Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का एक गीत।
1 हे मेरी आत्मा, तू यहोवा के गुण गा!
हे मेरी अंग—प्रत्यंग, उसके पवित्र नाम की प्रशंसा कर।
2 हे मेरी आत्मा, यहोवा को धन्य कह
और मत भूल की वह सचमुच कृपालु है!
3 उन सब पापों के लिये परमेश्वर हमको क्षमा करता है जिनको हम करते हैं।
हमारी सब व्याधि को वह ठीक करता है।
4 परमेश्वर हमारे प्राण को कब्र से बचाता है,
और वह हमे प्रेम और करुणा देता है।
5 परमेश्वर हमें भरपूर उत्तम वस्तुएँ देता है।
वह हमें फिर उकाब सा युवा करता है।
6 यहोवा खरा है।
परमेश्वर उन लोगों को न्याय देता है, जिन पर दूसरे लोगों ने अत्याचार किये।
7 परमेश्वर ने मूसा को व्यवस्था का विधान सिखाया।
परमेश्वर जो शक्तिशाली काम करता है, वह इस्राएलियों के लिये प्रकट किये।
8 यहोवा करुणापूर्ण और दयालु है।
परमेश्वर सहनशील और प्रेम से भरा है।
9 यहोवा सदैव ही आलोचना नहीं करता।
यहोवा हम पर सदा को कुपित नहीं रहता है।
10 हम ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किये,
किन्तु परमेश्वर हमें दण्ड नहीं देता जो हमें मिलना चाहिए।
11 अपने भक्तों पर परमेश्वर का प्रेम वैसे महान है
जैसे धरती पर है ऊँचा उठा आकाश।
12 परमेश्वर ने हमारे पापों को हमसे इतनी ही दूर हटाया
जितनी पूरब कि दूरी पश्चिम से है।
13 अपने भक्तों पर यहोवा वैसे ही दयालु है,
जैसे पिता अपने पुत्रों पर दया करता है।
भूखमरी का समय आरम्भ होता है
53 सात वर्ष तक लोगों के पास खाने के लिए यह सब भोजन था जिसकी उन्हें आवश्यकता थी और जो चीजें उन्हें आवश्यक थीं वे सभी उगती थीं। 54 किन्तु सात वर्ष वाद भूखमरी के दिन शुरु हुए। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा यूसुफ ने कहा था। सारी भूमि में चारों ओर अन्न पैदा न हुआ। लोगों के पास खाने को कुछ न था। किन्तु मिस्र में लोगों के खाने के लिए काफी था, क्योंकि यूसुफ ने अन्न जमा कर रखा था। 55 भूखमरी का समय शुरु हुआ और लोग भोजन के लिए फ़िरौन के सामने रोने लगे। फ़िरौन ने मिस्री लोगों से कहा, “यूसुफ से पूछो। वही करो जो वह करने को कहता है।”
56 इसलिए जब देश में सर्वत्र भूखमरी थी, यूसुफ ने अनाज के गोदामों से लोगों को अन्न दिया। यूसुफ ने जमा अन्न को मिस्र के लोगों को बेचा। मिस्र में बहुत भयंकर अकाल था। 57 मिस्र के चारों ओर के देशों के लोग अनाज खरीदने मिस्र आए। वे यूसुफ के पास आए क्योंकि वहाँ संसार के उस भाग में सर्वत्र भूखमरी थी।
स्वप्न सच हुआ
42 इस समय याकूब के प्रदेश में भूखमरी थी। किन्तु याकूब को यह पता लगा कि मिस्र में अन्न है। इसलिए याकूब ने अपने पुत्रों से कहा, “हम लोग यहाँ हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे है? 2 मैंने सुना है कि मिस्र में खरीदने के लिए अन्न है। इसलिए हम लोग वहाँ चलें और वहाँ से अपने खाने के लिए अन्न खरीदें, तब हम लोग जीवित रहेंगे, मरेंगे नहीं।”
3 इसलिए यूसुफ के भाईयों में से दस अन्य खरीदने मिस्र गए। 4 याकूब ने बिन्यामीन को नहीं भेजा। (बिन्यामीन यूसुफ का एकमात्र सगा भाई[a] था।)
5 कनान में भूखमरी का समय बहुत भयंकर था। इसलिए कनान के बहुत से लोग अन्न खरीदने मिस्र गए। उन्हीं लोगों में इस्राएल के पुत्र भी थे।
6 इस समय यूसुफ मिस्र का प्रशासक था। केवल यूसुफ ही था जो मिस्र आने वाले लोगों को अन्न बेचने का आदेश देता था। यूसुफ के भाई उसके पास आए और उन्होंने उसे झुककर प्रणाम किया। 7 यूसुफ ने अपने भाईयों को देखा और उसने उन्हें पहचान लिया कि वे कौन हैं। किन्तु यूसुफ उनसे इस तरह बात करता रहा जैसे वह उन्हें पहचानता ही नहीं। उसने उनके साथ क्रूरता से बात की। उसने कहा, “तुम लोग कहाँ से आए हो?”
भाईयों ने उत्तर दिया, “हम कनान देश से आए हैं। हम लोग अन्न खरीदने आए हैं।”
8 यूसुफ जानता था कि वे लोग उसके भाई हैं। किन्तु वे नहीं जानते थे कि वह कौन हैं? 9 यूसुफ ने उन सपनों को याद किया जिन्हें उसने अपने भाईयों के बारे में देखा था।
यूसुफ ने अपने भाईयों से कहा, “तुम लोग अन्न खरीदने नहीं आए हो। तुम लोग जासूस हो। तुम लोग यह पता लगाने आए हो कि हम कहाँ कमजोर हैं?”
10 किन्तु भाईयों ने उससे कहा, “नहीं महोदय! हम तो आपके सेवक के रूप में आए हैं। हम लोग केवल अन्न खरीदने आए हैं। 11 हम सभी लोग भाई हैं, हम लोगों का एक ही पिता है। हम लोग ईमानदार हैं। हम लोग केवल अन्न खरीदने आए है।”
12 तब यूसुफ ने उनसे कहा, “नहीं, तुम लोग यह पता लगाने आए हो कि हम कहाँ कमजोर हैं?”
13 भाईयों ने कहा, “नहीं हम सभी भाई हैं। हमारे परिवार में बारह भाई हैं। हम सबका एक ही पिता हैं। हम लोगों का सबसे छोटा भाई अभी भी हमारे पिता के साथ घर पर है और दूसरा भाई बहुत समय पहले मर गया। हम लोग आपके सामने सेवक की तरह हैं। हम लोग कनान देश के हैं।”
14 किन्तु यूसुफ ने कहा, “नहीं मुझे पता है कि मैं ठीक हूँ। तुम भेदिये हो। 15 किन्तु मैं तुम लोगों को यह प्रमाणित करने का अवसर दूँगा कि तुम लोग सच कह रहे हो। तुम लोग यह जगह तब तक नहीं छोड़ सकते जब तक तुम लोगों का छोटा भाई यहाँ नहीं आता। 16 इसलिए तुम लोगों में से एक लौटे और अपने छोटे भाई को यहाँ लाए। उस समय तक अन्य यहाँ कारागार में रहेंगे। हम देखेंगे कि क्या तुम लोग सच बोल रहे हो। किन्तु मुझे विश्वास है कि तुम लोग जासूस हो।” 17 तब यूसुफ ने उन सभी को तीन दिन के लिए कारागार में डाल दिया।
9 “वे आदि पुरूष यूसुफ़ से ईर्ष्या रखते थे। सो उन्होंने उसे मिसर में दास बनने के लिए बेच दिया। किन्तु परमेश्वर उसके साथ था। 10 और उसने उसे सभी विपत्तियों से बचाया। परमेश्वर ने यूसुफ़ को विवेक दिया और उसे इस योग्य बनाया जिससे वह मिसर के राजा फिरौन का अनुग्रह पात्र बन सका। फिरौन ने उसे मिसर का राज्यपाल और अपने घर-बार का अधिकारी नियुक्त किया। 11 फिर समूचे मिसर और कनान देश में अकाल पड़ा और बड़ा संकट छा गया। हमारे पूर्वज खाने को कुछ नहीं पा सके।
12 “जब याकूब ने सुना कि मिसर में अन्न है, तो उसने हमारे पूर्वजों को वहाँ भेजा-यह पहला अवसर था। 13 उनकी दूसरी यात्रा के अवसर पर यूसुफ़ ने अपने भाइयों को अपना परिचय दे दिया और तभी फिरौन को भी यूसुफ़ के परिवार की जानकारी मिली। 14 सो यूसुफ़ ने अपने पिता याकूब और परिवार के सभी लोगों को, जो कुल मिलाकर पिचहत्तर थे, बुलवा भेजा। 15 तब याकूब मिसर आ गया और उसने वहाँ वैसे ही प्राण त्यागे जैसे हमारे पूर्वजों ने वहाँ प्राण त्यागे थे। 16 उनके शव वहाँ से वापस सेकेम ले जाये गये जहाँ उन्हें मकबरे में दफना दिया गया। यह वही मकबरा था जिसे इब्राहीम ने हमोर के बेटों से कुछ धन देकर खरीदा था।
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