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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 86:11-17

11 हे यहोवा, अपनी राहों की शिक्षा मुझको दे,।
    मैं जीऊँगा और तेरे सत्य पर चलूँगा।
मेरी सहायता कर।
    मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण यही है, कि मैं तेरे नाम की उपासना करूँ।
12 हे परमेश्वर, मेरे स्वमी, मैं सम्पूर्ण मन से तेरे गुण गाता हूँ।
    मैं तेरे नाम का आदर सदा सर्वदा करूँगा।
13 हे परमेश्वर, तू मुझसे कितना अधिक प्रेम करता है।
    तूने मुझे मृत्यु के गर्त से बचाया।
14 हे परमेश्वर, मुझ पर अभिमानी वार कर रहे हैं।
    क्रूर जनों का दल मुझे मार डालने का यत्न कर रहे हैं, और वे मनुष्य तेरा आदर नहीं करते हैं।
15 हे स्वामी, तू दयालु और कृपापूर्ण परमेश्वर है।
    तू धैर्यपूर्ण, विश्वासी और प्रेम से भरा हुआ हैं।
16 हे परमेश्वर, दिखा दे कि तू मेरी सुनता है, और मुझ पर कृपालु बन।
    मैं तेरा दास हूँ। तू मुझको शक्ति दे।
    मैं तेरा सेवक हूँ, मेरी रक्षा कर।
17 हे परमेश्वर, कुछ ऐसा कर जिससे यह प्रमाणित हो कि तू मेरी सहायता करेगा।
    फिर इससे मेरे शत्रु निराश हो जायेंगे।
    क्योंकि यहोवा इससे यह प्रकट होगा तेरी दया मुझ पर है और तूने मुझे सहारा दिया।

यशायाह 41:21-29

यहोवा की झूठे देवताओं को चेतावनी

21 याकूब का राजा यहोवा कहता है, “आ, और मुझे अपनी युक्तियाँ दे। अपना प्रमाण मुझे दिखा और फिर हम यह निश्चय करेंगे कि उचित बातें क्या हैं 22 तुम्हारे मूर्तियों को हमारे पास आकर, जो घट रहा है, वह बताना चाहिये। प्रारम्भ में क्या कुछ घटा था और भविष्य में क्या घटने वाला है। हमें बताओं हम बड़े ध्यान से सुनेंगे। जिससे हम यह जान जायें कि आगे क्या होने वाला है। 23 हमें उन बातों को बताओ जो घटनेवाली हैं। जिन्हें जानने का हमें इन्तज़ार है ताकि हम विश्वास करें कि सममुच तुम देवता हो। कुछ करो! कुछ भी करो। चाहे भला चाहे बुरा ताकि हम देख सकें और जान सके कि तुम जीवित हो और तुम्हारा अनुसरण करें।

24 “देखो झूठे देवताओं, तुम बेकार से भी ज्यादा बेकार हो! तुम कुछ भी तो नहीं कर सकते। केवल बेकार के भ्रष्ट लोग ही तुम्हें पूजना चाहते हैं!”

बस यहोवा ही परमेश्वर है

25 “उत्तर में मैंने एक व्यक्ति को उठाया है।
    वह पूर्व से जहाँ सूर्य उगा करता है, आ रहा है।
वह मेरे नाम की उपासना किया करता है।
    जैसे कुम्हार मिट्टी रौंदा करता है वैसे ही वह विशेष व्यक्ति राजाओं को रौंदेगा।”

26 “यह सब घटने से पहले ही हमें जिसने बताया है, हमें उसे परमेश्वर कहना चाहिए।
    क्या हमें ये बातें तुम्हारे किसी मूर्ति ने बतायी नहीं!
किसी भी मूर्ति ने कुछ भी हमको नहीं बताया था।
    वे मूर्ति तो एक भी शब्द नहीं बोल पाते हैं।
वे झूठे देवता एक भी शब्द जो तुम बोला करते हो नहीं सुन पाते हैं।
27 मैं यहोवा सिय्योन को इन बातों के विषय में बताने वाला पहला था।
    मैंने एक दूत को इस सन्देश के साथ यरूशलेम भेजा था कि: ‘देखो, तुम्हारे लोग वापस आ रहे हैं!’”

28 मैंने उन झूठे देवों को देखा था, उनमें से कोई भी इतना बुद्धिमान नहीं था जो कुछ कह सके।
    मैंने उनसे प्रश्न पूछे थे वे एक भी शब्द नहीं बोल पाये थे।
29 वे सभी देवता बिल्कुल ही व्यर्थ हैं!
वे कुछ नहीं कर पाते वे पूरी तरह मूल्यहीन हैं!

इब्रानियों 2:1-9

सावधान रहने को चेतावनी

इसलिए हमें और अधिक सावधानी के साथ, जो कुछ हमने सुना है, उस पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम भटकने न पायें। क्योंकि यदि स्वर्गदूतों द्वारा दिया गया संदेश प्रभावशाली था तथा उसके प्रत्येक उल्लंघन और अवज्ञा के लिए उचित दण्ड दिया गया तो यदि हम ऐसे महान् उद्धार की उपेक्षा कर देते हैं, तो हम कैसे बच पायेंगे। इस उद्धार की पहली घोषणा प्रभु के द्वारा की गयी थी। और फिर जिन्होंने इसे सुना था, उन्होंने हमारे लिये इसकी पुष्टि की। परमेश्वर ने भी चिन्हों, आश्चर्यो तथा तरह-तरह के चमत्कारपूर्ण कर्मों तथा पवित्र आत्मा के उन उपहारों द्वारा, जो उसकी इच्छा के अनुसार बाँटे गये थे, इसे प्रमाणित किया।

उद्धारकर्ता मसीह का मानव देह धारण

उस भावी संसार को, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं, उसने स्वर्गदूतों के अधीन नहीं किया बल्कि शास्त्र में किसी स्थान पर किसी ने यह साक्षी दी है:

“मनुष्य क्या है,
    जो तू उसकी सुध लेता है?
मानव पुत्र का क्या है
    जिसके लिए तू चिंतित है?
तूने स्वर्गदूतों से उसे थोड़े से समय को किंचित कम किया।
    उसके सिर पर महिमा और आदर का राजमुकुट रख दिया।
और उसके चरणों तले उसकी अधीनता मे सभी कुछ रख दिया।”(A)

सब कुछ को उसके अधीन रखते हुए परमेश्वर ने कुछ भी ऐसा नहीं छोड़ा जो उसके अधीन न हो। फिर भी आजकल हम प्रत्येक वस्तु को उसके अधीन नहीं देख रहे हैं। किन्तु हम यह देखते हैं कि वह यीशु जिसको थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से नीचे कर दिया गया था, अब उसे महिमा और आदर का मुकुट पहनाया गया है क्योंकि उसने मृत्यु की यातना झेली थी। जिससे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण वह प्रत्येक के लिए मृत्यु का अनुभव करे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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