Revised Common Lectionary (Complementary)
यिर्मयाह की पाँचवीं शिकायत
7 हे यहोवा, तूने मुझे धोखा दिया
और मैं निश्चय ही मूर्ख बनाया गया।
तू मुझसे अधिक शक्तिशाली है अत: तू विजयी हुआ।
मैं मजाक बन कर रह गया हूँ।
लोग मुझ पर हँसते हैं
और सारा दिन मेरा मजाक उड़ाते हैं।
8 जब भी मैं बोलता हूँ, चीख पड़ता हूँ।
मैं लगातार हिंसा और तबाही के बारे में चिल्ला रहा हूँ।
मैं लोगों को उस सन्देश के बारे में बताता हूँ
जिसे मैंने यहोवा से प्राप्त किया।
किन्तु लोग केवल मेरा अपमान करते हैं
और मेरा मजाक उड़ाते हैं।
9 कभी—कभी मैं अपने से कहता हूँ:
“मैं यहोवा के बारे में भूल जाऊँगा।
मैं अब आगे यहोवा के नाम पर नहीं बोलूँगा।”
किन्तु यदि मैं ऐसा कहता हूँ तो यहोवा का सन्देश
मेरे भीतर भड़कती ज्वाला सी हो जाती है।
मुझे ऐसा लगता है कि यह अन्दर तक मेरी हड्डियों को जला रही है।
मैं अपने भीतर यहोवा के सन्देश को रोकने के प्रयत्न में थक जाता हूँ
और अन्तत: मैं इसे अपने भीतर रोकने में समर्थ नहीं हो पाता।
10 मैं अनेक लोगों को दबी जुबान अपने विरुद्ध बातें करता सुनता हूँ।
सर्वत्र मैं वह सब सुनता हूँ जो मुझे भयभीत करते हैं।
यहाँ तक कि मेरे मित्र भी मेरे विरुद्ध बातें करते हैं।
चलो हम अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करें।
लोग केवल इस प्रतीक्षा में हैं कि मैं कोई गलती करूँ।
वे कह रहे हैं, “आओ हम झूठ बोलें
और कहें कि उसने कुछ बुरे काम किए हैं।
सम्भव है हम यिर्मयाह को धोखा दे सकें।
तब वह हमारे साथ होगा। अन्तत: हम उससे छुटकारा पायेंगे।
तब हम उसे दबोच लेंगे और उससे अपना बदला ले लेंगे।”
11 किन्तु यहोवा मेरे साथ है।
यहोवा एक दृढ़ सैनिक सा है।
अत: जो लोग मेरा पीछा करते हैं, मुँह की खायेंगे।
वे लोग मुझे पराजित नहीं कर सकेंगे।
वे लोग असफल होंगे। वे निराश होंगे।
वे लोग लज्जित होंगे और लोग उस लज्जा को कभी नहीं भूलेंगे।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा तू अच्छे लोगों की परीक्षा लेता है।
तू व्यक्ति के दिल और दिमाग को गहराई से देखता है।
मैंने उन व्यक्तियों के विरुद्ध तूझे अनेकों तर्क दिये हैं।
अत: मुझे यह देखना है कि तू उन्हें वह दण्ड देता है
कि नहीं जिनके वे पात्र हैं।
13 यहोवा के लिये गाओ!
यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा दीनों के जीवन की रक्षा करता है!
वह उन्हें दुष्ट लोगों की शक्ति से बचाता है!
7 मेरा मुख लाज से झुक गया।
यह लाज मैं तेरे लिए ढोता हूँ।
8 मेरे ही भाई, मेरे साथ यूँ ही बर्ताव करते हैं। जैसे बर्ताव किसी अजनबी से करते हों।
मेरे ही सहोदर, मुझे पराया समझते है।
9 तेरे मन्दिर के प्रति मेरी तीव्र लगन ही मुझे जलाये डाल रही है।
वे जो तेरा उपहास करते हैं वह मुझ पर आन पडा है।
10 मैं तो पुकारता हूँ और उपवास करता हूँ,
इसलिए वे मेरी हँसी उड़ाते हैं।
11 मैं निज शोक दर्शाने के लिए मोटे वस्रों को पहनता हूँ,
और लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं।
12 वे जनता के बीच मेरी चर्चायें करतें,
और पियक्कड़ मेरे गीत रचा करते हैं।
13 हे यहोवा, जहाँ तक मेरी बात है, मेरी तुझसे यह विनती है कि
मैं चाहता हूँ; तू मुझे अपना ले!
हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि तू मुझको प्रेम भरा उत्तर दे।
मैं जानता हूँ कि मैं तुझ पर सुरक्षा का भरोसा कर सकता हूँ।
14 मुझको दलदल से उबार ले।
मुझको दलदल के बीच मत डूबने दे।
मुझको मेरे बैरी लोगों से तू बचा ले।
तू मुझको इस गहरे पानी से बचा ले।
15 बाढ की लहरों को मुझे डुबाने न दे।
गहराई को मुझे निगलने न दे।
कब्र को मेरे ऊपर अपना मुँह बन्द न करने दे।
16 हे यहोवा, तेरी करूण खरी है। तू मुझको निज सम्पूर्ण प्रेम से उत्तर दे।
मेरी सहायता के लिए अपनी सम्पूर्ण कृपा के साथ मेरी ओर मुख कर!
17 अपने दास से मत मुख मोड़।
मैं संकट में पड़ा हूँ! मुझको शीघ्र सहारा दे।
18 आ, मेरे प्राण बचा ले।
तू मुझको मेरे शत्रुओं से छुड़ा ले।
पाप के लिए मृत किन्तु मसीह में जीवित
6 तो फिर हम क्या कहें? क्या हम पाप ही करते रहें ताकि परमेश्वर का अनुग्रह बढ़ता रहे? 2 निश्चय ही नहीं। हम जो पाप के लिए मर चुके हैं पाप में ही कैसे जियेंगे? 3 या क्या तुम नहीं जानते कि हम, जिन्होंने यीशु मसीह में बपतिस्मा लिया है, उसकी मृत्यु का ही बपतिस्मा लिया है। 4 सो उसकी मृत्यु में बपतिस्मा लेने से हम भी उसके साथ ही गाड़ दिये गये थे ताकि जैसे परमपिता की महिमामय शक्ति के द्वारा यीशु मसीह को मरे हुओं में से जिला दिया गया था, वैसे ही हम भी एक नया जीवन पायें।
5 क्योंकि जब हम उसकी मृत्यु में उसके साथ रहे हैं तो उसके जैसे पुनरुत्थान में भी उसके साथ रहेंगे। 6 हम यह जानते हैं कि हमारा पुराना व्यक्तित्व यीशु के साथ ही क्रूस पर चढ़ा दिया गया था ताकि पाप से भरे हमारे शरीर नष्ट हो जायें। और हम आगे के लिये पाप के दास न बने रहें। 7 क्योंकि जो मर गया वह पाप के बन्धन से छुटकारा पा गया।
8 और क्योंकि हम मसीह के साथ मर गये, सो हमारा विश्वास है कि हम उसी के साथ जियेंगे भी। 9 हम जानते हैं कि मसीह जिसे मरे हुओं में से जीवित किया था अमर है। उस पर मौत का वश कभी नहीं चलेगा। 10 जो मौत वह मरा है, वह सदा के लिए पाप के लिए मरा है किन्तु जो जीवन वह जी रहा है, वह जीवन परमेश्वर के लिए है। 11 इसी तरह तुम अपने लिए भी सोचो कि तुम पाप के लिए मर चुके हो किन्तु यीशु मसीह में परमेश्वर के लिए जीवित हो।
24 “शिष्य अपने गुरु से बड़ा नहीं होता और न ही कोई दास अपने स्वामी से बड़ा होता है। 25 शिष्य को गुरु के बराबर होने में और दास को स्वामी के बराबर होने में ही संतोष करना चाहिये। जब वे घर के स्वामी को ही बैल्जा़बुल कहते हैं, तो उसके घर के दूसरे लोगों के साथ तो और भी बुरा व्यवहार करेंगे!
प्रभु से डरो, लोगों से नहीं
(लूका 12:2-7)
26 “इसलिये उनसे डरना मत क्योंकि जो कुछ छिपा है, सब उजागर होगा। और हर वह वस्तु जो गुप्त है, प्रकट की जायेगी। 27 मैं अँधेरे में जो कुछ तुमसे कहता हूँ, मैं चाहता हूँ, उसे तुम उजाले में कहो। मैंने जो कुछ तुम्हारे कानों में कहा है, तुम उसकी मकान की छतों पर चढ़कर, घोषणा करो।
28 “उनसे मत डरो जो तुम्हारे शरीर को नष्ट कर सकते हैं किन्तु तुम्हारी आत्मा को नहीं मार सकते। बस उस परमेश्वर से डरो जो तुम्हारे शरीर और तुम्हारी आत्मा को नरक में डालकर नष्ट कर सकता है। 29 एक पैसे की दो चिड़ियाओं में से भी एक तुम्हारे परम पिता के जाने बिना और उसकी इच्छा के बिना धरती पर नहीं गिर सकती। 30 अरे तुम्हारे तो सिर का एक एक बाल तक गिना हुआ है। 31 इसलिये डरो मत तुम्हारा मूल्य तो वैसी अनेक चिड़ियाओं से कहीं अधिक है।
यीशु में विश्वास
(लूका 12:8-9)
32 “जो कोई मुझे सब लोगों के सामने अपनायेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित अपने परम-पिता के सामने अपनाऊँगा। 33 किन्तु जो कोई मुझे सब लोगों के सामने नकारेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित परम-पिता के सामने नकारूँगा।
यीशु के पीछे चलने से परेशानियाँ आ सकती हैं
(लूका 12:51-53; 14:26-27)
34 “यह मत सोचो कि मैं धरती पर शांति लाने आया हूँ। शांति नहीं बल्कि मैं तलवार का आवाहन करने आया हूँ। 35 मैं यह करने आया हूँ:
‘पुत्र, पिता के विरोध में,
पुत्री, माँ के विरोध में,
बहू, सास के विरोध में होंगे।
36 मनुष्य के शत्रु, उसके अपने घर के ही लोग होंगे।’[a]
37 “जो अपने माता-पिता को मुझसे अधिक प्रेम करता है, वह मेरा होने के योग्य नहीं है। जो अपने बेटे बेटी को मुझसे ज्या़दा प्यार करता है, वह मेरा होने के योग्य नहीं है। 38 वह जो यातनाओं का अपना क्रूस स्वयं उठाकर मेरे पीछे नहीं हो लेता, मेरा होने के योग्य नहीं है। 39 वह जो अपनी जान बचाने की चेष्टा करता है, अपने प्राण खो देगा। किन्तु जो मेरे लिये अपनी जान देगा, वह जीवन पायेगा।
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