Readings for Lent and Easter
4 मोर दुस्मन मोरे मूँड़े क बारे स भी जियादा अहइँ।
    उ सबइ मोहसे बेकार दुस्मनी रखत हीं।
    उ पचे मोरे विनास क बहोतइ जुगत करत हीं।
मोर दुस्मन मोरे बारे मँ झूठी बातन बनावत हीं।
    उ पचे मोका झूठइ ही चोर बताएन।
    अउर ओन चिजियन क भरपाई करइ क मोका मजबूर किहन, जेनका मइँ चोराए नाहीं रहेउँ।
5 हे परमेस्सर, तू तउ जानत अहा कि मइँ कछू अनुचित नाहीं किहेउँ।
    मइँ आपन पाप तोहसे नाहीं छुपाइ सकित।
6 हे मोर सुआमी, हे सर्वसक्तिमान यहोवा, तू आपन मनवइयन क मोरे कारण लज्जित जिन होइ द्या।
    हे इस्राएल क परमेस्सर, अइसे ओन लोगन क मोरे बरे असमंजस मँ मत डावा जउन तोहार उपासना करत हीं।
7 तोहार बरे मोर मुँह लज्जा स ढाँपि गवा।
    तोहार सेवा बरे मइँ इ लज्जा क जन्मेउँ ह।
8 मोरे ही भाई, मोरे संग यूँ ही बर्ताव करत हीं।
    जइसे बर्ताव कउनो अजनबी स करत होइँ।
    मोरे ही सगे भाई, मोका पराया समुझत हीं।
9 तोहरे मन्दिर क खातिर मोर गहरी लगन ही मोका जराइ डावत अहइ।
    उ पचे जउन तोहार मसखरी करत हीं उ मोह पइ आइ पड़ी बाटइ।
10 मइँ तउ गोहरावत हउँ अउर उपवास करत हउँ,
    एह बरे उ पचे मोर हँसी उड़ावत हीं।
11 मइँ आपन सोक दर्सावइ बरे मोटवार ओढ़नन क पहिरत हउँ,
    अउर लोग मोर मसखरी करत हीं।
12 उ पचे जनता क बीच सबइ चर्चा करत हीं,
    अउर पियक्कड़, मोर गीत रचा करत हीं।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.