Readings for Lent and Easter
प्रेरितन क पराथना क हुकुम
(मत्ती 26:36-46; मरकुस 14:32-42)
39-40 फिन उ हुवाँ स उठिके रोज क तरह जैतून पर्वत प चला गवा। अउर ओकर चेलन भी ओकरे पाछे पाछे होइ गएन। उ जब उ ठउरे प पहुँचा तउ उ ओनसे कहेस, “पराथना करा कि तोहका परीच्छा मँ न पड़इ क होइ।”
41 फिन उ ओनसे पाथर फेंकई क तरह पूरी दूरी तक चला गवा। फिन उ घुटना क सहारे निहुरा अउर पराथना करइ लाग, 42 “हे परमपिता, अगर तोहार इच्छा होइ इ यातना क कटोरा मोहसे दूर हटावा मुला फिन भी नाहीं बल्कि तोहार इच्छा पूरा होई।” 43 तबहीं एक सरगदूत हुवाँ परगट भवा अउर ओका सक्ती देइ लाग। 44 ओहर ईसू ब्याकुल होइके बड़े आग्रह पूर्वक पराथना करइ लाग। ओकर पसीना लोहू क बूँदे क नाईं धरती पइ गिरत रहा। 45 अउर जब उ पराथना स उठिके आपन चेलन क लगे आवा तउ उ ओनका दुःखे मँ थकिके सोवत पावा। 46 तउ उ ओनसे कहेस, “तू पचे सोवत काहे अहा? उठा अउर पराथना करा कि तू कउनो परीच्छा मँ न पड़ा।”
ईसू क बंदी बनाउब
(मत्ती 26:47-56; मरकुस 14:43-50; यूहन्ना 18:3-11)
47 उ अबहीं बोलत ही रहा कि एक भीड़ जमा होइ गइ। यहूदा नाउँ क एक मनई जउन बारहु मँ स एक रहा, ओनकइ अगुवई करत रहा। उ ईसू क चुम्मा लेइ ओकरे लंगे आवा।
48 मुला ईसू ओनसे कहेस, “अरे यहूदा का तू एक चुम्मा स मनई क पूत क धोखा दइके पकड़वावइ जात अहा?” 49 जउन घटइ जात रहा, ओका लखिके ओकरे नगिचे क मनइयन कहेन, “पर्भू का हम पचे तरवारि क वार करी?” 50 अउर ओहमाँ स एक तउ महायाजक क नउकर प वारि कइके ओकर दाहिन कान काट डाएस।
51 मुला ईसू फउरन कहेस, “ओनका इ भी करइ द्या।” फिन ईसू ओकर कनवा छुइके चंगा किहेस।
52 फिन ईसू ओह प चढ़ाई करइ आएन मुख्ययाजकन, मन्दिर क सैनिकन अउर बुजुर्ग यहूदी नेतन स कहेस, “का तू तरवारि अउर लाठिन लइके कउनो डाकू क मुकाबला करइ निकरा अहा? 53 मन्दिर मँ मइँ हर दिन तोहरे ही संग रहेउँ, मुला तु मोह पइ हाथ नाहीं राख्या। मुला इ समइ तोहार अहइ-अँधियारे (पाप) क हुकुम क काल।”
पतरस क इन्कार
(मत्ती 26:57-58,69-75; मरकुस 14:53-54,66-72; यूहन्ना 18:12-18,25-27)
54 उ पचे ओका कैदी बनाइ लिहन अउर हुवाँ स लइ गएन। फिन उ सबइ ओका महायाजक क घर लइ गएन। पतरस कछू दूरी प ओकरे पाछे पाछे आवत रहा। 55 अँगने क बीच उ पचे आगी सुलगएन अउर एक साथे खाले बैठि गएन। पतरस भी हुवँई ओनही मँ बइठा रहा। 56 आगी क रोसनी मँ एक नउकरानी ओका हुवाँ बइठे लखेस। उ ओह पइ आँखी गड़ावत भइ कहेस, “इ मनई तउ ओकरे साथे भी रहा।”
57 मुला पतरस इन्कार करत भवा कहेस, “हे स्त्री, मइँ ओका नाहीं जानत हउँ।” 58 तनिक दरे पाछे एक ठु दूसर मनई ओका लखेस अउर कहेस, “तू भी ओनही मँ स एक अहइ।”
मुला पतरस बोला, “भल मनई, मइँ उ नाहीं हउँ।”
59 कउनो लगभग एक घड़ी बीत भइ होइ कि कउनो अउर भी जोर स कहइ लाग, “सचमुच ही इ मनई ओकरे संग भी रहा। काहेकि लखा उ गलील वासी भी अहइ।”
60 मुला पतरस बोला, “भल मनई, मइँ नाहीं जानता हउँ तू केकरे बारे मँ बतियात अहा!”
उहइ घड़ी, उ अबहीं बातन करत ही रहा कि एक ठु मुर्गा बाँग दिहस। 61 अउर पर्भू मुड़िके पतरस पइ आँखी गड़ाएस। तबहिं पतरस क पर्भू क उ वचन याद आवा जउन उ ओसे कहे रहा: “आजु मुर्गा क बाँग देइ स पहिले मोका तीन दाई मुकरि जाब्या।” 62 तब उ बाहेर चला गवा अउर फूटि फूटि को रोवइ लाग।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.