Revised Common Lectionary (Complementary)
1 उन नये कामों के लिये जिन्हें यहोवा ने किया है नया गीत गाओ।
अरे ओ समूचे जगत यहोवा के लिये गीत गा।
2 यहोवा के लिये गाओ! उसके नाम को धन्य कहो!
उसके सुसमाचार को सुनाओ! उन अद्भुत बातों का बखान करो जिन्हें परमेश्वर ने किया है।
3 अन्य लोगों को बताओ कि परमेश्वर सचमुच ही अद्भुत है।
सब कहीं के लोगों में उन अद्भुत बातों का जिन्हें परमेश्वर करता है बखान करो।
4 यहोवा महान है और प्रशंसा योग्य है।
वह किसी भी अधिक “देवताओं” से डरने योग्य है।
5 अन्य जातियों के सभी “देवता” केवल मूर्तियाँ हैं,
किन्तु यहोवा ने आकाशों को बनाया।
6 उसके सम्मुख सुन्दर महिमा दीप्त है।
परमेश्वर के पवित्र मन्दिर सामर्थ्य और सौन्दर्य हैं।
7 अरे! ओ वंशों, और हे जातियों यहोवा के लिये महिमा
और प्रशंसा के गीत गाओ।
8 यहोवा के नाम के गुणगान करो।
अपनी भेटे उठाओ और मन्दिर में जाओ।
9 यहोवा का उसके भव्य, मन्दिर में उपासना करो।
अरे ओ पृथ्वी के मनुष्यों, यहोवा की उपासना करो।
23 कारीगरों ने पंख सहित दो करूब (स्वर्गदूतों) की मूर्तियाँ बनाईं। कारीगरों ने जैतून की लकड़ी से मूर्तियाँ बनाई। ये करूब (स्वर्गदूत) सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखे गये। हर एक स्वर्गदूत पन्द्रह फुट ऊँचा था। 24-26 वे दोनों करुब (स्वर्गदूत) एक ही माप के थे और एक ही शैली में बने थे। हर एक करूब (स्वर्गदूत) के दो पंख थे। हर एक पंख साढ़े सात फुट लम्बा था। एक पंख के सिरे से दूसरे पंख के सिरे तक पन्द्रह फुट था और हर एक करूब (स्वर्गदूत) पन्द्रह फुट ऊँचा था। 27 ये करूब (स्वर्गदूत) सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखे गए थे। वे एक दूसरे की बगल में खड़े थे। उनके पंख एक दूसरे को कमरे के मध्य में छूते थे। अन्य दो पंख हर एक बगल की दीवार को छूते थे। 28 दोनों करूब (स्वर्गदूत) सोने से मढ़े गए थे।
29 मुख्य कक्ष और भीतरी कक्ष के चारों ओर की दीवारों पर करूब (स्वर्गदूतों) ताड़ के वृक्षों और फूल के चित्र उकेरे गए थे। 30 दोनों कमरों की फर्श सोने से मढ़ी गई थी।
31 कारीगरों ने जैतून की लकड़ी के दो दरवाजे बनाये। उन्होंने उन दोनों दरवाजों को सर्वाधिक पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार में लगाया। दरवाजों के चारों ओर की चौखट पाँच पहलदार बनी थी। 32 उन्होंने दोनों दरवाजों को जैतून की लकड़ी का बनाया। कारीगरों ने दरवाजों पर करूब (स्वर्गदूतों), ताड़ के वृक्षों और फूलों के चित्रों को उकेरा। तब उन्होंने दरवाजों को सोने से मढ़ा।
33 उन्होंने मुख्य कक्ष में प्रवेश के लिये भी दरवाजे बनाये। उन्होंने एक वर्गाकार दरवाजे की चौखट बनाने के लिये जैतून की लकड़ी का उपयोग किया। 34 तब उन्होने दरवाजा बनाने के लिये चीड़ की लकड़ी का उपयोग किया। 35 वहाँ दो दरवाजे थे। हर एक दरवाजे के दो भाग थे, अत: दोनों दरवाजे मुड़कर बन्द होते थे। उन्होंने दरवाजों पर करूब (स्वर्गदूत) ताड़ के वृक्षों और फूलों के चित्रों को उकेरा। तब उन्होंने उन्हें सोने से मढ़ा।
36 तब उन्होंने भीतरी आँगन बनाया। उन्होंने इस आँगन के चारों ओर दीवारें बनाईं। हर एक दीवार कटे पत्थरों की तीन पँक्तियों और देवदारू की लकड़ी की एक पंक्ति से बनाई गई।
37 उन्होंने वर्ष के दूसरे महीने जिब माह में मन्दिर का निर्माण आरम्भ किया। इस्राएल के लोगों पर सुलैमान के शासन के चौथे वर्ष में यह हुआ। 38 मन्दिर का निर्माण वर्ष के आठवें महीने बूल माह मे पूरा हुआ। लोगों पर सुलैमान के शासन के ग्यारहवे वर्ष में यह हुआ था। मन्दिर के निर्माण में सात वर्ष लगे। मन्दिर ठीक उसी प्रकार बना था जैसा उसे बनाने की योजना थी।
परोपकारी परमेश्वर के मित्र होते हैं
11 इसलिए प्रभु से डरते हुए हम सत्य को ग्रहण करने के लिये लोगों को समझाते-बुझाते हैं। हमारे और परमेश्वर के बीच कोई पर्दा नहीं है। और मुझे आशा है कि तुम भी हमें पूरी तरह जानते हो। 12 हम तुम्हारे सामने फिर से अपनी कोई प्रशंसा नहीं कर रहे हैं। बल्कि तुम्हें एक अवसर दे रहे हैं कि तुम हम पर गर्व कर सको। ताकि, जो प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वस्तु पर गर्व करते हैं, न कि उस पर जो कुछ उनके मन में है, उन्हें उसका उत्तर मिल सके। 13 क्योंकि यदि हम दीवाने हैं तो परमेश्वर के लिये हैं और यदि सयाने हैं तो वह तुम्हारे लिये हैं। 14 हमारा नियन्ता तो मसीह का प्रेम है क्योंकि हमने अपने मन में यह धार लिया है कि वह एक व्यक्ति (मसीह) सब लोगों के लिये मरा। अतः सभी मर गये। 15 और वह सब लोगों के लिए मरा क्योंकि जो लोग जीवित हैं, वे अब आगे बस अपने ही लिये न जीते रहें, बल्कि उसके लिये जियें जो मरने के बाद फिर जीवित कर दिया गया।
16 परिणामस्वरूप अब से आगे हम किसी भी व्यक्ति को सांसारिक दृष्टि से न देखें यद्यपि एक समय हमने मसीह को भी सांसारिक दृष्टि से देखा था। कुछ भी हो, अब हम उसे उस प्रकार नहीं देखते। 17 इसलिए यदि कोई मसीह में स्थित है तो अब वह परमेश्वर की नयी सृष्टि का अंग है। पुरानी बातें जाती रही हैं। सब कुछ नया हो गया है
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