Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 हे यहोवा, मैं गहन कष्ट में हूँ
सो सहारा पाने को मैं तुम्हें पुकारता हूँ।
2 मेरे स्वामी, तू मेरी सुन ले।
मेरी सहायता की पुकार पर कान दे।
3 हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे
तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।
4 हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर।
फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।
5 मैं यहोवा की बाट जोह रहा हूँ कि वह मुझको सहायता दे।
मेरी आत्मा उसकी प्रतीक्षा में है।
यहोवा जो कहता है उस पर मेरा भरोसा है।
6 मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ।
मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
7 इस्राएल, यहोवा पर विश्वास कर।
केवल यहोवा के साथ सच्चा प्रेम मिलता है।
यहोवा हमारी बार—बार रक्षा किया करता है।
8 यहोवा इस्राएल को उनके सारे पापों के लिए क्षमा करेगा।
8 “किन्तु इस्राएल के पर्वतों, तुम मेरे इस्राएल के लोगों के लिये नये पेड़ उगाओगे और फल पैदा करोगे। मेरे लोग शीघ्र लौटेंगे। 9 मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। लोग तुम्हारी भूमि जोतेंगे। लोग बीज बोएंगे। 10 तुम्हारे ऊपर असंख्य लोग रहेंगे। इस्राएल का सारा परिवार और सभी लोग वहाँ रहेंगे। नगरों में, लोग रहने लगेंगे। नष्ट स्थान नये स्थानों की तरह बनेंगे। 11 मैं तुम्हें बहुत से लोग और जानवर दूँगा। वे बढ़ेंगे और उनके बहुत बच्चे होंगे। मैं तुम्हारे ऊपर रहने वाले लोगों को वैसे ही तुम्हें प्राप्त कराऊँगा, जैसे तुमने पहले किया था। मैं तुम्हें तुम्हारे आरम्भ से भी अच्छा बनाऊँगा। तुम फिर कभी उनको, उनके सन्तानों से वंचित नही करोगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। 12 हाँ, मैं अपने लोग, इस्राएल को तुम्हारी भूमि पर चलाऊँगा। वे तुम पर अधिकार करेंगे और तुम उनके होगे। तुम उन्हें बिना बच्चों के फिर कभी नहीं बनाओगे।”
13 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “हे इस्राएल देश लोग तुमसे बुरी बातें कहते हैं। वे कहते हैं कि तुमने अपने लोगों को नष्ट किया। वे कहते हैं कि तुम बच्चों को दूर ले गए। 14 अब भविष्य में तुम लोगों को नष्ट नहीं करोगे। तुम भविष्य में बच्चों को दूर नहीं ले जाओगे।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं थीं। 15 “मैं उन अन्य राष्ट्रों को तुम्हें और अधिक अपमानित नहीं करने दूँगा। तुम उन लोगों से और अधिक चोट नहीं खाओगे। तुम उनको बच्चों से रहित फिर कभी नहीं करोगे।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
44 फिर उसने उनसे कहा, “ये बातें वे हैं जो मैंने तुमसे तब कही थीं, जब मैं तुम्हारे साथ था। हर वह बात जो मेरे विषय में मूसा की व्यवस्था में नबियों तथा भजनों की पुस्तक में लिखा है, पूरी होनी ही हैं।”
45 फिर पवित्र शास्त्रों को समझने केलिये उसने उनकी बुद्धि के द्वार खोल दिये। 46 और उसने उनसे कहा, “यह वही है, जो लिखा है कि मसीह यातना भोगेगा और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा। 47-48 और पापों की क्षमा के लिए मनफिराव का यह संदेश यरूशलेम से आरंभ होकर सब देशों में प्रचारित किया जाएगा। तुम इन बातों के साक्षी हो। 49 और अब मेरे परम पिता ने मुझसे जो प्रतिज्ञा की है, उसे मैं तुम्हारे लिये भेजूँगा। किन्तु तुम्हें इस नगर में उस समय तक ठहरे रहना होगा, जब तक तुम स्वर्ग की शक्ति से युक्त न हो जाओ।”
यीशु की स्वर्ग को वापसी
(मरकुस 16:19-20; प्रेरितों के काम 1:9-11)
50 यीशु फिर उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया। और उसने हाथ उठा कर उन्हें आशीर्वाद दिया। 51 उन्हें आशीर्वाद देते देते ही उसने उन्हें छोड़ दिया और फिर उसे स्वर्ग में उठा लिया गया। 52 तब उन्होंने उसकी आराधना की और असीम आनन्द के साथ वे यरूशलेम लौट आये। 53 और मन्दिर में परमेश्वर की स्तुति करते हुए वे अपना समय बिताने लगे।
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