Revised Common Lectionary (Complementary)
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद पुकारा मैंने यहोवा को।
1 यहोवा को मैंने पुकारा। उसने मेरी सुनी।
उसने मेरे रुदन को सुन लिया।
2 यहोवा ने मुझे विनाश के गर्त से उबारा।
उसने मुझे दलदली गर्त से उठाया,
और उसने मुझे चट्टान पर बैठाया।
उसने ही मेरे कदमों को टिकाया।
3 यहोवा ने मेरे मुँह में एक नया गीत बसाया।
परमेश्वर का एक स्तुति गीत।
बहुतेरे लोग देखेंगे जो मेरे साथ घटा है।
और फिर परमेश्वर की आराधना करेंगे।
वे यहोवा का विश्वास करेंगे।
4 यदि कोई जन यहोवा के भरोसे रहता है, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा।
और यदि कोई जन मूर्तियों और मिथ्या देवों की शरण में नहीं जायेगा, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा।
5 हमारे परमेश्वर यहोवा, तूने बहुतेरे अद्भुत कर्म किये हैं।
हमारे लिये तेरे पास अद्भुत योजनाएँ हैं।
कोई मनुष्य नहीं जो उसे गिन सके!
मैं तेरे किये हुए कामों को बार बार बखानूँगा।
6 हे यहोवा, तूने मुझको यह समझाया है:
तू सचमुच कोई अन्नबलि और पशुबलि नहीं चाहता था।
कोई होमबलि और पापबलि तुझे नहीं चाहिए।
7 सो मैंने कहा, “देख मैं आ रहा हूँ!
पुस्तक में मेरे विषय में यही लिखा है।”
8 हे मेरे परमेश्वर, मैं वही करना चाहता हूँ जो तू चाहता है।
मैंने मन में तेरी शिक्षओं को बसा लिया।
25 “यदि किसी स्त्री को कई दिन तक रक्त स्राव रहता है जो उसके मासिकधर्म के समय नहीं होता, या निश्चित समय के बाद मासिकधर्म होता है तो वह उसी प्रकार अशुद्ध होगी जिस प्रकार मासिकधर्म के समय और तब तक अशुद्ध रहेगी जब तक रहेगा।
26 “पूरे रक्त स्राव के समय वह स्त्री जिस बिस्तर पर लेटेगी, वह वैसा ही होगा जैसा मासिकधर्म के समय। जिस किसी चीज़ पर वह स्त्री बैठेगी, वह वैसे ही अशुद्ध होगी जैसे वह मासिकधर्म से अशुद्ध होती है। 27 यदि कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूता है तो वह अशुद्ध होगा। इस व्यक्ति को बहते पानी से अपने कपड़े धोने चाहिए तथा नाहाना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 28 उसके बाद जब स्त्री अपने मासिकधर्म से अशुद्ध हो जाती है तब से उसे सात दिन गिनने चाहिए। इसके बाद वह शुद्ध होगी। 29 फिर आठवें दिन उसे दो फ़ाख्ते और दो कबूतर के बच्चे लेने चाहिए। उसे उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास लाना चाहिए। 30 तब याजक को एक पक्षी पापबलि के रूप में तथा दूसरे को होमबलि के रूप में चढ़ाना चाहिए। इस प्रकार वह याजक उसे यहोवा के सामने उसके स्राव से उत्पन्न अशुद्धि से शुद्ध करेगा।
31 “इसलिए तुम इस्राएल के लोगों को अशुद्ध होने और उनको अशुद्धि से दूर रहने के बारे में सावधान करना। यदि तुम लोगों को सावधान नहीं करते तो वे मेरे पवित्र तम्बू को अशुद्ध कर सकते हैं और तब उन्हें मरना होगा!”
22 परमेश्वर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “हारून और उसके पुत्रों से कहोः इस्राएल के लोग जो चीज़ें मुझे देंगे, वे पवित्र हो जाएंगी। वे मेरी हैं। इसलिए तुम याजकों को वे चीज़ें नहीं लेनी चाहिए। यदि तुम उन पवित्र चीज़ों का उपयोग करते हो तो तुम यह प्रकट करोगे कि तुम मेरे पवित्र नाम का सम्मान नहीं करते। मैं यहोवा हूँ। 3 यदि तुम्हारे सभी वंशजो में से कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह अशुद्ध हो जाएगा। वह व्यक्ति मुझसे अलग हो जाएगा। इस्राएल के लोगों ने वे चीजें मुझे दीं। मैं यहोवा हूँ!
4 “यदि हारून के किसी वंशज को बुरे चर्म रोगों में से कोई रोग हो या उससे कुछ रिस रहा हो तो वह तब तक पवित्र भोजन नहीं कर सकता जब तक वह शुद्ध न हो जाए। यह नियम किसी भी याजक के लिए है जो अशुद्ध हो। वह याजक किसी शव को छू कर या अपने वीर्य पात से अशुद्ध हो सकता है। 5 वह तब अशुद्ध हो सकता है जब वह किसी रेंगने वाले जानवर को छूए। वह तब अशुद्ध हो सकात है जब वह किसी अशुद्ध व्यक्ति को छूए। इसका कोई महत्व नहीं कि उस व्यक्ति को किस चीज़ ने अशुद्ध किया है। 6 यदि कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उस व्यक्ति को पवित्र भोजन में से कुछ भी नहीं खाना चाहिए। पानी डालकर नहाये बिना वह पवित्र भोजन नहीं कर सकता है। 7 वह सूरज के डूबने पर ही शुद्ध होगा। तभी वह पवित्र भोजन कर सकता है। क्यों? क्योंकि वह भोजन उसका है।
8 “यदि याजक को कोई ऐसा जानवर मिलता है जो स्वयं मर गया हो या किसी अन्य जानवर द्वारा मार दिया गया हो तो उसे मरे जानवर को नहीं खाना चाहिए। यदि वह व्यक्ति उस जानवर को खाता है तो वह अशुद्ध होगा। मैं यहोवा हूँ!
9 “याजक को मेरी सेवा के विशेष समय रखने होंगे। उन्हें उन दिनों सावधान रहना होगा। उन्हें इस बात के लिए सावधान रहना होगा कि वे पवित्र चीज़ों को अपवित्र न बनाएँ। यदि वे सावधान रहेंगे तो मरेंगे नहीं। मैं यहोवा ने उन्हें इस विशेष काम के लिए दूसरों से भिन्न किया है।
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं
14 अविश्वासियों के साथ बेमेल संगत मत करो क्योंकि नेकी और बुराई की भला कैसी समानता? या प्रकाश और अंधेरे में भला मित्रता कैसे हो सकती है? 15 ऐसे ही मसीह का शैतान से कैसा तालमेल? अथवा अविश्वासी के साथ विश्वासी का कैसा साझा? 16 परमेश्वर के मन्दिर का मूर्तियों से क्या नाता? क्योंकि हम स्वयं उस सजीव परमेश्वर के मन्दिर हैं, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था:
“मैं उनमें निवास करूँगा; चलूँ फिरूँगा,
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे जन बनेंगे।”(A)
17 “इसलिए तुम उनमें से बाहर आ जाओ,
उनसे अपने को अलग करो,
अब तुम कभी कुछ भी न छूओ जो अशुद्ध है
तब मैं तुमको अपनाऊँगा।”(B)
18 “और मैं तुम्हारा पिता बनूँगा,
तुम मेरे पुत्र और पुत्री होगे, सर्वशक्तिमान प्रभु यह कहता है।”(C)
7 हे प्रिय मित्रो, क्योंकि हमारे पास ये प्रतिज्ञाएँ हैं। इसलिये आओ, परमेश्वर के प्रति श्रद्धा के कारण हम अपनी पवित्रता को परिपूर्ण करते हुए अपने बाहरी और भीतरी सभी दोषों को धो डालें।
पौलुस का आनन्द
2 अपने मन में हमें स्थान दो। हमने किसी का भी कुछ बिगाड़ा नहीं है। हमने किसी को भी ठेस नहीं पहुँचाई है। हमने किसी के साथ छल नहीं किया है।
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