Revised Common Lectionary (Complementary)
7 मेरा मुख लाज से झुक गया।
यह लाज मैं तेरे लिए ढोता हूँ।
8 मेरे ही भाई, मेरे साथ यूँ ही बर्ताव करते हैं। जैसे बर्ताव किसी अजनबी से करते हों।
मेरे ही सहोदर, मुझे पराया समझते है।
9 तेरे मन्दिर के प्रति मेरी तीव्र लगन ही मुझे जलाये डाल रही है।
वे जो तेरा उपहास करते हैं वह मुझ पर आन पडा है।
10 मैं तो पुकारता हूँ और उपवास करता हूँ,
इसलिए वे मेरी हँसी उड़ाते हैं।
11 मैं निज शोक दर्शाने के लिए मोटे वस्रों को पहनता हूँ,
और लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं।
12 वे जनता के बीच मेरी चर्चायें करतें,
और पियक्कड़ मेरे गीत रचा करते हैं।
13 हे यहोवा, जहाँ तक मेरी बात है, मेरी तुझसे यह विनती है कि
मैं चाहता हूँ; तू मुझे अपना ले!
हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि तू मुझको प्रेम भरा उत्तर दे।
मैं जानता हूँ कि मैं तुझ पर सुरक्षा का भरोसा कर सकता हूँ।
14 मुझको दलदल से उबार ले।
मुझको दलदल के बीच मत डूबने दे।
मुझको मेरे बैरी लोगों से तू बचा ले।
तू मुझको इस गहरे पानी से बचा ले।
15 बाढ की लहरों को मुझे डुबाने न दे।
गहराई को मुझे निगलने न दे।
कब्र को मेरे ऊपर अपना मुँह बन्द न करने दे।
16 हे यहोवा, तेरी करूण खरी है। तू मुझको निज सम्पूर्ण प्रेम से उत्तर दे।
मेरी सहायता के लिए अपनी सम्पूर्ण कृपा के साथ मेरी ओर मुख कर!
17 अपने दास से मत मुख मोड़।
मैं संकट में पड़ा हूँ! मुझको शीघ्र सहारा दे।
18 आ, मेरे प्राण बचा ले।
तू मुझको मेरे शत्रुओं से छुड़ा ले।
12 किन्तु यहूदा के लोग उत्तर देंगे, ‘एसी कोशिश करने से कुछ नहीं होगा। हम वही करते रहेंगे जो हम करना चाहते हैं। हम लोगों में हर एक वही करेगा जो हठी और बुरा हृदय करना चाहता है।’”
13 उन बातों को सुनो जो यहोवा कहता है,
“दूसरे राष्ट्र के लोगों से यह प्रश्न करो:
‘क्या तुमने कभी किसी की वे बुराई करते हुये सुना है जो इस्राएल ने किया है।’
अन्य के बारे में इस्राएल द्वारा की गई बुराई का करना सुना है
इस्राएल परमेश्वर की दुल्हन के समान विशेष है।
14 तुम जानते हो कि चट्टानों कभी स्वत:
मैदान नहीं छोड़तीं।
तुम जानते हो कि लबानोन के पहाड़ों के ऊपर की
बर्फ कभी नहीं पिघलती।
तुम जानते हो कि शीतल बहने वाले झरने कभी नहीं सूखते।
15 किन्तु हमारे लोग हमें भूल चुके हैं,
वे व्यर्थ देवमूर्तियों की बलि चढ़ाते हैं।
मेरे लोग जो कुछ करते हैं उनसे ठोकर खाकर गिरते हैं।
वे अपने पूर्वजों की पुरानी राहों में ठोकर खाकर गिरते फिरते हैं।
मेरे लोगों को ऊबड़ खाबड़ सड़कों और तुच्छ
राजमार्गों पर चलना शायद अधिक पसन्द है,
इसकी अपेक्षा कि वे मेरा अनुसरण अच्छी सड़क पर करें।
16 अत: यहूदा देश एक सूनी मरुभूमि बनेगा।
इसके पास से गुजरते लोग हर बार सीटी बजाएंगे
और सिर हिलायेंगे।
इस बात से चकित होगें कि देश कैसे बरबाद किया गया।
17 मैं यहूदा के लोगों को उनके शत्रुओं के सामने बिखेरुँगा।
प्रबल पूर्वी आँधी जैसे चीज़ों के चारों ओर उड़ती है वैसे ही मैं उनको बिखेरुँगा।
मैं उन लोगों को नष्ट करूँगा।
उस समय वे मुझे अपनी सहायता के लिये आता नहीं देखेंगे।
नहीं, वे मुझे अपने को छोड़ता देखेंगे।”
उद्धारकर्ता मसीह का मानव देह धारण
5 उस भावी संसार को, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं, उसने स्वर्गदूतों के अधीन नहीं किया 6 बल्कि शास्त्र में किसी स्थान पर किसी ने यह साक्षी दी है:
“मनुष्य क्या है,
जो तू उसकी सुध लेता है?
मानव पुत्र का क्या है
जिसके लिए तू चिंतित है?
7 तूने स्वर्गदूतों से उसे थोड़े से समय को किंचित कम किया।
उसके सिर पर महिमा और आदर का राजमुकुट रख दिया।
8 और उसके चरणों तले उसकी अधीनता मे सभी कुछ रख दिया।”(A)
सब कुछ को उसके अधीन रखते हुए परमेश्वर ने कुछ भी ऐसा नहीं छोड़ा जो उसके अधीन न हो। फिर भी आजकल हम प्रत्येक वस्तु को उसके अधीन नहीं देख रहे हैं। 9 किन्तु हम यह देखते हैं कि वह यीशु जिसको थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से नीचे कर दिया गया था, अब उसे महिमा और आदर का मुकुट पहनाया गया है क्योंकि उसने मृत्यु की यातना झेली थी। जिससे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण वह प्रत्येक के लिए मृत्यु का अनुभव करे।
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