Revised Common Lectionary (Complementary)
1 आओ हम यहोवा के गुण गाएं!
आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है।
2 आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं।
आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें।
3 क्यों? क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है।
वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं” पर शासन करता है।
4 गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं।
5 सागर उसका है, उसने उसे बनाया है।
परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है।
6 आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें।
आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है।
7 वह हमारा परमेश्वर
और हम उसके भक्त हैं।
यदि हम उसकी सुने
तो हम आज उसकी भेड़ हैं।
सच्चा परमेश्वर यहोवा इस्राएल का सहायक है
21 “हे याकूब, ये बातें याद रख!
इस्राएल, याद रख कि तू मेरा सेवक है।
मैंने तुझे बनाया।
तू मेरा सेवक है।
इसलिए इस्राएल, मैं तुझको नहीं भूलाऊँगा।
22 तेरे पाप एक बड़े बादल जैसे थे।
किन्तु मैंने तेरे पापों को उड़ा दिया।
तेरे पाप बादल के समान वायु में विलीन हो गये।
मैंने तुझे बचाया और तेरी रक्षा की।
इसलिए मेरे पास लौट आ!”
23 आकाश प्रसन्न है, क्योंकि यहोवा ने महान काम किये।
धरती और यहाँ तक कि धरती के नीचे बहुत गहरे स्थान भी प्रसन्न हैं!
पर्वत परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए गाओ।
वन के सभी वृक्ष, तुम भी खुशी गाओ!
क्यों क्योंकि यहोवा ने याकूब को बचा लिया है।
यहोवा ने इस्राएल के लिये महान कार्य किये हैं।
24 जो कुछ भी तू है वह यहोवा ने तुझे बनाया।
यहोवा ने यह किया जब तू अभी माता के गर्भ में ही था।
यहोवा तेरा रखवाला कहता है।
“मैं यहोवा ने सब कुछ बनाया! मैंने ही वहाँ आकाश ताना है, और अपने सामने धरती को बिछाया!”
25 झूठे नबी शगुन दिखाया करते हैं किन्तु यहोवा दर्शाता है कि उनके शगुन झूठे हैं। जो लोग जादू टोना कर के भविष्य बताते हैं, यहोवा उन्हें मूर्ख सिद्ध करेगा। यहोवा तथाकथित बुद्धिमान मनुष्यों तक को भ्रम में डाल देता है। वे सोचते हैं कि वे बहुत कुछ जानते हैं किन्तु यहोवा उन्हें ऐसा बना देता है कि वे मूर्ख दिखाई दें। 26 यहोवा अपने सेवकों को लोगों को सन्देश सुनाने के लिए भेजता है और फिर यहोवा उन सन्देशों को सच कर देता है। यहोवा लोगों को क्या करना चाहिये उन्हें यह बताने के लिए दूत भेजता है और फिर यहोवा दिखा देता है कि उनकी सम्मति अच्छी है।
परमेश्वर कुस्रू को यहूदा के पुन: निर्माण के लिये चुनता है
यहोवा यरूशलेम से कहता है, “लोग तुझ में आकर फिर बसेंगे!”
यहोवा यहूदा के नगरों से कहता है, “तुम्हारा फिर से निर्माण होगा!”
यहोवा ध्वस्त हुए नगरों से कहता है, “मैं तुम नगरों को फिर से उठाऊँगा!”
27 यहोवा गहरे सागर से कहता है, “सूख जा!
मैं तेरी जलधाराओं को सूखा बना दूँगा!”
28 यहोवा कुस्रू से कहता है, “तू मेरा चरवाहा है।
जो मैं चाहता हूँ तू वही काम करेगा।
तू यरूशलेम से कहेगा, ‘तुझको फिर से बनाया जायेगा!’
तू मन्दिर से कहेगा, ‘तेरी नीवों का फिर से निर्माण होगा!’”
यीशु के अनुयायी ही उसका परिवार
(मरकुस 3:31-35; लूका 8:19-21)
46 वह अभी भीड़ के लोगों से बातें कर ही रहा था कि उसकी माता और भाई-बन्धु वहाँ आकर बाहर खड़े हो गये। वे उससे बातें करने को बाट जोह रहे थे। 47 किसी ने यीशु से कहा, “सुन तेरी माँ और तेरे भाई-बन्धु बाहर खड़े हैं और तुझसे बात करना चाहते हैं।”
48 उत्तर में यीशु ने बात करने वाले से कहा, “कौन है मेरी माँ? कौन हैं मेरे भाई-बन्धु?” 49 फिर उसने हाथ से अपने अनुयायिओं की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये हैं मेरी माँ और मेरे भाई-बन्धु। 50 हाँ स्वर्ग में स्थित मेरे पिता की इच्छा पर जो कोई चलता है, वही मेरा भाई, बहन और माँ है।”
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