Revised Common Lectionary (Complementary)
सब्त के दिन के लिये एक स्तुति गीत।
1 यहोवा का गुण गाना उत्तम है।
हे परम परमेश्वर, तेरे नाम का गुणगान उत्तम है।
2 भोर में तेरे प्रेम के गीत गाना
और रात में तेरे भक्ति के गीत गाना उत्तम है।
3 हे परमेश्वर, तेरे लिये वीणा, दस तार वाद्य
और सांरगी पर संगीत बजाना उत्तम है।
4 हे यहोवा, तू सचमुच हमको अपने किये कर्मो से आनन्दित करता है।
हम आनन्द से भर कर उन गीतों को गाते हैं, जो कार्य तूने किये हैं।
5 हे यहोवा, तूने महान कार्य किये,
तेरे विचार हमारे लिये समझ पाने में गंभीर हैं।
6 तेरी तुलना में मनुष्य पशुओं जैसे हैं।
हम तो मूर्ख जैसे कुछ भी नहीं समझ पाते।
7 दुष्ट जन घास की तरह जीते और मरते हैं।
वे जो भी कुछ व्यर्थ कार्य करते हैं, उन्हें सदा सर्वदा के लिये मिटाया जायेगा।
8 किन्तु हे यहोवा, अनन्त काल तक तेरा आदर रहेगा।
9 हे यहोवा, तेरे सभी शत्रु मिटा दिये जायेंगे।
वे सभी व्यक्ति जो बुरा काम करते हैं, नष्ट किये जायेंगे।
10 किन्तु तू मुझको बलशाली बनाएगा।
मैं शक्तिशाली मेंढ़े सा बन जाऊँगा जिसके कड़े सिंग होते हैं।
तूने मुझे विशेष काम के लिए चुना है। तूने मुझ पर अपना तेल ऊँडेला है जो शीतलता देता है।
11 मैं अपने चारों ओर शत्रु देख रहा हूँ। वे ऐसे हैं जैसे विशालकाय सांड़ मुझ पर प्रहार करने को तत्पर है।
वे जो मेरे विषय में बाते करते हैं उनको मैं सुनता हूँ।
12 सज्जन लोग तो लबानोन के विशाल देवदार वृक्ष की तरह है
जो यहोवा के मन्दिर में रोपे गए हैं।
13 सज्जन लोग बढ़ते हुए ताड़ के पेड़ की तरह हैं,
जो यहोवा के मन्दिर के आँगन में फलवन्त हो रहे हैं।
14 वे जब तक बूढ़े होंगे तब तक वे फल देते रहेंगे।
वे हरे भरे स्वस्थ वृक्षों जैसे होंगे।
15 वे हर किसी को यह दिखाने के लिये वहाँ है
कि यहोवा उत्तम है।
वह मेरी चट्टान है!
वह कभी बुरा नहीं करता।
3 “मेरे नियमों और आदेशों को याद रखो और उनका पालन कोरो। 4 यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं जिस समय वर्षा आनी चाहिए, उसी समय वर्षा कराऊँगा। भूमि फ़सलें पैदा करेगी और पेड़ अपने फल देंगे। 5 तुम्हारा अनाज निकालने का काम तब तक चलेगा जब तक अँगूर इकट्ठा करने का समय आएगा और अँगूर का इकट्ठा करना तब तक चलेगा जब तक बोने का समय आएगा। तब तुम्हारे पास खाने के लिए बहुत होगा, और तुम अपने प्रदेश में सुरक्षित रहोगे। 6 मै तुम्हारे देश को शान्ति दूँगा। तुम शान्ति से सो सकोगे। कोई वयक्ति भयभीत करने नहीं आएगा। मैं विनाशकारी जानवरों को तुम्हारे देश से बाहर रखूँगा। और सेनाएँ तुम्हारे देश से नहीं गुजरेंगी।
7 “तुम अपने शत्रुओं को पीछा करके भाओगे और उन्हें हराओगे। तुम उन्हें अपनी तलवार से मार डालोगे। 8 तुम्हारे पाँच व्यक्ति सौ व्यक्तियों को पीछा कर के भगाएंगे और तुम्हारे सौ व्यक्ति हजार व्यक्तियों का पीछा करेंगे। तुम अपने शुत्रओं को हराओगे और उन्हें तलवार से मार डालोगे।
9 “तब मेंम तुम्हारी ओर मुड़ूँगा मैं तुम्हें बहुत से बच्चों वाला बनाऊँगा। मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा का पालन करूँगा। 10 तुम्हारे पास एक वर्ष से अधिक चलने वाली पर्याप्त पैदावार रहेगी। तुम नयी फसल काटोगे। किन्तु तब तुम्हें पुरानी पैदावार नयी पैदावार के लिए जगह बनाने हेतु फेंकनी पड़ेगी। 11 तुम लोगों के बीच मैं अपना पवित्र तम्बू रखूँगा। मैं तुम लोगों से अलग नहीं होऊँगा। 12 मै तुम्हारे साथ चलूँगा 13 और तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा। तुम मेरे लोग रहोगे। मै तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ तुम मिस्र में दास थे। किन्तु में तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। तुम लोग दास के रूप में भारी बोझ ढोने से झुके हुए थे किन्तु मैंने तुम्हारे कंधों के जुंए को तोड़ फेंका। मैंने तुम्हें पुन: गर्व से चलने वाला बनाया।
योहवा की आज्ञा पालन न करने के लिए दण्ड
14 “किन्तु यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करोगे और मेरे ये सब आदेश नहीं मानोगे तो ये बुरी बातें होंगी। 15 यदि तुम मेरे नियमों और आदेशों को मानना अस्वीकार करते हो तो तुमने मेरी वाचा को तोड़ दिया है। 16 यदि तुम ऐसा करते हो तो मैं ऐसा करूँगा कि तुम्हारा भयंकर अनिष्ट होगा। मैं तुमको असाध्य रोग और तीव्र ज्वर लगाऊँगा वे तुम्हारी आँखे कठर करेंगे और तुम्हारा जीवन ले लेंगे। जब तुम अपने बीज बोओगे तो तुम्हें सफलता नहीं मिलेगी। तुम्हारी पैदावार तुम्हारे शुत्र खाएंगे। 17 मैं तुम्हारे विरुद्ध होऊँगा, अत: तुम्हारे शत्रु तुमको हराएँगे। वे शत्रु तुमसे घृणा करेंगे और तुम्हारे ऊपर शासन करेंगे। तुम तब भी भागोगे जब तुम्हारा पीछा कोई न कर रहा होगा।
18 “यदि इस के बाद भी तुम मेरी आज्ञा पालन नहीं करते हो तो मैं तुम्हारे पापों के लिए सात गुना अधिक दण्ड दूँगा। 19 मैं उन बड़े नगरों को भी नष्ट करूँगा जो तुम्हें गर्वीला बनाते हैं। आकाश वर्षा नहीं देगा और धरती पैदावार नहीं उत्पन्न करेगी।[a] 20 तुम कठोर परिश्रम करोगे, किन्तु इससे कुछ भी नहीं होगा। तुम्हारी भूमि में कोई पैदावार नहीं होगी और तुम्हारे पेड़ों पर फल नहीं आएंगे।
परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन
4 हे भाईयों, अब मुझे तुम्हें कुछ और बातें बतानी हैं। यीशु मसीह के नाम पर हम तुमसे प्रार्थना एवं निवेदन करते हैं कि तुमने हमसे जिस प्रकार उपदेश ग्रहण किया है, तुम्हें परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए उसी के अनुसार चलना चाहिए। निश्चय ही तुम उसी प्रकार चल भी रहे हो। किन्तु तुम वैसे ही और अधिक से अधिक करते चलो। 2 क्योंकि तुम यह जानते हो कि प्रभु यीशु के अधिकार से हमने तुम्हें क्या निर्देश दिए हैं। 3 और परमेश्वर की यही इच्छा है कि तुम उससे पवित्र हो जाओ, व्यभिचारों से दूर रहो, 4 अपने शरीर की वासनाओं[a] पर नियन्त्रण रखना सीखो-ऐसे ढंग से जो पवित्र है और आदरणीय भी। 5 न कि उस वासना पूर्ण भावना से जो परमेश्वर को नहीं जानने वाले अधर्मियों की जैसी है। 6 यह भी परमेश्वर की इच्छा है कि इस विषय में कोई अपने भाई के प्रति कोई अपराध न करे या कोई अनुचित लाभ न उठाये, क्योंकि ऐसे सभी पापों के लिए प्रभु दण्ड देगा जैसा कि हम तुम्हें बता ही चुके हैं और तुम्हें सावधान भी कर चुके हैं। 7 परमेश्वर ने हमें अपवित्र बनने के लिए नहीं बुलाया है बल्कि पवित्र बनने के लिए बुलाया है। 8 इसलिए जो इस शिक्षा को नकारता है वह किसी मनुष्य को नहीं नकार रहा है बल्कि परमेश्वर को ही नकार रहा है। उस परमेश्वर को जो तुम्हें अपनी पवित्र आत्मा भी प्रदान करता है।
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