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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 121

मन्दिर का आरोहण गीत।

मैं ऊपर पर्वतों को देखता हूँ।
    किन्तु सचमुच मेरी सहायता कहाँ से आएगी
मुझको तो सहारा यहोवा से मिलेगा जो स्वर्ग
    और धरती का बनाने वाला है।
परमेश्वर तुझको गिरने नहीं देगा।
    तेरा बचानेवाला कभी भी नहीं सोएगा।
इस्राएल का रक्षक कभी भी ऊँघता नहीं है।
    यहोवा कभी सोता नहीं है।
यहोवा तेरा रक्षक है।
    यहोवा अपनी महाशक्ति से तुझको बचाता है।
दिन के समय सूरज तुझे हानि नहीं पहुँचा सकता।
    रात में चाँद तेरी हानि नहीं कर सकता।
यहोवा तुझे हर संकट से बचाएगा।
    यहोवा तेरी आत्मा की रक्षा करेगा।
आते और जाते हुए यहोवा तेरी रक्षा करेगा।
    यहोवा तेरी सदा सर्वदा रक्षा करेगा!

मीका 7:18-20

यहोवा की स्तुति

18 तेरे समान कोई परमेश्वर नहीं है।
    तू पापी जनों को क्षमा कर देता है।
    तू अपने बचे हुये लोगों के पापों को क्षमा करता है।
यहोवा सदा ही क्रोधित नहीं रहेगा,
    क्योंकि उसको दयालु ही रहना भाता है।
19 हे यहोवा, हमारे पापों को दूर करके फिर हमको सुख चैन देगा,
    हमारे पापों को तू दूर गहरे सागर में फेंक देगा।
20 याकूब के हेतु तू सच्चा होगा।
    इब्राहीम के हेतु तू दयालु होगा, तूने ऐसी ही प्रतिज्ञा बहुत पहले हमारे पूर्वजो के साथ की थी।

रोमियों 3:21-31

परमेश्वर मनुष्यों को धर्मी कैसे बनाता है

21 किन्तु अब वास्तव में मनुष्य के लिये यह दर्शाया गया है कि परमेश्वर व्यवस्था के बिना ही उसे अपने प्रति सही कैसे बनाता है। निश्चय ही व्यवस्था और नबियों ने इसकी साक्षी दी है। 22 सभी विश्वासियों के लिये यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता प्रकट की गयी है बिना किसी भेदभाव के। 23 क्योंकि सभी ने पाप किये है और सभी परमेश्वर की महिमा से रहित है। 24 किन्तु यीशु मसीह में सम्पन्न किए गए अनुग्रह के छुटकारे के द्वारा उसके अनुग्रह से वे एक सेंतमेत के उपहार के रूप में धर्मी ठहराये गये हैं। 25 परमेश्वर ने यीशु मसीह को, उसमें विश्वास के द्वारा पापों से छुटकारा दिलाने के लिये, लोगों को दिया। उसने यह काम यीशु मसीह के बलिदान के रूप में किया। ऐसा यह प्रमाणित करने के लिए किया गया कि परमेश्वर सहनशील है क्योंकि उसने पहले उन्हें उनके पापों का दण्ड दिये बिना छोड़ दिया था। 26 आज भी अपना न्याय दर्शाने के लिए कि वह न्यायपूर्ण है और न्यायकर्ता भी है, उनका जो यीशु मसीह में विश्वास रखते हैं।

27 तो फिर घमण्ड करना कहाँ रहा? वह तो समाप्त हो गया। भला कैसे? क्या उस विधि से जिसमें व्यवस्था जिन कर्मों की अपेक्षा करती है, उन्हें किया जाता है? नहीं, बल्कि उस विधि से जिसमें विश्वास समाया है। 28 कोई व्यक्ति व्यवस्था के कामों के अनुसार चल कर नहीं बल्कि विश्वास के द्वारा ही धर्मी बन सकता है। 29 या परमेश्वर क्या बस यहूदियों का है? क्या वह ग़ैर यहूदियों का नहीं है? हाँ वह ग़ैर यहूदियों का भी है। 30 क्योंकि परमेश्वर एक है। वही उनको जिनका उनके विश्वास के आधार पर ख़तना हुआ है, और उनको जिनका ख़तना नहीं हुआ है उसी विश्वास के द्वारा, धर्मी ठहरायेगा। 31 सो क्या, हम विश्वास के आधार पर व्यवस्था को व्यर्थ ठहरा रहे है? निश्चय ही नहीं। बल्कि हम तो व्यवस्था को और अधिक शक्तिशाली बना रहे हैं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International