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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 93

यहोवा राजा है।
    वह सामर्थ्य और महिमा का वस्त्र पहने है।
वह तैयार है, सो संसार स्थिर है।
    वह नहीं टलेगा।
हे परमेश्वर, तेरा साम्राज्य अनादि काल से टिका हुआ है।
    तू सदा जीवित है।
हे यहोवा, नदियों का गर्जन बहुत तीव्र है।
    पछाड़ खाती लहरों का शब्द घनघोर है।
समुद्र की पछाड़ खाती लहरे गरजती हैं, और वे शक्तिशाली हैं।
    किन्तु ऊपर वाला यहोवा अधिक शक्तिशाली है।
हे यहोवा, तेरा विधान सदा बना रहेगा।
    तेरा पवित्र मन्दिर चिरस्थायी होगा।

व्यवस्था विवरण 5:22-33

लोगों का भय

22 मूसा ने कहा, “यहोवा ने ये आदेश तुम सभी को दिये जब तुम एक साथ पर्वत पर थे। यहोवा ने स्पष्ट शब्दों में बातें कीं और उसकी तेज आवाज आग, बादल और घने अन्धकार से सुनाई दे रही थी। जब उसने यह आदेश दे दिये तब और कुछ नहीं कहा। उसने अपने शब्दों को दो पत्थर की शिलाओं पर लिखा और उन्हें मुझे दे दिया।

23 “तुमने आवाज को अंधेरे में तब सुना जब पर्वत आग से जल रहा था। तब तुम मेरे पास आए, तुम्हारे परिवार समूह के सभी नेता और तुम्हारे सभी बुजुर्ग। 24 उन्होंने कहा, ‘यहोवा हमारे परमशेवर ने अपना गौरव और महानता दिखाई है। हमने उसे आग में से बोलते सुना है! आज हम लोगों ने देख लिया है कि किसी व्यक्ति का परमेश्वर से बात करने के बाद भी जीवित रह सकना, सम्भव है। 25 किन्तु यदि हमने यहोवा अपने परमेश्वर को दुबारा बात करते सुना तो हम जरूर मर जाएंगे! वह भयानक आग हमें नष्ट कर देगी। किन्तु हम मरना नहीं चाहते। 26 कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसने हम लोगों की तरह कभी जीवित परमेश्वर को आग में से बात करते सुना हो और जीवित हो! 27 मूसा, तुम समीप जाओ और यहोवा हम लोगों का परमेश्वर, जो कहता है सुनो। तब वह सब बातें हमें बताओ जो यहोवा तुमसे कहता है, और हम लोग वह सब करेंगे जो तुम कहोगे।’

यहोवा मूसा से बात करता है

28 “यहोवा ने वे बातें सुने जो तुमने मुझसे कहीं। तब यहोवा न मुझसे कहा, ‘मैंने वे बातें सुनीं जो इन लोगों ने कहीं। जो कुछ उन्होंने कहा है, ठीक है। 29 मैं केवल यह चाहता हूँ कि वे हृदय से मेरा सम्मान करें और मेरे आदेशों को मानें। तब हर एक चीज उनके तथा उनके वंशजों के लिए सदैव अच्छी रहेगी।

30 “‘जाओ और लोगों से कहो कि अपने डेरों में लौट जायें। 31 किन्तु मूसा, तुम मेरे निकट खड़े रहो। मैं तुम्हें सारे आदेश, विधि और नियम दूँगा जिसकी शिक्षा तुम उन्हें दोगे। उन्हें ये सभी बातें उस देश में करनी चाहिए जिसे मैं उन्हें रहने के लिए दे रहा हूँ।’

32 “इसलिए तुम सभी लोगों को वह सब कुछ करने के लिए सावाधान रहना चाहिए जिसके लिए यहोवा का तुम्हें आदेश है। तुम्हें न दाहिने हाथ मुड़ना चाहिये और न ही बायें हाथ। सदैव उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिये! 33 तुम्हें उसी तरह रहना चाहिए, जिस प्रकार रहने का आदेश यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको दिया है। तब तुम सदा जीवित रह सकते हो और हर चीज तुम्हारे लिए अच्छी होगी। उस देश में, जो तुम्हारा होगा, तुम्हारी आयु लम्बी हो जायेगी।

1 पतरस 3:8-12

सतकर्मों के लिए दुःख झेलना

अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए। एक बुराई का बदला दूसरी बुराई से मत दो। अथवा अपमान के बदले अपमान मत करो बल्कि बदले में आशीर्वाद दो क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें ऐसा ही करने को बुलाया है। इसी से तुम्हें परमेश्वर के आशीर्वाद का उत्तराधिकार मिलेगा। 10 शास्त्र कहता है:

“जो जीवन का आनन्द उठाना चाहे
    जो समय की सद्गति को देखना चाहे
उसे चाहिए वह कभी कहीं बुरे बोल न बोले।
    वह अपने होठों को छल वाणी से रोके
11 उसे चाहिए वह मुँह फेरे उससे जो नेक नहीं होता वह उन कर्मों को सदा करे जो उत्तम हैं,
    उसे चाहिए यत्नशील हो शांति पाने को उसे चाहिए वह शांति का अनुसरण करे।
12 प्रभु की आँखें टिकी हैं उन्हीं पर जो उत्तम हैं
    प्रभु के कान लगे उनकी प्रार्थनाओं पर जो बुरे कर्म करते हैं,
प्रभु उनसे सदा मुख फेरता है।”(A)

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International