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Readings for Lent and Easter

Short readings from throughout the Bible that focus on the meaning and events of Easter.
Duration: 47 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
रोमियन 6:12-18

12 इही बरे तोहर नास होइवाला सरीरन क उप्पर पाप क बस न चलइ। ताकि तू उन चीजन का गुलाम न बना जेका तोहार पातकी अहम चाहत ह। 13 अपने सरीर क अंगन क अधर्म क सेवा क बरे पाप क हवाले न कर बल्कि मरा हुवन मँ स जी उठइवालन क समान परमेस्सर क हवाले कइ द्या। अउ अपने सरीर क अंगन क धार्मिकता क सेवा क साधन क रूप मँ परमेस्सर क हवाले कइ द्या। 14 तोह पे पाप क सासन न होइ काहेकि तू व्यवस्था क सहारे नाहीं जिअत अहा बल्कि परमेस्सर क अनुग्रह क सहारे जिअत अहा।

धार्मिकता क सेवक

15 तउ हम का करी? का हम पाप करी? काहेकि हम व्यवस्था क अधीन नाहीं, बल्कि परमेस्सर क अनुग्रह क अधीन जिअत अही। निस्चय ही नाहीं। 16 का तू नाहीं जानत अहा कि जब तू कीहीउ क आज्ञा मानइ क बरे अपने आप क दास क रूप मँ ओका सँउपि देत ह तउ तू दास अहा। उ मनई जेकर आज्ञा मानत अहा तोहार स्वामी अहइ! या परमेस्सर क आज्ञा भावा। पाप स आध्यात्मिक मउत होत ह। मुला परमेस्सर क हुकुम मानइ स नेकी कइँती लइ जात ह। फिन चाहे तू पाप क दास बना। 17 परन्तु पर्भू क धन्यवाद बा कि यद्यपि तू पाप क दास रह्या, तू अपने मन स ओन्हन उपदेसन क रीति क मान्या जउन तोहे सौंपा गवा रहेन। 18 तोहे पाप स छुटकारा मिलि गवा अउ तू धार्मिकता क सेवक बन गया।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.