Revised Common Lectionary (Complementary)
विश्वासियों का साझा जीवन
42 उन्होंने प्रेरितों के उपदेश, संगत, रोटी के तोड़ने और प्रार्थनाओं के प्रति अपने को समर्पित कर दिया। 43 हर व्यक्ति पर भय मिश्रित विस्मय का भाव छाया रहा और प्रेरितों द्वारा आश्चर्य कर्म और चिन्ह प्रकट किये जाते रहे। 44 सभी विश्वासी एक साथ रहते थे और उनके पास जो कुछ था, उसे वे सब आपस में बाँट लेते थे। 45 उन्होंने अपनी सभी वस्तुएँ और सम्पत्ति बेच डाली और जिस किसी को आवश्यकता थी, उन सब में उसे बाँट दिया। 46 मन्दिर में एक समूह के रूप में वे हर दिन मिलते-जुलते रहे। वे अपने घरों में रोटी को विभाजित करते और उदार मन से आनन्द के साथ, मिल-जुलकर खाते। 47 सभी लोगों की सद्भावनाओं का आनन्द लेते हुए वे प्रभु की स्तुति करते, और प्रतिदिन परमेश्वर, जिन्हें उद्धार मिल जाता, उन्हें उनके दल में और जोड़ देता।
दाऊद का एक पद।
1 यहोवा मेरा गडेरिया है।
जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।
2 हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है।
वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।
3 वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है।
वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है।
4 मैं मृत्यु की अंधेरी घाटी से गुजरते भी नहीं डरुँगा,
क्योंकि यहोवा तू मेरे साथ है।
तेरी छड़ी, तेरा दण्ड मुझको सुख देते हैं।
5 हे यहोवा, तूने मेरे शत्रुओं के समक्ष मेरी खाने की मेज सजाई है।
तूने मेरे शीश पर तेल उँडेला है।
मेरा कटोरा भरा है और छलक रहा है।
6 नेकी और करुणा मेरे शेष जीवन तक मेरे साथ रहेंगी।
मैं यहोवा के मन्दिर में बहुत बहुत समय तक बैठा रहूँगा।
19 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर के प्रति सचेत रहते हुए यातनाएँ सहता है और अन्याय झेलता है तो वह प्रशंसनीय है। 20 किन्तु यदि बुरे कर्मो के कारण तुम्हें पीटा जाता है और तुम उसे सहते हो तो इसमें प्रशंसा की क्या बात है। किन्तु यदि तुम्हें तुम्हारे अच्छे कामों के लिए सताया जाता है तो परमेश्वर के सामने वह प्रशंसा के योग्य है। 21 परमेश्वर ने तुम्हें इसलिए बुलाया है क्योंकि मसीह ने भी हमारे लिए दुःख उठाये हैं और ऐसा करके हमारे लिए एक उदाहरण छोड़ा है ताकि हम भी उसी के चरण चिन्हों पर चल सकें।
22 “उसने कोई पाप नहीं किया
और न ही उसके मुख से कोई छल की बात ही निकली।”(A)
23 जब वह अपमानित हुआ तब उसने किसी का अपमान नहीं किया, जब उसने दुःख झेले, उसने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि उस सच्चे न्याय करने वाले परमेश्वर के आगे अपने आपको अर्पित कर दिया। 24 उसने क्रूस पर अपनी देह में हमारे पापों को ओढ़ लिया। ताकि अपने पापों के प्रति हमारी मृत्यु हो जाये और जो कुछ नेक है उसके लिए हम जीयें। यह उसके उन घावों के कारण ही हुआ जिनसे तुम चंगे किये गये हो। 25 क्योंकि तुम भेड़ों के समान भटक रहे थे किन्तु अब तुम अपने गड़रिये और तुम्हारी आत्माओं के रखवाले के पास लौट आये हो।
चरवाहा और उसकी भेड़ें
10 यीशु ने कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो भेड़ों के बाड़े में द्वार से प्रवेश न करके बाड़ा फाँद कर दूसरे प्रकार से घुसता है, वह चोर है, लुटेरा है। 2 किन्तु जो दरवाजे से घुसता है, वही भेड़ों का चरवाहा है। 3 द्वारपाल उसके लिए द्वार खोलता है। और भेड़ें उसकी आवाज सुनती हैं। वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर पुकारता है और उन्हें बाड़े से बाहर ले जाता है। 4 जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल लेता है तो उनके आगे-आगे चलता है। और भेड़ें उसके पीछे-पीछे चलती हैं क्योंकि वे उसकी आवाज पहचानती हैं। 5 भेड़ें किसी अनजान का अनुसरण कभी नहीं करतीं। वे तो उससे दूर भागती हैं। क्योंकि वे उस अनजान की आवाज नहीं पहचानतीं।”
6 यीशु ने उन्हें यह दृष्टान्त दिया पर वे नहीं समझ पाये कि यीशु उन्हें क्या बता रहा है।
अच्छा चरवाहा-यीशु
7 इस पर यीशु ने उनसे फिर कहा, “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ, भेड़ों के लिये द्वार मैं हूँ। 8 वे सब जो मुझसे पहले आये थे, चोर और लुटेरे हैं। किन्तु भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी। 9 मैं द्वार हूँ। यदि कोई मुझमें से होकर प्रवेश करता है तो उसकी रक्षा होगी वह भीतर आयेगा और बाहर जा सकेगा और उसे चरागाह मिलेगी। 10 चोर केवल चोरी, हत्या और विनाश के लिये ही आता है। किन्तु मैं इसलिये आया हूँ कि लोग भरपूर जीवन पा सकें।
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