Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का एक पद।
1 हे परमेश्वर, मैं अपने पूर्ण मन से तेरे गीत गाता हूँ।
मैं सभी देवों के सामने मैं तेरे पद गाऊँगा।
2 हे परमेश्वर, मैं तेरे पवित्र मन्दिर की और दण्डवत करुँगा।
मैं तेरे नाम, तेरा सत्य प्रेम, और तेरी भक्ति बखानूँगा।
तू अपने वचन की शक्ति के लिये प्रसिद्ध है। अब तो उसे तूने और भी महान बना दिया।
3 हे परमेश्वर, मैंने तुझे सहायता पाने को पुकारा।
तूने मुझे उत्तर दिया! तूने मुझे बल दिया।
4 हे यहोवा, मेरी यह इच्छा है कि धरती के सभी राजा तेरा गुण गायें।
जो बातें तूने कहीं हैं उन्होंने सुनीं हैं।
5 मैं तो यह चाहता हूँ, कि वे सभी राजा
यहोवा की महान महिमा का न करें।
6 परमेश्वर महान है,
किन्तु वह दीन जन का ध्यान रखता है।
परमेश्वर को अहंकारी लोगों के कामों का पता है
किन्तु वह उनसे दूर रहता है।
7 हे परमेश्वर, यदि मैं संकट में पडूँ तो मुझको जीवित रख।
यदि मेरे शत्रु मुझ पर कभी क्रोध करे तो उन से मुझे बचा ले।
8 हे यहोवा, वे वस्तुएँ जिनको मुझे देने का वचन दिया है मुझे दे।
हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
हे यहोवा, तूने हमको रचा है सो तू हमको मत बिसरा।
33 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “जिस दिन मैं तुम्हारे पापों को धोऊँगा, मैं लोगों को वापस तुम्हारे नगरों में लाऊँगा। वे नष्ट नगर फिर बनाए जाएंगे। 34 खाली पड़ी भूमि फिर जोती जाएगी। यहाँ से गुजरने वाले हर एक को यह बरबादियों के ढेर के रूप में नहीं दिखेगा। 35 वे कहेंगे, ‘अतीत में यह देश नष्ट हो गए थे। लेकिन अब ये अदन के उद्यान जैसे हैं। नगर नष्ट हो गये थे। वे बरबाद और खाली थे। किन्तु अब वे सुरक्षित हैं और उनमें लोग रहते हैं।’”
36 परमेश्वर ने कहा, “तब तुम्हारे चारों ओर के राष्ट्र समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और मैंने उन नष्ट स्थानों को फिर बसाया। मैंने इस प्रदेश में, जो खाली पड़ा था पेड़ों को रोपा। मैं यहोवा हूँ। मैंने यह कहा और मैं इसे घटित कराऊँगा!”
37 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं इस्राएल के परिवार से उनके लिये यह करने की याचना कराऊँगा। मैं उनको असंख्य लोग बनाऊँगा। वे भेड़ों की रेवड़ों की तरह होंगे। 38 यरूशलेम में विशेष त्योहार के अवसर के समय (बकरियों—भेड़ों की रेवड़ों की तरह, लोग होंगे) नगर और बरबाद स्थान, लोगों के झुण्ड से भर जाएंगे। तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
यीशु की चेतावनी
(मरकुस 8:14-21)
5 यीशु के शिष्य झील के पार चले आये, पर वे रोटी लाना भूल गये। 6 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “चौकन्ने रहो! और फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से बचे रहो।”
7 वे आपस में सोच विचार करते हुए बोले, “हो सकता है, उसने यह इसलिये कहा क्योंकि हम कोई रोटी साथ नहीं लाये।”
8 वे क्या सोच रहे हैं, यीशु यह जानता था, सो वह बोला, “ओ अल्प विश्वासियों, तुम आपस में अपने पास रोटी नहीं होने के बारे में क्यों सोच रहे हो? 9 क्या तुम अब भी नहीं समझते या याद करते कि पाँच हज़ार लोगों के लिए वे पाँच रोटियाँ और फिर कितनी टोकरियाँ भर कर तुमने उठाई थीं? 10 और क्या तुम्हें याद नहीं चार हज़ार के लिए वे सात रोटियाँ और फिर कितनी टोकरियाँ भर कर तुमने उठाई थीं? 11 क्यों नहीं समझते कि मैंने तुमसे रोटियों के बारे में नहीं कहा? मैंने तो तुम्हें फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से बचने को कहा है।”
12 तब वे समझ गये कि रोटी के ख़मीर से नहीं बल्कि उसका मतलब फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाओं से बचे रहने से है।
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