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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 75

“नष्ट मत कर” नामक धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, हम तेरी प्रशंसा करते हैं!
    हम तेरे नाम का गुणगान करते हैं!
    तू समीप है और लोग तेरे उन अद्भत कर्मो का जिनको तू करता है, बखान करते हैं।

परमेश्वर, कहता है, “मैंने न्याय का समय चुन लिया,
    मैं निष्पक्ष होकर के न्याय करूँगा।
धरती और धरती की हर वस्तु डगमगा सकती है और गिरने को तैयार हो सकती है,
    किन्तु मैं ही उसे स्थिर रखता हूँ।

“कुछ लोग बहुत ही अभिमानी होते हैं, वे सोचते रहते है कि वे बहुत शाक्तिशाली और महत्वपूर्ण है।
लेकिन उन लोगों को बता दो, ‘डींग मत हाँकों!’
    ‘इतने अभिमानी मत बने रह!’”

इस धरती पर सचुमच,
    कोई भी मनुष्य नीच को महान नहीं बना सकता।
परमेश्वर न्याय करता है।
    परमेश्वर इसका निर्णय करता है कि कौन व्यक्ति महान होगा।
    परमेश्वर ही किसी व्यक्ति को महत्वपूर्ण पद पर बिठाता है। और किसी दूसरे को निची दशा में पहुँचाता है।
परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देने को तत्पर है।
    परमेश्वर के पास विष मिला हुआ मधु पात्र है।
परमेश्वर इस दाखमधु (दण्ड) को उण्डेलता है
    और दुष्ट जन उसे अंतिम बूँद तक पीते हैं।
मैं लोगों से इन बातों का सदा बखान करूँगा।
    मैं इस्राएल के परमेश्वर के गुण गाऊँगा।
10 मैं दुष्ट लोगों की शक्ति को छीन लूँगा,
    और मैं सज्जनों को शक्ति दूँगा।

दानिय्येल 12

12 “दर्शन वाले व्यक्ति ने कहा, ‘हे दानिय्येल, उस समय मीकाएल नाम का वह प्रधान स्वर्गदूत उठ खड़ा होगा। मीकाएल तुम्हारे यहूदी लोगों का संरक्षक है। फिर एक विपत्तिपूर्ण समय आयेगा। वह समय इतना भयानक होगा, जितना भयानक इस धरती पर, जब से कोई जाति अस्तित्व में आयी है, कभी नहीं आया होगा। किन्तु हे दानिय्येल, उस समय तेरे लोगों में से हर वह व्यक्ति जिसका नाम, जीवन की पुस्तक में लिखा मिलेगा, बच जायेगा। धरती के वे असंख्य लोग जो मर चुके हैं और जिन्हें दफ़नाया जा चुका है, उठ खड़े होंगे और उनमें से कुछ अन्नत जीवन जीने के लिए उठ जायेंगे। किन्तु कुछ इसलिये जागेंगे कि उन्हें कभी नहीं समाप्त होने वाली लज्जा और घृणा प्राप्त होगी। आकाश की भव्यता के समान बुद्धिमान पुरूष चमक उठेंगे। ऐसे बुद्धिमान पुरूष जिन्होंने दूसरों को अच्छे जीवन की राह दिखाई थी, अनन्त काल के लिये तारों के समान चमकने लगेंगे।’

“किन्तु हे दानिय्येल! इस सन्देश को तू छिपा कर के रख दे। तुझे यह पुस्तक बन्द कर देनी चाहिये। तुझे अंत समय तक इस रहस्य को छिपाकर रखना है। सच्चा ज्ञान पाने के लिये बहुत से लोग इधर—उधर भाग दौड़ करेंगे और इस प्रकार सच्चे ज्ञान का विकास होगा।”

फिर मैं (दानिय्येल) ने दृष्टि उठाई और दो अन्य लोगों को देखा। उनमें से एक व्यक्ति नदी के उस किनारे खड़ा हुआ था जिस किनारे मैं था और दूसरा व्यक्ति नदी के दूसरे किनारे खड़ा था। वह व्यक्ति जिसने सन के कपड़े पहन रखे थे, नदी में पानी के बहाव के विरूद्ध खड़ा था। उन दोनों में से किसी एक ने उससे पूछा, “इन आश्चर्यपूर्ण बातों को समाप्त होने में अभी कितना समय लगेगा”

वह व्यक्ति जिसने सन के वस्त्र धारण किये हुए थे और जो नदी के जल के बहाव के विरूद्ध खड़ा हुआ था, उसने अपना दाहिना और बायां—दोनों हाथ आकाश की ओर उठाये। मैंने उस व्यक्ति को अमर परमेश्वर के नाम का प्रयोग करके एक शपथ बोलते हुए सुना। उसने कहा, “यह साढ़े तीन साल तक घटेगा। पवित्र जन की शक्ति टूट जायेगी और फिर ये सभी बाते अंतिम रूप से समाप्त हो जाएँगी।”

मैंने यह उत्तर सुना तो था किन्तु वास्तव में मैंने उसे समझा नहीं। सो मैंने पूछा, “हे महोदय, इन सभी बातों के सच निकलने के बाद क्या होगा?”

उसने उत्तर दिया, “दानिय्येल, तू अपना जीवन जीए जा। यह संदेश गुप्त है जब तक अंत समय नहीं आयेगा, यह गुप्त ही बना रहेगा। 10 बहुत से लोगों को शुद्ध किया जायेगा। वह लोग स्वयं अपने आप को स्वच्छ करेंगे किन्तु दुष्ट लोग, दुष्ट ही बने रहेंगे और वे दुष्ट लोग इन बातों को नहीं समझेंगे किन्तु बुद्धिमान इन बातों को समझ जायेंगे।

11 “जब दैनिक बलियाँ रोक दी जायेंगी तब से अब तक, जब वहाँ कुछ ऐसी भयानक घृणित वस्तु स्थापित होगा जो सचमुच विनाशक होगा, एक हजार दो सौ नब्बे दिनों का समय बीत चुका होगा। 12 वह व्यक्ति जो प्रतीक्षा करते हुए इन एक हजार तीन सौ पैंतीस दिनों के समय के अंत तक पहुँचेगा, वह बहुत अधिक भाग्यशाली होगा।

13 “हे दानिय्येल। जहाँ तक तेरी बात है, जा और अंत समय तक अपना जीवन जी। तुझे तेरा विश्राम प्राप्त होगा और अंत में तू अपना भाग प्राप्त करने के लिये मृत्यु से फिर उठ खड़ा होगा।”

मत्ती 12:15-21

यीशु वही करता है जिसके लिए परमेश्वर ने उसे चुना

15 यीशु यह जान गया और वहाँ से चल पड़ा। बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। उसने उन्हें चंगा करते हुए 16 चेतावनी दी कि वे उसके बारे में लोगों को कुछ न बतायें। 17 यह इसलिये हुआ कि भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो:

18 “यह मेरा सेवक है,
    जिसे मैने चुना है।
यह मेरा प्यारा है,
    मैं इससे आनन्दित हूँ।
अपनी ‘आत्मा’ इस पर मैं रखूँगा
    सब देशों के सब लोगों को यही न्याय घोषणा करेगा।
19 यह कभी नहीं चीखेगा या झगड़ेगा
    लोग इसे गलियों कूचों में नहीं सुनेंगे।
20 यह झुके सरकंडे तक को नहीं तोड़ेगा,
    यह बुझते दीपक तक को नहीं बुझाएगा, डटा रहेगा,
    तब तक जब तक कि न्याय विजय न हो।
21 तब फिर सभी लोग अपनी आशाएँ उसमें बाँधेंगे बस केवल उसी नाम में।”(A)

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International