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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 28

दाऊद को समर्पित।

हे यहोवा, तू मेरी चट्टान है,
मैं तुझको सहायता पाने को पुकार रहा हूँ।
    मेरी प्रार्थनाओं से अपने कान मत मूँद,
यदि तू मेरी सहायता की पुकार का उत्तर नहीं देगा,
    तो लोग मुझे कब्र में मरा हुआ जैसा समझेंगे।
हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू की ओर मैं अपने हाथ उठाकर प्रार्थना करता हूँ।
    जब मैं तुझे पुकारुँ, तू मेरी सुन
    और तू मुझ पर अपनी करुणा दिखा।
हे यहोवा, मुझे उन बुरे व्याक्तियों की तरह मत सोच जो बुरे काम करते हैं।
    जो अपने पड़ोसियों से “सलाम” (शांति) करते हैं, किन्तु अपने हृदय में अपने पड़ोसियों के बारे में कुचक्र सोचते हैं।
हे यहोवा, वे व्यक्ति अन्य लोगों का बुरा करते हैं।
    सो तू उनके साथ बुरी घटनाएँ घटा।
    उन दुर्जनों को तू वैसे दण्ड दे जैसे उन्हें देना चाहिए।
दुर्जन उन उत्तम बातों को जो यहोवा करता नहीं समझते।
    वे परमेश्वर के उत्तम कर्मो को नहीं देखते। वे उसकी भलाई को नहीं समझते।
    वे तो केवल किसी का नाश करने का यत्न करते हैं।

यहोवा की स्तुति करो!
    उसने मुझ पर करुणा करने की विनती सुनी।
यहोवा मेरी शक्ति है, वह मेरी ढाल है।
    मुझे उसका भरोसा था।
उसने मेरी सहायता की।
    मैं अति प्रसन्न हूँ, और उसके प्रशंसा के गीत गाता हूँ।
यहोवा अपने चुने राजा की रक्षा करता है।
    वह उसे हर पल बचाता है। यहोवा ही उसका बल है।

हे परमेश्वर, अपने लोगों की रक्षा कर।
    जो तेरे हैं उनको आशीष दे।
    उनको मार्ग दिखा और सदा सर्वदा उनका उत्थान कर।

न्यायियों 16:1-22

शिमशोन अज्जा नगर को जाता है

16 एक दिन शिमशोन अज्जा नगर को गया। उसने वहाँ एक वेश्या को देखा। वह उसके साथ रात बिताने के लिये अन्दर गया। किसी ने अज्जा के लोगों से कहा, “शिमशोन यहाँ आया है।” वे उसे जान से मार डालना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नगर को घेर लिया। वे छिपे रहे और वे नगर—द्वार के पास छिप गये और सारी रात शिमशोन की प्रतीक्षा किया। वे पूरी रात एकदम चुप रहे। उनहोंने आपस में कहा, “जब सवेरा होगा, हम लोग शिमशोन को मार डालेंगे।”

किन्तु शिमशोन वेश्या के साथ आधी रात तक ही रहा। शिमशोन आधी रात में उठा और नगर के फाटक के किवाड़ों को पकड़ लिया और उसने उन्हें खींच कर दीवार से अलग कर दिया। शिमशोन ने किवाड़ों, दो खड़ी चौखटों और अबेड़ों को जो किवाड़ को बन्द करती थी, पकड़ कर अलग उखाड़ लिया। तब शिमशोन ने उन्हें अपने कंधों पर लिया और उस पहाड़ी की चोटी पर ले गया जो हेब्रोन नगर के समीप है।

शिमशोन और दलीला

इसके बाद शिमशोन दलीला नामक एक स्त्री से प्रेम करने लगा। वह सोरेक घाटी की थी।

पलिश्ती लोगों के शासक दलीला के पास गए। उन्होंने कहा, “हम जानना चाहते हैं कि शिमशोन उतना अधिक शक्तिशाली कैसे है? उसे फुसलाने की कोशिश करो कि वह अपनी गुप्त बात बता दे। तब हम लोग जान जाएंगे कि उसे कैसे पकड़ें और उसे कैसे बांधें। तब हम लोग उस पर नियन्त्रण कर सकते हैं। यदि तुम ऐसा करोगी तो हम में से हर एक तुमको एक हजार एक सौ शेकेल[a] देगा।”

अत: दलीला ने शिमशोन से कहा, “मुझे बताओ कि तुम इतने अधिक शक्तिशाली क्यों हो? तुम्हें कोई कैसे बाँध सकता है और तुम्हें कैसे असहाय कर सकता है?”

शिमशोन ने उत्तर दिया, “कोई व्यक्ति मुझे सात नयी धनुष की उन डोरियों से बांध सकता है जो अब तक सूखी न हों। यदि कोई ऐसा करेगा तो मैं अन्य आदमियों की तरह दुर्बल हो जाऊँगा।”

तब पलिश्ती के शासक सात नयी धनुष की डोरीयाँ दलीला के लिए लाए। वे डोरियाँ अब तक सूखी नहीं थीं। उसने शिमशोन को उससे बांध दिया। कुछ व्यक्ति दूसरे कमरे में छिपे थे। दलीला ने शिमशोन से कहा, “शिमशोन पलिश्ती के लोग तुम्हें पकड़ने आ रहे हैं।” किन्तु शिमशोन ने धनुष—डोरियों को सरलता से तोड़ दिया। वे दीपक से जली ताँत की राख की तरह टूट गई। इस प्रकार पलिश्ती के लोग शिमशोन की शक्ति का राज न पा सके।

10 तब दलीला ने शिमशोन से कहा, “तुमने मुझे बेवकूफ बनाया है। तुमने मुझसे झूठ बोला है। कृपया मुझे सच—सच बताओ कि तुम्हें कोई कैसे बांध सकता है।”

11 शिमशोन ने कहा, “कोई व्यक्ति मुझे नयी रस्सियों से बांध सकता है। वे मुझे उन रस्सियों से बांध सकते हैं जिनका उपयोग पहले न हुआ हो। यदि कोई ऐसा करेगा तो मैं इतना कमज़ोर हो जाऊँगा, जितना कोई अन्य व्यक्ति होता है।”

12 इसलिये दलीला ने कुछ नयी रस्सियाँ लीं और शिमोशन को बांध दिया। कुछ व्यक्ति अगले कमरे में छिपे थे। तब दलीला ने उसे आवाज दी, “शिमशोन, पलिश्ती लोग तुम्हें पकड़ने आ रहे हैं।” किन्तु उसने रस्सियों को सरलता से तोड़ दिया। उसने उन्हें धागे की तरह तोड़ डाला।

13 तब दलीला ने शिमशोन से कहा, “तुमने मुझे बेवकूफ बनाया है। तुमने मुझसे झूठ बोला है। अब तुम मुझे बताओ कि तुम्हें कोई कैसे बांध सकता है।”

उसने कहा, “यदि तुम उस करघे का उपयोग करो जो मेरे सिर के बालों के बटों को एक में बनाए और इसे एक काँटे से कस दे तो मैं इतना कमज़ोर हो जाऊँगा, जितना कोई अन्य व्यक्ति होता है।” तब शिमशोन सोने चला गया। इसलिए दलीला ने करघे का उपयोग उसके सिर के बालों के सात बट बुनने के लिये किया।

14 तब दलीला ने ज़मीन में खेमे की खूँटी गाड़कर, करघे को उससे बांध दिया। फिर उसने शिमशोन को आवाज़ दी, “शिमशोन, पलिश्ती के लोग तुम्हें पकड़ने जा रहे हैं।” शिमशोन ने खेमे की खूँटी करघा तथा ढरकी को उखाड़ दिया।

15 तब दलीला ने शिमशोन से कहा, “तुम मुझसे कैसे कह सकते हो, ‘मैं तुमसे प्रेम करता हूँ,’ जबकि तुम मुझ पर विश्वास तक नहीं करते।[b] तुम अपना राज बताने से इन्कार करते हो। यह तीसरी बार तुमने मुझे बेवकूफ बनाया है। तुमने अपनी भीषण शक्ति का राज नहीं बताया है।” 16 वह शिमशोन को दिन पर दिन परेशान करती गई। उसके राज के बारे में उसके पूछने से वह इतना थक गया कि उसे लगा कि वह मरने जा रहा है। 17 इसलिये उसने दलीला को सब कुछ बता दिया। उसने कहा, “मैंने अपने बाल कभी कटवाये नहीं हैं। मैं जन्म के पहले विशेष रूप से परमेश्वर को समर्पित था। यदि कोई मेरे बालों को काट दे तो मेरी शक्ति चली जाएगी। मैं वैसा ही कमज़ोर हो जाऊँगा, जितना कोई अन्य व्यक्ति होता है।”

18 दलीला ने देखा कि शिमशोन ने अपने हृदय की सारी बात कह दी है। उसने पलिश्ती के लोगों के शासकों के पास दूत भेजा। उसने कहा, “फिर वापस लौटो। शिमशोन ने सब कुछ कह दिया है।” अत: पलिश्ती लोगों के शासक दलीला के पास लौटे। वे वह धन साथ लाए जो उन्होंने उसे देने की प्रतिज्ञा की थी।

19 दलीला ने शिमशोन को उस समय सो जाने दिया, जब वह उसकी गोद में सिर रख कर लेटा था। तब उसने एक व्यक्ति को अन्दर बुलाया और शिमशोन के बालों की सात लटों को कटवा दिया। इस प्रकार उसने उसे शक्तिहीन बना दिया। शिमशोन की शक्ति ने उसे छोड़ दिया। 20 तब दलीला ने उसे आवाज दी। “शिमशोन पलिश्ती के लोग तुमको पकड़ने जा रहे हैं।” वह जाग पड़ा और सोचा, “मैं पहले की तरह भाग निकलूँ और अपने को स्वतन्त्र रखूँ।” किन्तु शिमशोन को यह नहीं मालूम था कि यहोवा ने उसे छोड़ दिया है।

21 पलिश्ती के लोगों ने शिमशोन को पकड़ लिया। उन्होंने उसकी आँखें निकाल लीं और उसे अज्जा नगर को ले गए। तब उसे भागने से रोकने के लिए उसके पैरों में उन्होंने बेड़ियाँ डाल दीं। उन्होंने उसे बन्दीगृह में डाल दिया तथा उससे चक्की चलवायी। 22 किन्तु शिमशोन के बाल फिर बढ़ने आरम्भ हो गए।

फिलिप्पियों 1:15-21

15 यह सत्य है कि उनमें से कुछ ईर्ष्या और बैर के कारण मसीह का उपदेश देते हैं किन्तु दूसरे लोग सदभावना से प्रेरित होकर मसीह का उपदेश देते हैं। 16 ये लोग प्रेम के कारण ऐसा करते हैं क्योंकि ये जानते हैं कि परमेश्वर ने सुसमाचार का बचाव करने के लिए ही मुझे यहाँ रखा है। 17 किन्तु कुछ और लोग तो सच्चाई के साथ नहीं, बल्कि स्वार्थ पूर्ण इच्छा से मसीह का प्रचार करते है क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे वे बंदीगृह में मेरे लिए कष्ट पैदा कर सकेंगे। 18 किन्तु इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण तो यह है कि एक ढंग से या दूसरे ढंग से, चाहे बुरा उद्देश्य हो, चाहे भला प्रचार तो मसीह का ही होता है और इससे मुझे आनन्द मिलता है और आनन्द मिलता ही रहेगा।

19 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा और उस सहायता से जो यीशु मसीह की आत्मा से प्राप्त होती है, परिणाम में मेरी रिहाई ही होगी। 20 मेरी तीव्र इच्छा और आशा यही है और मुझे इसका विश्वास है कि मैं किसी भी बात से निराश नहीं होऊँगा बल्कि पूर्ण निर्भयता के साथ जैसे मेरे देह से मसीह की महिमा सदा होती रही है, वैसे ही आगे भी होती रहेगी, चाहे मैं जीऊँ और चाहे मर जाऊँ। 21 क्योंकि मेरे जीवन का अर्थ है मसीह और मृत्यु का अर्थ है एक उपलब्धि।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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