Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 जो लोग यहोवा के भरोसे रहते हैं, वे सिय्योन पर्वत के जैसे होंगे।
उनको कभी कोई भी डिगा नहीं पाएगा।
वे सदा ही अटल रहेंगे।
2 यहोवा ने निज भक्तों को वैसे ही अपनी ओट में लिया है, जैसे यरूशलेम चारों ओर पहाड़ों से घिरा है।
यहोवा सदा और सर्वदा निज भक्तों की रक्षा करेगा।
3 बुरे लोग सदा धरती पर भलों के ऊपर शासन नहीं करेंगे,
यदी बुरे लोग ऐसा करने लग जायें तो संभव है सज्जन भी बुरे काम करने लगें।
4 हे यहोवा, तू भले लोगों के संग,
जिनके मन पवित्र हैं तू भला हो।
5 हे यहोवा, दुर्जनों को दण्ड दे,
जिन लोगों ने तेरा अनुसरण छोड़ा तू उनको दण्ड दे।
इस्राएल में शांति हो।
9 जब उन्होंने नदी को पार कर लिया तब एलिय्याह ने एलीशा से कहा, “इससे पहले कि परमेश्वर मुझे तुमसे दूर ले जाए, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करुँ।”
एलीशा ने कहा, “मैं आपके आत्मा का दुगना अपने ऊपर चाहता हूँ।”
10 एलिय्याह ने कहा, “तुमने कठिन चीज़ माँगी है। यदि तुम मुझे उस समय देखोगे जब मुझे ले जाया जाएगा तो वही होगा। किन्तु यदि तुम मुझे नहीं देख पाओगे तो वह नहीं होगा।”
परमेश्वर एलिय्याह को स्वर्ग में ले जाता है
11 एलिय्याह और एलीशा एक साथ बातें करते हुए टहल रहे थे। अचानक कुछ घोड़े और एक रथ आया और उन्होंने एलिय्याह को एलीशा से अलग कर दिया। घोड़े और रथ आग के समान थे। तब एलिय्याह एक बवंडर में स्वर्ग को चला गया।
12 एलीशा ने इसे देखा और जोर से पुकारा, “मेरे पिता! मेरे पिता! इस्राएल के रथ और उसके अश्वारोही सैनिक!”[a]
एलीशा ने एलिय्याह को फिर कभी नहीं देखा। एलीशा ने अपने वस्त्रों को मुट्ठी में भरा, और अपना शोक प्रकट करने के लिये उन्हें फाड़ डाला। 13 एलिय्याह का अंगरखा भूमि पर गिर पड़ा था अतः एलीशा ने उसे उठा लिया। एलीशा ने पानी पर चोट की और कहा, “एलिय्याह का परमेश्वर यहोवा, कहाँ है” 14 जैसे ही एलीशा ने पानी पर चोट की, पानी दाँयी और बांयी ओर को फट गया और एलीशा ने नदी पार की।
नबी एलिय्याह की माँग करते हैं
15 जब यरीहो के नबियों के समूह ने एलीशा को देखा, उन्होंने कहा, “एलिय्याह की आत्मा अब एलीशा पर है।” वे एलीशा से मिलने आए। वे एलीशा के सामने नीचे भूमि तक प्रणाम करने झुके। 16 उन्होंने उससे कहा, “देखो, हम अच्छे खासे पचास व्यक्ति हैं। कृपया इनको जाने दो और अपने स्वामी की खोज करने दो। सम्भव है यहोवा की शक्ति ने एलिय्याह को ऊपर ले लिया हो और उसे किसी पर्वत या घाटी में गिरा दिया हो!”
किन्तु एलीशा ने उत्तर दिया, “नहीं, एलिय्याह की खोज के लिये आदमियों को मत भेजो।”
17 नबियों के समूह ने एलीशा से इतनी अधिक प्रार्थना की, कि वह उलझन में पड़ गया। तब एलीशा ने कहा, “ठीक है, एलिय्याह की खोज में आदमियों को भेज दो।”
नबियों के समूह ने पचास आदमियों को एलिय्याह की खोज के लिये भेजा। उन्होंने तीन दिन तक खोज की किन्तु वे एलिय्याह को न पा सके। 18 अतः वे लोग यरीहो गए जहाँ एलीशा ठहरा था। उन्होंने उससे कहा कि वे एलिय्याह को नहीं पा सके। एलीशा ने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें जाने को मना किया था।”
एलीशा पानी को शुद्ध करता है
19 नगर के निवासियों ने एलीशा से कहा, “महोदय, आप अनुभव कर सकते हैं कि यह नगर सुन्दर स्थान में है। किन्तु यहाँ पानी बुरा है। यही कारण है कि भूमि में फसल की उपज नहीं होती।”
20 एलीशा ने कहा, “मेरे पास एक नया कटोरा लाओ और उसमें नमक रखो।”
लोग कटोरे को एलीशा के पास ले आए। 21 तब एलीशा उस स्थान पर गया जहाँ पानी भूमि से निकल रहा था। एलीशा ने नमक को पानी में फेंक दिया। उसने कहा, “यहोवा कहता है, ‘मैं इस पानी को शुद्ध करता हूँ। अब, मैं इस पानी से किसी को मरने न दूँगा, और न ही भूमि को अच्छी फसल देने से रोकूँगा।’”
22 पानी शुद्ध हो गया और पानी अब तक भी शुद्ध है। यह वैसा ही हुआ जैसा एलीशा ने कहा था।
17 “हे भाईयों, अब मैं जानता हूँ कि जैसे अनजाने में तुमने वैसा किया, वैसे ही तुम्हारे नेताओं ने भी किया। 18 परमेश्वर ने अपने सब भविष्यवक्ताओं के मुख से पहले ही कहलवा दिया था कि उसके मसीह को यातनाएँ भोगनी होंगी। उसने उसे इस तरह पूरा किया। 19 इसलिये तुम अपना मन फिराओ और परमेश्वर की ओर लौट आओ ताकि तुम्हारे पाप धुल जायें। 20 ताकि प्रभु की उपस्थिति में आत्मिक शांति का समय आ सके और प्रभु तुम्हारे लिये मसीह को भेजे जिसे वह तुम्हारे लिये चुन चुका है, यानी यीशु को।
21 “मसीह को उस समय तक स्वर्ग में रहना होगा जब तक सभी बातें पहले जैसी न हो जायें जिनके बारे में बहुत पहले से ही परमेश्वर ने अपने पवित्र नबियों के मुख से बता दिया था। 22 मूसा ने कहा था, ‘प्रभु परमेश्वर तुम्हारे लिये, तुम्हारे अपने लोगों में से ही एक मेरे जैसा नबी खड़ा करेगा। वह तुमसे जो कुछ कहे, तुम उसी पर चलना, 23 और जो कोई व्यक्ति उस नबी की बातों को नहीं सुनेगा, उनको पूरी तरह नष्ट कर दिया जायेगा।’(A)
24 “हाँ! शमूएल और उसके बाद आये सभी नबियों ने जब कभी कुछ कहा तो इन ही दिनों की घोषणा की। 25 और तुम तो उन नबियों और उस करार के उत्तराधिकारी हो जिसे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों के साथ किया था। उसने इब्राहीम से कहा था, ‘तेरी संतानों से धरती के सभी लोग आशीर्वाद पायेंगे।’(B) 26 परमेश्वर ने जब अपने सेवक को पुनर्जीवित किया तो पहले-पहले उसे तुम्हारे पास भेजा ताकि तुम्हें तुम्हारे बुरे रास्तों से हटा कर आशीर्वाद दे।”
पतरस और यूहन्ना: यहूदी सभा के सामने
4 अभी पतरस और यूहन्ना लोगों से बात कर रहे थे कि याजक, मन्दिर के सिपाहियों का मुखिया और कुछ सदूकी उनके पास आये। 2 वे उनसे इस बात पर चिढ़े हुए थे कि पतरस और यूहन्ना लोगों को उपदेश देते हुए यीशु के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा पुनरुत्थान का प्रचार कर रहे थे। 3 सो उन्होंने उन्हें बंदी बना लिया और क्योंकि उस समय साँझ हो चुकी थी, इसलिये अगले दिन तक हिरासत में रख छोड़ा। 4 किन्तु जिन्होंने वह संदेश सुना उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया और इस प्रकार उनकी संख्या लगभग पाँच हजार पुरूषों तक जा पहुँची।
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