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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 133

दाऊद का आरोहण गीत।

परमेश्वर के भक्त मिल जुलकर शांति से रहे।
    यह सचमुच भला है, और सुखदायी है।
यह वैसा सुगंधित तेल जैसा होता है जिसे हारून के सिर पर उँडेला गया है।
    यह, हारून की दाढ़ी से नीचे जो बह रहा हो उस तेल सा होता है।
    यह, उस तेल जैसा है जो हारून के विशेष वस्त्रों पर ढुलक बह रहा।
यह वैसा है जैसे धुंध भरी ओस हेर्मोन की पहाड़ी से आती हुई सिय्योन के पहाड पर उतर रही हो।
    यहोवा ने अपने आशीर्वाद सिय्योन के पहाड़ पर ही दिये थे। यहोवा ने अमर जीवन की आशीष दी थी।

उत्पत्ति 48:8-22

तब इस्राएल ने यूसुफ के पुत्रों को देखा। इस्राएल ने पूछा, “ये लड़के कौन हैं?”

यूसुफ ने अपने पिता से कहा, “ये मेरे पुत्र हैं। ये वे लड़के हैं जिन्हें परमेश्वर ने मुझे दिया है।”

इस्राएल ने कहा, “अपने पुत्रों को मेरे पास लाओ। मैं उन्हें आशीर्वाद दूँगा।”

10 इस्राएल बूढ़ा था और उसकी आँखें ठीक नहीं थीं। इसलिए यूसुफ अपने पुत्रों को अपने पिता के निकट ले गया। इस्राएल ने बच्चों को चूमा और गले लगाया। 11 तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं तुम्हारा मुँह फिर देखूँगा, किन्तु देखो। परमेश्वर ने तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को भी मुझे देखने दिया।”

12 तब यूसुफ ने बच्चों को इस्राएल की गोद से लिया और वे उसके पिता के सामने प्रणाम करने को झुके। 13 यूसुफ ने एप्रैम को अपनी दायीं ओर किया और मनश्शे को अपनी बायीं ओर (इस प्रकार एप्रैम इस्राएल की बायीं ओर था और मनश्शे इस्राएल की दायीं ओर था)। 14 किन्तु इस्राएल ने अपने हाथों की दिशा बदलकर अपने दायें हाथ को छोटे लड़के एप्रैम के सिर पर रखा और तब बायें हाथ को इस्राएल ने बड़े लड़के मनश्शे के सिर पर रखा। यद्यपि मनश्शे का जन्म पहले हुआ था 15 और इस्राएल ने यूसुफ को आशीर्वाद दिया और कहा,

“मेरे पूर्वज इब्राहीम और इसहाक ने हमारे परमेश्वर की उपासना की
    और वही परमेश्वर मेरे पूरे जीवन का पथ—प्रदर्शक रहा है।
16 वही दूत रहा जिसने मुझे सभी कष्टों से बचाया
    और मेरी प्रार्थना है कि इन लड़कों को वह आशीर्वाद दे।
अब ये बच्चे मेरा नाम पाएँगे। वे हमारे पूर्वज इब्राहीम
    और इसहाक का नाम पाएँगे।
मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे इस धरती पर बड़े परिवार
    और राष्ट्र बनेंगे।”

17 यूसुफ ने देखा कि उसके पिता ने एप्रैम के सिर पर दायाँ हाथ रखा है। वह यूसुफ को प्रसन्न न कर सका। यूसुफ ने अपने पिता के हाथ को पकड़ा। वह उसे एप्रैम के सिर से हटा कर मनश्शे के सिर पर रखना चाहता था। 18 यूसुफ ने अपने पिता से कहा, “आपने अपना दायाँ हाथ गलत लड़के पर रखा है। मनश्शे का जन्म पहले है।”

19 किन्तु उसके पिता ने तर्क दिया और कहा, “पुत्र, मैं जानता हूँ। मनश्शे का जन्म पहले है और वह महान होगा। वह बहुत से लोगों का पिता भी होगा। किन्तु छोटा भाई बड़े भाई से बड़ा होगा और छोटे भाई का परिवार उससे बहुत बड़ा होगा।”

20 इस प्रकार इस्राएल ने उस दिन उन्हें आशीर्वाद दिया। उसने कहा,

“इस्राएल के लोग तुम्हारे नाम का प्रयोग आशीर्वाद देने के लिए करेंगे,
    तुम्हारे कारण कृपा प्राप्त करेंगे।
लोग प्रार्थना करेंगे, ‘परमेश्वर तुम्हें
    एप्रैम और मनश्शे के समान बनाये।’”

इस प्रकार इस्राएल ने एप्रैम को मनश्शे से बड़ा बनाया।

21 तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, “देखो मेरी मृत्यु का समय निकट आ गया है। किन्तु परमेश्वर तुम्हारे साथ अब भी रहेगा। वह तुम्हें तुम्हारे पूर्वजों के देश तक लौटा ले जायेगा। 22 मैंने तुमको ऐसा कुछ दिया है जो तुम्हारे भाईयों को नहीं दिया है। मैं तुमको वह पहाड़ देता हूँ जिसे मैंने एमोरी लोगों से जीता था। उस पहाड़ के लिए मैंने अपनी तलवार और अपने धनुष से युद्ध किया था और मेरी जीत हुई थी।”

इब्रानियों 11:23-29

23 विश्वास के आधार पर ही, मूसा के माता-पिता ने, मूसा के जन्म के बाद उसे तीन महीने तक छुपाए रखा क्योंकि उन्होंने देख लिया था कि वह कोई सामान्य बालक नहीं था और वे राजा की आज्ञा से नहीं डरे।

24 विश्वास से ही, मूसा जब बड़ा हुआ तो उसने फिरौन की पुत्री का बेटा कहलाने से इन्कार कर दिया। 25 उसने पाप के क्षणिक सुख भोगों की अपेक्षा परमेश्वर के संत जनों के साथ दुर्व्यवहार झेलना ही चुना। 26 उसने मसीह के लिए अपमान झेलने को मिस्र के धन भंडारों की अपेक्षा अधिक मूल्यवान माना क्योंकि वह अपना प्रतिफल पाने की बाट जोह रहा था।

27 विश्वास के कारण ही, राजा के कोप से न डरते हुए उसने मिस्र का परित्याग कर दिया; वह डटा रहा, मानो उसे अदृश्य परमेश्वर दिख रहा हो। 28 विश्वास से ही, उसने फसह पर्व और लहू छिड़कने का पालन किया, ताकि पहली संतानों का विनाश करने वाला, इस्राएल की पहली संतान को छू तक न पाए।

29 विश्वास के कारण ही, लोग लाल सागर से ऐसे पार हो गए जैसे वह कोई सूखी धरती हो। किन्तु जब मिस्र के लोगों ने ऐसा करना चाहा तो वे डूब गए।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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