूशलेम में किया था। उन्होंने उसे ही एक पेड़ पर लटका कर मार डाला। 40 किन्तु परमेश्वर ने तीसरे दिन उसे फिर से जीवित कर दिया और उसे प्रकट होने को प्रेरित किया। 41 सब लोगों के सामने नहीं वरन् बस उन साक्षियों के सामने जो परमेश्वर के द्वारा पहले से चुन लिये गये थे। अर्थात् हमारे सामने जिन्होंने उसके मरे हुओं में से जी उठने के बाद उसके साथ खाया और पिया।
42 “उसी ने हमें आदेश दिया है कि हम लोगों को उपदेश दें और प्रमाणित करें कि यह वही है, जो परमेश्वर के द्वारा जीवितों और मरे हुओं का न्यायकर्ता बनने को नियुक्त किया गया है। 43 सभी भविष्यवक्ताओं ने उसके विषय में साक्षी दी है कि उसमें विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा पाता है।”
नया इस्राएल
31 यहोवा ने यह सब कहा: “उस समय मैं इस्राएल के पूरे परिवार समूहों का परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे।”
2 यहोवा कहता है,
“कुछ लोग, जो शत्रु की तलवार के घाट नहीं उतारे गए,
वे लोग मरुभूमि में आराम पाएंगे। इस्राएल आराम की खोज में आएगा।”
3 बहुत दूर से यहोवा
अपने लोगों के सामने प्रकट होगा।
यहोवा कहते हैं लोगों, “मैं तुमसे प्रेम करता हूँ और मेरा प्रेम सदैव रहेगा।
मैं सदैव तुम्हारे प्रति सच्चा रहूँगा।
4 मेरी दुल्हन, इस्राएल, मैं तुम्हें फिर सवारुँगा।
तुम फिर सुन्दर देश बनोगी।
तुम अपना तम्बूरा फिर संभालोगी।
तुम विनोद करने वाले अन्य सभी लोगों के साथ नाचोगी।
5 इस्राएल के किसानों, तुम अंगूर के बाग फिर लगाओगे।
तुम शोमरोन नगर के चारों ओर पहाड़ी पर उन अंगूरों के बाग लगाओगे
और किसान लोग उन अंगूरों के बागों के फलों का आनन्द लेंगे।
6 वह समय आएगा, जब एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश का चौकीदार यह सन्देश घोषित करेगा:
‘आओ, हम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करने सिय्योन चलें!’
एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश के चौकीदार भी उसी सन्देश की घोषणा करेंगे।”
1 यहोवा का मान करो क्योंकि वह परमेश्वर है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!
2 इस्राएल यह कहता है,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
14 यहोवा मेरी शक्ति और मेरा विजय गीत है।
यहोवा मेरी रक्षा करता है।
15 सज्जनों के घर में जो विजय पर्व मन रहा तुम उसको सुन सकते हो।
देखो, यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर दिखाई है।
16 यहोवा की भुजाये विजय में उठी हुई हैं।
देखो यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर से दिखाई।
17 मैं जीवित रहूँगा, मैं मरूँगा नहीं,
और जो कर्म यहोवा ने किये हैं, मैं उनका बखान करूँगा।
18 यहोवा ने मुझे दण्ड दिया
किन्तु मरने नहीं दिया।
19 हे पुण्य के द्वारों तुम मेरे लिये खुल जाओ
ताकि मैं भीतर आ पाऊँ और यहोवा की आराधना करूँ।
20 वे यहोवा के द्वार है।
बस केवल सज्जन ही उन द्वारों से होकर जा सकते हैं।
21 हे यहोवा, मेरी विनती का उत्तर देने के लिये तेरा धन्यवाद।
मेरी रक्षा के लिये मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ।
22 जिसको राज मिस्त्रियों ने नकार दिया था
वही पत्थर कोने का पत्थर बन गया।
23 यहोवा ने इसे घटित किया
और हम तो सोचते हैं यह अद्भुत है!
24 यहोवा ने आज के दिन को बनाया है।
आओ हम हर्ष का अनुभव करें और आज आनन्दित हो जाये!
मसीह में नया जीवन
3 क्योंकि यदि तुम्हें मसीह के साथ मरे हुओं में से जिला कर उठाया गया है तो उन वस्तुओं के लिये प्रयत्नशील रहो जो स्वर्ग में हैं जहाँ परमेश्वर की दाहिनी ओर मसीह विराजित है। 2 स्वर्ग की वस्तुओं के सम्बन्ध में ही सोचते रहो। भौतिक वस्तुओं के सम्बन्ध में मत सोचो। 3 क्योंकि तुम लोगों का पुराना व्यक्तित्व मर चुका है और तुम्हारा नया जीवन मसीह के साथ साथ परमेश्वर में छिपा है। 4 जब मसीह, जो हमारा जीवन है, फिर से प्रकट होगा तो तुम भी उसके साथ उसकी महिमा में प्रकट होओगे।
कुरनेलियुस के घर पतरस का प्रवचन
34 फिर पतरस ने अपना मुँह खोला। उसने कहा, “अब सचमुच मैं समझ गया हूँ कि परमेश्वर कोई भेद भाव नहीं करता। 35 बल्कि हर जाति का कोई भी ऐसा व्यक्ति जो उससे डरता है और नेक काम करता है, वह उसे स्वीकार करता है। 36 यही है वह संदेश जिसे उसने यीशु मसीह के द्वारा शांति के सुसमाचार का उपदेश देते हुए इस्राएल के लोगों को दिया था। वह सभी का प्रभु है।
37 “तुम उस महान घटना को जानते हो, जो समूचे यहूदिया में घटी थी। गलील में प्रारम्भ होकर यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिए जाने के बाद से जिसका प्रचार किया गया था। 38 तुम नासरी यीशु के विषय में जानते हो कि परमेश्वर ने पवित्र आत्मा और शक्ति से उसका अभिषेक कैसे किया था और उत्तम कार्य करते हुए तथा उन सब को जो शैतान के बस में थे, चंगा करते हुए चारों ओर वह कैसे घूमता रहा था। क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था।
39 “और हम उन सब बातों के साक्षी हैं जिन्हें उसने यहूदियों के प्रदेश और यरूशलेम में किया था। उन्होंने उसे ही एक पेड़ पर लटका कर मार डाला। 40 किन्तु परमेश्वर ने तीसरे दिन उसे फिर से जीवित कर दिया और उसे प्रकट होने को प्रेरित किया। 41 सब लोगों के सामने नहीं वरन् बस उन साक्षियों के सामने जो परमेश्वर के द्वारा पहले से चुन लिये गये थे। अर्थात् हमारे सामने जिन्होंने उसके मरे हुओं में से जी उठने के बाद उसके साथ खाया और पिया।
42 “उसी ने हमें आदेश दिया है कि हम लोगों को उपदेश दें और प्रमाणित करें कि यह वही है, जो परमेश्वर के द्वारा जीवितों और मरे हुओं का न्यायकर्ता बनने को नियुक्त किया गया है। 43 सभी भविष्यवक्ताओं ने उसके विषय में साक्षी दी है कि उसमें विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा पाता है।”
यीशु की कब्र खाली
(मत्ती 28:1-10; मरकुस 16:1-8; लूका 24:1-12)
20 सप्ताह के पहले दिन सुबह अन्धेरा रहते मरियम मगदलिनी कब्र पर आयी। और उसने देखा कि कब्र से पत्थर हटा हुआ है। 2 फिर वह दौड़ कर शमौन पतरस और उस दूसरे शिष्य के पास जो (यीशु का प्रिय था) पहुँची। और उनसे बोली, “वे प्रभु को कब्र से निकाल कर ले गये हैं। और हमें नहीं पता कि उन्होंने उसे कहाँ रखा है।”
3 फिर पतरस और वह दूसरा शिष्य वहाँ से कब्र को चल पड़े। 4 वे दोनों साथ-साथ दौड़ रहे थे पर दूसरा शिष्य पतरस से आगे निकल गया और कब्र पर पहले जा पहुँचा। 5 उसने नीचे झुककर देखा कि वहाँ कफ़न के कपड़े पड़े हैं। किन्तु वह भीतर नहीं गया।
6 तभी शमौन पतरस भी, जो उसके पीछे आ रहा था, आ पहुँचा। और कब्र के भीतर चला गया। उसने देखा कि वहाँ कफ़न के कपड़े पड़े हैं 7 और वह कपड़ा जो गाड़ते समय उसके सिर पर था कफ़न के साथ नहीं, बल्कि उससे अलग एक स्थान पर तह करके रखा हुआ है। 8 फिर दूसरा, शिष्य भी जो कब्र पर पहले पहुँचा था, भीतर गया। उसने देखा और विश्वास किया। 9 (वे अब भी शास्त्र के इस वचन को नहीं समझे थे कि उसका मरे हुओं में से जी उठना निश्चित है।)
मरियम मगदलिनी को यीशु ने दर्शन दिये
(मरकुस 16:9-11)
10 फिर वे शिष्य अपने घरों को वापस लौट गये। 11 मरियम रोती बिलखती कब्र के बाहर खड़ी थी। रोते-बिलखते वह कब्र में अंदर झाँकने के लिये नीचे झुकी। 12 जहाँ यीशु का शव रखा था वहाँ उसने श्वेत वस्त्र धारण किये, दो स्वर्गदूत, एक सिरहाने और दूसरा पैताने, बैठे देखे।
13 उन्होंने उससे पूछा, “हे स्त्री, तू क्यों विलाप कर रही है?”
उसने उत्तर दिया, “वे मेरे प्रभु को उठा ले गये हैं और मुझे पता नहीं कि उन्होंने उसे कहाँ रखा है?” 14 इतना कह कर वह मुड़ी और उसने देखा कि वहाँ यीशु खड़ा है। यद्यपि वह जान नहीं पायी कि वह यीशु था।
15 यीशु ने उससे कहा, “हे स्त्री, तू क्यों रो रही है? तू किसे खोज रही है?”
यह सोचकर कि वह माली है, उसने उससे कहा, “श्रीमान, यदि कहीं तुमने उसे उठाया है तो मुझे बताओ तुमने उसे कहाँ रखा है? मैं उसे ले जाऊँगी।”
16 यीशु ने उससे कहा, “मरियम।”
वह पीछे मुड़ी और इब्रानी में कहा, “रब्बूनी” (अर्थात् “गुरु।”)
17 यीशु ने उससे कहा, “मुझे मत छू क्योंकि मैं अभी तक परम पिता के पास ऊपर नहीं गया हूँ। बल्कि मेरे भाईयों के पास जा और उन्हें बता, ‘मैं अपने परम पिता और तुम्हारे परम पिता तथा अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।’”
18 मरियम मग्दलिनी यह कहती हुई शिष्यों के पास आई, “मैंने प्रभु को देखा है, और उसने मुझे ये बातें बताई हैं।”
यीशु का फिर से जी उठना
(मरकुस 16:1-8; लूका 24:1-12; यूहन्ना 20:1-10)
28 सब्त के बाद जब रविवार की सुबह पौ फट रही थी, मरियम मगदलीनी और दूसरी स्त्री मरियम कब्र की जाँच करने आईं।
2 क्योंकि स्वर्ग से प्रभु का एक स्वर्गदूत वहाँ उतरा था, इसलिए उस समय एक बहुत बड़ा भूचाल आया। स्वर्गदूत ने वहाँ आकर पत्थर को लुढ़का दिया और उस पर बैठ गया। 3 उसका रूप आकाश की बिजली की तरह चमचमा रहा था और उसके वस्त्र बर्फ़ के जैसे उजले थे। 4 वे सिपाही जो कब्र का पहरा दे रहे थे, डर के मारे काँपने लगे और ऐसे हो गये जैसे मर गये हों।
5 तब स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों से कहा, “डरो मत, मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को खोज रही हो जिसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया था। 6 वह यहाँ नहीं है। जैसा कि उसने कहा था, वह मौत के बाद फिर जिला दिया गया है। आओ, उस स्थान को देखो, जहाँ वह लेटा था। 7 और फिर तुरंत जाओ और उसके शिष्यों से कहो, ‘वह मरे हुओं में से जिला दिया गया है और अब वह तुमसे पहले गलील को जा रहा है तुम उसे वहीं देखोगे’ जो मैंने तुमसे कहा है, उसे याद रखो।”
8 उन स्त्रियों ने तुरंत ही कब्र को छोड़ दिया। वे भय और आनन्द से भर उठी थीं। फिर यीशु के शिष्यों को यह बताने के लिये वे दौड़ पड़ीं। 9 अचानक यीशु उनसे मिला और बोला, “अरे तुम!” वे उसके पास आयीं, उन्होंने उसके चरण पकड़ लिये और उसकी उपासना की। 10 तब यीशु ने उनसे कहा, “डरो मत, मेरे बंधुओं के पास जाओ, और उनसे कहो कि वे गलील के लिए रवाना हो जायें, वहीं वे मुझे देखेंगे।”
© 1995, 2010 Bible League International