Readings for Lent and Easter
ईसू क मसखरी
(मत्ती 26:67-68; मरकुस 14:65)
63 जउन मनइयन ईसू क धइ राखे रहेन उ पचे ओकर मसखरी अउर ओका ठोंकइ लागेन। 64 ओकरे आँखी प पट्टी बाँधि दिहन अउर ओसे इ कहत भए पूछइ लागेन, “भविस्सबाणी करा! उ कउन अहइ जउन तोहका मारेस!” 65 उ सबइ ओका बेज्जत करइ बरे ओसे अउर भी बातन कहेन।
ईसू यहूदी नेतन क समन्वा
(मत्ती 26:59-66; मरकुस 14:55-64; यूहन्ना 18:19-24)
66 जबहिं दिन भवा कि मुख्ययाजकन अउर धरम सास्तिरियन संग मनइयन क बुजुर्ग नेतन क एक सभा भइ। फिन उ पचे ओका आपन महासभा मँ लइ गएन। 67 उ सबइ पूछेन, “हमका बतावा का तू मसीह अहा?”
ईसू ओनसे कहेस, “जदि मइँ तोहसे कहउँ तउ तू मोर बिसवास नाहीं करब्या। 68 अउर जदि मइँ पूछउँ तउ तू जवाब नाहीं देब्या। 69 मुला अब स मनई क पूत सबन स सक्तीवाला परमेस्सर क दाहिन कइँती बइठाइ जाइ।”
70 उ पचे बोलेन, “तब तउ का तू परमेस्सर क पूत अहा?” उ कहेस, “हाँ, मइँ हउँ।”
71 फिन उ पचे कहेन, “अब हमका कउनो अउर प्रमाण क जरूरत नाहीं अहइ? हम पचे खुद एकरे आपन मुँहना स इ सुन तउ लिहा ह।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.