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Proverbs Monthly

Read through the book of Proverbs every month of the year.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
नीतिवचन 7

विवेक दुराचार स बचावत ह

हे मोर पूत, मोरे बचनन क पाला अउ अपने मने मँ मोर आदेस संचित करा। जदि तू मोरे आदेसन क मानब्या तउ तू जियबा। तोहका मोहरे उपदेसन क आपन आँखी क पुतरी सरीखा सँभारिके राखइ चाही। ओनका आपन अँगुरियन पइ बाँधि ल्या, तू आपन हिरदय पटल पइ ओनका लिख ल्या। बुद्धि स कहा, “तू मोर बहिन अहा” अउर तू समुझबूझिके आपन कुटुम्बी जन कहा। उ सबइ हि तोहका बदकार मेहरारु क चिकनी व लुभावन बातन स बचाई।

एक दिना मइँ अपन खिड़की क झरोखा स झाँकेउँ, सरल नउजवानन क बीच एक अइसा नउजवान लखेउँ जेका नीक-बुरा क पहिचान नाहीं रहा। उ उहइ गली स होइके उहइ बदकार मेहरारु क नुक्कड़ क लगे स जात रहा। उ ओकरे ही घरवा कइँती बढ़त जात रहा। सूरज साँझ क धुँधल मँ बूड़त रहा, राति क अँधियारा क तहन जमत जात रहिन। 10 तबहिं एक मेहरारु ओहसे मिलइ बरे निकरिके बाहेर आइ। उ रण्डी क भेस मँ सजीभइ रही। अउर ओकरी इरादा बहोत प्रबल रही। 11 उ वाचाल अउर ओकर प्रबल इरादे क रही। उ घरे मँ कबहुँ ठहिरइ नाहीं चाहेस। 12 उ कबहुँ-कबहुँ गलियन मँ, कबहुँ चउराहन पइ, अउर हर केउ क नोक्कड़े पइ घात लगावत रही। 13 उ ओका रोक लिहस अउ ओका धरेस। उ ओका निर्लज्ज मुँहे स चूमेस, फुन ओहसे बोली, 14 “आजु मोका मेलबलि अर्पण किहा। मइँ आपन प्रतिग्या परमेस्सर बरे पूरी कइ लिहेउँ। 15 एह बरे मइँ तोहसे मिलइ अउर तोहका यह कहे बरे बाहेर आएहउँ कि आ अउर मोर दावत मँ सामिल होजा। मइँ तोहार तलास मँ रही अउर अंत मँ तोहका पाए लिहेउँ। 16 मइँ मिस्र क मलमले क रंगन स भरी भइ चादर स सेज सजाएउँ ह। 17 मइँ आपन सेज क गंधरस, दालचीनी अउर अगर गंध स सुगंधित किहेउँ ह। 18 तू मोरे लगे आवा। भोर क किरण तलक दाखरस पिअत रही, हम आपुस मँ भोग करत रही। 19 मोर पति घरे पइ नाहीं अहइँ। उ दूर जात्रा पइ गवा अहइ। 20 उ आपन थैली रूपाया स भरिके लइ गवा अहइ अउर पुन्नवासी तलक घरे पइ नाहीं होइ।”

21 उ ओका लुभावना सब्दन स मोह लिहस। ओका मीठ मधुरवाणी स फुसलाइ लिहस। 22 उ फउरन ओकरे पाछे अइसे होइ लिहस जइसे कउनो बर्धा क जबह करइ बरे ले जाया जात ह। उ अइस चलत ह जइसे कउनो मूरख जालि मँ गोड़ धरत होइ। 23 जब तलक एक तीर ओकर हिरदय नाहीं बेधी तब तलक उ पंछी सा जालि पइ बगैर इ जाने दूट पड़ी कि जालि ओकर प्राण हरि लेइ।

24 तउ मोरे पूतो, अब मोर बात सुना अउर जउन कछू मइँ कहत हउँ ओह पइ धियान द्या। 25 आपन मन कुलटा क राहन मँ जिन हींचइ द्या अउर ओका ओकरे राहन पइ जिन भटकइ द्या। 26 केतने ही सिकार उ मार गिराएन ह। उ जेनका मारेस ओनकर जमघट बहोत बड़ा बाटइ। 27 ओकर घर उ राजमार्ग अहइ जउन कब्र क जात ह अउर तरखाले मउते क कालकोठरी मँ उतरत ह।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.