Revised Common Lectionary (Complementary)
6 हे परमेश्वर, तेरा सिंहासन अमर है!
तेरा धर्म राजदण्ड है।
7 तू नेकी से प्यार और बैर से द्वेष करता है।
सो परमेश्वर तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों के ऊपर
तुझे राजा चुना है।
8 तेरे वस्त्र महक रहे है जैसे गंध रास, अगर और तेज पात से मधुर गंध आ रही।
हाथी दाँत जड़ित राज महलों से तुझे आनन्दित करने को मधुर संगीत की झँकारे बिखरती हैं।
9 तेरी माहिलायें राजाओं की कन्याएँ है।
तेरी महारानी ओपीर के सोने से बने मुकुट पहने तेरे दाहिनी ओर विराजती हैं।
10 हे राजपुत्री, मेरी बात को सुन।
ध्यानपूर्वक सुन, तब तू मेरी बात को समझेगी।
तू अपने निज लोगों और अपने पिता के घराने को भूल जा।
11 राजा तेरे सौन्दर्य पर मोहित है।
यह तेरा नया स्वामी होगा।
तुझको इसका सम्मान करना है।
12 सूर नगर के लोग तेरे लिये उपहार लायेंगे।
और धनी मानी तुझसे मिलना चाहेंगे।
13 वह राजकन्या उस मूल्यवान रत्न सी है
जिसे सुन्दर मूल्यवान सुवर्ण में जड़ा गया हो।
14 उसे रमणीय वस्त्र धारण किये लाया गया है।
उसकी सखियों को भी जो उसके पिछे हैं राजा के सामने लाया गया।
15 वे यहाँ उल्लास में आयी हैं।
वे आनन्द में मगन होकर राजमहल में प्रवेश करेंगी।
16 राजा, तेरे बाद तेरे पुत्र शासक होंगे।
तू उन्हें समूचे धरती का राजा बनाएगा।
17 तेरे नाम का प्रचार युग युग तक करुँगा।
तू प्रसिद्ध होगा, तेरे यश गीतों को लोग सदा सर्वदा गाते रहेंगे।
यहोवा की ओर मुड़ना
14 हे इस्राएल, तेरा पतन हुआ और तूने परमेश्वार के विरूद्ध पाप किया। इसलिये अब तू अपने परमेश्वार यहोवा की ओर लौट आ। 2 जो बातें तुझे कहनी हैं, उनके बारे में सोच और यहोवा की ओर लौट आ। उससे कह,
“हमारे पापों को दूर कर
और उन अच्छी बातों को स्वीकार कर जिन्हें हम कर रहे हैं।
हम अपने मुख से तेरी स्तुति करेंगे।”
3 अश्शूर हमें बचा नहीं पायेगा।
हम घोड़ों पर सवारी नहीं करेंगे।
हम फिर अपने ही हाथों से बनाई हुई वस्तुओं को,
“अपना परमेश्वार” नहीं कहेंगे।
क्यों? क्योंकि बिना माँ—बाप के अनाथ बच्चों पर
दया दिखाने वाला बस तू ही है।
यहोवा इस्राएल को क्षमा करेगा
4 यहोवा कहता है, “उन्होंने मुझे त्याग दिया।
मैं उन्हें इसके लिये क्षमा कर दूँगा।
मैं उन्हें मुक्त भाव से प्रेम करुँगा।
मैं अब उन पर क्रोधित नहीं हूँ।
5 मैं इस्राएल के निमित्त ओस सा बनूँगा।
इस्राएल कुमुदिनी के फूल सा खिलेगा।
उसकी बढ़वार लबानोन के देवदार वृक्षों सी होगी।
6 उसकी शाखायें जैतून के पेड़ सी बढ़ेंगी
वह सुन्दर हो जायेगा।
वह उस सुगंध सा होगा जो
लबानोन के देवदार वृक्षों से आती है।
7 इस्राएल के लोग फिर से मेरे संरक्षण में रहेंगे।
उनकी बढ़वार अन्न की होगी,
वे अंगूर की बल से फलें—फूलेंगे।
वे ऐसे सर्वप्रिय होंगे जैसे लबनोन का दाखमधु है।”
इस्राएल को मूर्तियों के विषय में यहोवा की चेतावनी
8 “हे एप्रैम, मुझ यहोवा को इन मूर्तियों से कोई सरोकार नहीं है।
मैं ही ऐसा हूँ जो तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर देता हूँ और तुम्हारी रखवाली करता हूँ।
मैं हरे—भरे सनोवर के पेड़ सा हूँ।
तुम्हारे फल मुझसे ही आते हैं।”
अन्तिम सम्मति
9 ये बातें बुद्धिमान व्यक्ति को समझना चाहिये,
ये बातें किसी चतुर व्यक्ति को जाननी चाहियें।
यहोवा की राहें उचित है।
सज्जन उसी रीति से जीयेंगे;
और दुष्ट उन्हीं से मर जायेंगे।
बनावटी प्रेरित और पौलुस
11 काश, तुम मेरी थोड़ी सी मूर्खता सह लेते। हाँ, तुम उसे सह ही लो। 2 क्योंकि मैं तुम्हारे लिये ऐसी सजगता के साथ, जो परमेश्वर से मिलती है, सजग हूँ। मैंने तुम्हारी मसीह से सगाई करा दी है ताकि तुम्हें एक पवित्र कन्या के समान उसे अर्पित कर सकूँ। 3 किन्तु मैं डरता हूँ कि कहीं जैसे उस सर्प ने हव्वा को अपने कपट से भ्रष्ट कर दिया था, वैसे ही कहीं तुम्हारा मन भी उस एकनिष्ठ भक्ति और पवित्रता से, जो हमें मसीह के प्रति रखनी चाहिए, भटका न दिया जाये। 4 क्योंकि जब कोई तुम्हारे पास आकर जिस यीशु का उपदेश हमने तुम्हें दिया है, उसे छोड़ किसी दूसरे यीशु का तुम्हें उपदेश देता है, अथवा जो आत्मा तुमने ग्रहण की है, उससे अलग किसी और आत्मा को तुम ग्रहण करते हो अथवा छुटकारे के जिस संदेश को तुमने ग्रहण किया है, उससे भिन्न किसी दूसरे संदेश को भी ग्रहण करते हो।
5 तो तुम बहुत प्रसन्न होते हो। पर मैं अपने आप को तुम्हारे उन “बड़े प्रेरितों” से बिल्कुल भी छोटा नहीं मानता। 6 हो सकता है मेरी बोलने की शक्ति सीमित है किन्तु मेरा ज्ञान तो असीम है। इस बात को हमने सभी बातों में तुम्हें स्पष्ट रूप से दर्शाया है।
7 और फिर मैंने मुफ्त में सुसमाचार का उपदेश देकर तुम्हें ऊँचा उठाने के लिये अपने आप को झुकाते हुए, क्या कोई पाप किया है? 8 मैंने दूसरी कलीसियाओं से अपना पारिश्रमिक लेकर उन्हें लूटा है ताकि मैं तुम्हारी सेवा कर सकूँ। 9 और जब मैं तुम्हारे साथ था तब भी आवश्यकता पड़ने पर मैंने किसी पर बोझ नहीं डाला क्योंकि मकिदुनिया से आये भाईयों ने मेरी आवश्यकताएँ पूरी कर दी थीं। मैंने हर बात में अपने आप को तुम पर न बोझ बनने दिया है और न बनने दूँगा। 10 और क्योंकि मुझमें मसीह का सत्य निवास करता है, इसलिए अखाया के समूचे क्षेत्र में मुझे बढ़ चढ़कर बोलने से कोई नहीं रोक सकता। 11 भला क्यों? क्या इसलिए कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता? परमेश्वर जानता है, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
12 किन्तु जो मैं कर रहा हूँ उसे तो करता ही रहूँगा; ताकि उन तथाकथित प्रेरितों के गर्व को, जो गर्व करने का कोई ऐसा बहाना चाहते हैं जिससे वे भी उन कामों में हमारे बराबर समझे जा सकें जिनका उन्हें गर्व है; मैं उनके उस गर्व को समाप्त कर सकूँ। 13 ऐसे लोग नकली प्रेरित हैं। वे छली हैं, वे मसीह के प्रेरित होने का ढोंग करते हैं। 14 इसमें कोई अचरज नहीं है, क्योंकि शैतान भी तो परमेश्वर के दूत का रूप धारण कर लेता है। 15 इसलिए यदि उसके सेवक भी नेकी के सेवकों का सा रूप धर लें तो इसमें क्या बड़ी बात है? किन्तु अंत में उन्हें अपनी करनी के अनुसार फल तो मिलेगा ही।
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