Old/New Testament
इस्राएल की गिनती की जाती है
1 यहोवा ने मूसा से मिलापवाले तम्बू में बात की। यह सीनै मरुभूमि में हुई। यह बात इस्राएल के लोगों द्वारा मिस्र छोड़ने के बाद दूसरे वर्ष के दूसरे महीने के पहले दिन की थी। यहोवा ने मूसा से कहा: 2 “इस्राएल के सभी लोगों को गिनो। हर एक व्यक्ति की सूची उसके परिवार और उसके परिवार समूह के साथ बनाओ। 3 तुम तथा हारून इस्राएल के सभी पुरुषों को गिनोगे। उन पुरुषों को गिनो जो बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं। (ये वे हैं जो इस्राएल की सेना में सेवा करते हैं।) इनकी सूची इनके समुदाय[a] के आधार पर बनाओ। 4 हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति तुम्हारी सहायता करेगा। यह व्यक्ति अपने परिवार समूह का नेता होगा। 5 तुम्हारे साथ रहने और तुम्हारी सहायता करने वाले व्यक्तियों के नाम ये हैं:
रूबेन परिवार समूह से शदेऊर का पुत्र एलीसूर;
6 शिमोन परिवार समूह से—सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल;
7 यहूदा के परिवार समूह से—अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन;
8 इस्साकार के परिवार समूह से सूआर का पुत्र नतनेल;
9 जवूलून के परिवार समूह से—हेलोन का पुत्र एलीआब;
10 यूसुफ के वंश से,
एप्रैम के परिवार समूह से—अम्मीहूद का पुत्र एप्रैम;
मनश्शे के परिवार समूह से—पदासूर का पुत्र गम्लीऐल;
11 बिन्यामीन के परिवार समूह से—गिदोनी का पुत्र अबीदान;
12 दान के परिवार समूह से—अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर;
13 आशेर के परिवार समूह से—ओक्रान का पुत्र पगीएल;
14 गाद के परिवार समूह से दूएल[b] का पुत्र एल्यासाप;
15 नप्ताली के परिवार समूह से—एनाम का पुत्र अहीरा।”
16 ये सभी व्यक्ति अपने लोगों द्वारा अपने परिवार समूह के नेता चुने गए। ये लोग अपने परिवार समूह के नेता हैं। 17 मूसा और हारून ने इन व्यक्तियों (और इस्राएल के लोगों) को एक साथ लिया जो नेता होने के लिये आये थे। 18 मूसा और हारून ने इस्राएल के सभी लोगों को बुलाया। तब लोगों की सूची उनके परिवार और परिवार समूह के अनुसार बनी। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों की सूची बनी। 19 मूसा ने ठीक वैसा ही किया जैसा यहोवा का आदेश था। मूसा ने लोगों को तब गिना जब वे सीनै की मरुभूमि में थे।
20 रूबेन के परिवार समूह को गिना गया। (रूबेन इस्राएल का पहलौठा पुत्र था।) उन सभी पुरुषों की सूची बनी जो बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के थे और सेना में सेवा करने योग्य थे। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 21 रूबेन के परिवार समूह से गिने गए पुरुषों की संख्या छियालीस हजार पाँच सौ थी।
22 शिमोन के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 23 शिमोन के परिवार समूह को गिनने पर सारे पुरुषों की संख्या उनसठ हजार तीन सौ थी।
24 गाद के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 25 गाद के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या पैंतालीस हजार छः सौ पचास थी।
26 यहूदा के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 27 यहूदा के परिवार समूह को गिनने पर सारी संख्या चौहत्तर हजार छः सौ थी।
28 इस्साकार के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार समूह के साथ बनी। 29 इस्साकार के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या चौवन हजार चार सौ थी।
30 जबूलून के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 31 जबूलून के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या सत्तावन हजार चार सौ थी।
32 एप्रैम के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार समूह के साथ बनी। 33 एप्रैम के परिवार समूह को गिनने पर सारी संख्या चालीस हजार पाँच सौ थी।
34 मनश्शे के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार समूह के साथ बनी। 35 मनश्शे के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या बत्तीस हजार दो सौ थी।
36 बिन्यामीन के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 37 बिन्यामीन के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या पैंतीस हजार चार सौ थी।
38 दान के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 39 दान के परिवार समूह को गिनने पर सारी संख्या बासठ हजार सात सौ थी।
40 आशेर के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुषों के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 41 आशेर के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या एकतालीस हजार पाँच सौ थी।
42 नप्ताली के परिवार समूह को गिना गया। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य सभी पुरुष के नामों की सूची बनी। उनकी सूची उनके परिवार और उनके परिवार समूह के साथ बनी। 43 नप्ताली के परिवार समूह को गिनने पर पुरुषों की सारी संख्या तिरपन हजार चार सौ थी।
44 मूसा, हारून और इस्राएल के नेताओं ने इन सभी पुरुषों को गिना। वहाँ बारह नेता थे। (हर परिवार समूह से एक नेता था।) 45 इस्राएल का हर एक पुरुष जो बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र और सेना में सेवा करने योग्य था, गिना गया। इन पुरुषों की सूची उनके परिवार समूह के साथ बनी। 46 पुरुषों की सारी संख्या छः लाख तीन हजार पाँच सौ पचास थी।
47 लेवी के परिवार समूह से परिवारों की सूची इस्राएल के अन्य पुरुषों के साथ नहीं बनी। 48 यहोवा ने मूसा से कहा था: 49 “लेवी के परिवार समूह के पुरुषों को तुम्हें नहीं गिनना चाहिए। इस्राएल के अन्य पुरुषों के एक भाग के रुप में उनकी संख्या को मत जोड़ो। 50 लेवीवंश के पुरुषों से कहो कि वे साक्षीपत्र के पवित्र तम्बू के लिए उत्तरदायी हैं। वे उसकी और उसमें जो चीजें हैं, उनकी देखभाल करेंगे। वे मिलापवाले तम्बू और उसकी सभी चीजें लेकर चलेंगे। वे अपना डेरा उसके चारों ओर डालेंगे तथा उसकी देखभाल करेंगे। 51 जब कभी वह पवित्र तम्बू कहीं ले जाया जाएगा, तो लेवीवंश के पुरुषों को ही उसे उतारना होगा। जब कभी मिलापवाला तम्बू किसी स्थान पर लगाया जाएगा तो लेवीवंश के पुरुषों को ही यह करना होगा। वे ही ऐसे पुरुष हैं जो मिलापवाले तम्बू की देखभाल करते हैं। यदि कोई ऐसा अन्य पुरुष तम्बू के निकट आना चाहता है जो लेवी के परिवार समूह का नहीं है तो वह मार डाला जाएगा। 52 इस्राएल के लोग अपने डेरे अलग—अलग समूहों में लगाऐंगे। हर एक व्यक्ति को अपना डेरा अपने परिवार के झण्डे के पास लगाना चाहिए। 53 किन्तु लेवी के लोगों को अपना डेरा पवित्र तम्बू के चारों ओर डालना चाहिए। लेवीवंश के लोग साक्षीपत्र के पवित्र तम्बू की रक्षा करेंगे। वे पवित्र तम्बू की रक्षा करेंगे जिससे इस्राएल के लोगों का कुछ भी बुरा नहीं होगा।”
54 इसलिए इस्राएल के लोगों ने उन सभी बातों को माना जिसका आदेश यहोवा ने मूसा को दिया था।
डेरे की व्यवस्था
2 यहोवा ने मूसा और हारून से कहाः 2 “इस्राएल के लोगों को मिलापवाले तम्बू के चारों ओर अपने डेरे लगाने चाहिए। हर एक समुदाय का अपना विशेष झण्डा होगा और हर एक व्यक्ति को अपने समूह के झण्डे के पास अपना डेरा लगाना चाहिए।
3 “यहूदा के डेरे का झण्डा पूर्व में होगा, जहाँ सूरज निकलता है। यहुदा के लोग वहीं डेरा लगाएंगे। यहूदा के लोगों का नेता अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन है। 4 इस समूह में चौहत्तर हजार छः सौ पुरुष थे।
5 “इस्साकार का परिवार समूह यहूदा के लोगों के ठीक बाद में होगा। इस्साकार के लोगों का नेता सूआर का पुत्र नतनेल है। 6 इस समूह में चौवन हजार चार सौ पुरुष थे।
7 “जबूलून का परिवार समूह भी यहूदा के परिवार समूह से ठीक बाद में अपना डेरा लगाएगा। जबूलून के लोगों नेता हेलोन का पुत्र एलीआब है। 8 इस समूह में सत्तावन हजार चार सौ पुरुष थे।
9 “यहूदा के डेरे में एक लाख छियासी हजार चार सौ पुरुष थे। ये सभी अपने अलग अलग परिवार समूह में बंटे हुए हैं। यहूदा पहला समूह होगा जो उस समय आगे चलेगा जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे।
10 “रूबेन का झण्डा पवित्र तम्बू के दझिण में होगा। हर एक समूह अपने झण्डे के पास आपना डेरा लगाएगा। रूबेन के लोगों का नेता शदेऊर का पुत्र एलीसूर है। 11 इस समूह में छियालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।
12 “शिमोन का परिवार समूह रुबेन के परिवार समूह के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। शिमोन के लोगों का नेता सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल है। 13 इस समूह में उनसठ हजार तीन सौ पुरुष थे।
14 “गाद का परिवार समूह भी रूबेन के लोगों के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। गाद के लोगों का नेता रूएल का पुत्र एल्यासाप है। 15 इस समूह में पैंतालीस हजार चार सौ पचास पुरुष थे।
16 “रूबेन के डेरे में सभी समूहों के एक लाख इकयावन हजार चार सौ पचास पुरुष थे। रूबेन का डेरा दूसरा समूह होगा जो उस समय चलेगा जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे।
17 “जब लोग यात्रा करेंगे तो लेवी का डेरा ठीक उसके बाद चलेगा। मिलापवाला तम्बू दूसरे अन्य डेरों के बीच उनके साथ रहेगा। लोग अपने डेरे उसी क्रम में लगाएंगे जिस क्रम में वे चलेंगे। हर एक व्यक्ति अपने परिवार के झण्डे के साथ रहेगा।
18 “एप्रैम का झण्डा पश्चिम की ओर रहेगा। एप्रैम के परिवार के समूह वहीं डेरा लगाएंगे। एप्रैम के लोगों का नेता अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा है। 19 इस समूह में चालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।
20 “मनश्शे का परिवार समूह एप्रैम के परिवार के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। मनश्शे के लोगों का नेता पदासूर का पुत्र गम्लीएल है। 21 इस समूह में बत्तीस हजार दो सौ पुरुष थे।
22 “बिन्यामीन का परिवार समूह भी एप्रैम के परिवार के ठीक बाद अपन डेरा लगाएगा। बिन्यामीन के लोगों का नेता गिदोनी का पुत्र अबीदान है। 23 इस समूह में पैंतीस हजार चार सौ पुरुष थे।
24 “एप्रैम के डेरे में एक लाख आठ हजार एक सौ पुरुष थे। यह तीसरा परिवार होगा जो तब चलेगा जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे।
25 “दान के डेरे का झण्डा उत्तर की ओर होगा। दान के परिवार का समूह वहीं डेरा लगाएगा। दान के लोगों का नेता अम्मीशद्दै का पुत्र अहीऐजेर है। 26 इस समूह में बासठ हजार सात सौ पुरुष थे।
27 “आशेर का परिवार समूह दान के परिवार समुह के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। आशेर के लोगों का नेता ओक्रान का पुत्र पगीएल है। 28 इस समूह के एकतालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।
29 “नप्ताली का परिवार समूह भी दान के परिवार समूह के ठीक बाद अपने डेरे लगाएगा। नप्ताली के लोगों का नेता एनान का पुत्र अहीरा है। 30 इस समूह में तिरपन हजार चार सौ पुरुष थे।
31 “दान के डेरे में एक लाख सत्तावन हजार छः सौ पुरुष थे। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे तो यह चलने वाला आखिरी परिवार होगा। ये अपने झण्डे के नीचे अपना डेरा लगाएंगे।”
32 इस प्रकार ये इस्राएल के लोग थे। वे परिवार के अनुसार गिने गये थे। सभी डेरों में अलग—अलग समूहों के सभी परिवारों के पुरुषों की समूची संख्या थी छः लाख तीन हजार पाँच सौ पचास। 33 मूसा ने इस्राएल के अन्य लोगों में लेवीवंश के लोगों को नहीं गिना। यह यहोवा का आदेश था।
34 यहोवा ने मूसा को जो कुछ करने को कहा उस सबका पालन इस्राएल के लोगों ने किया। हर एक समूहों ने अपने झण्डों के नीचे अपने डेरे लगाए और हर एक व्यक्ति अपने परिवार और अपने परिवार समूह के साथ रहा।
सूखे हाथ वाले को चंगा करना
(मत्ती 12:9-14; लूका 6:6-11)
3 एक बार फिर यीशु यहूदी आराधनालय में गया। वहाँ एक व्यक्ति था जिसका एक हाथ सूख चुका था। 2 कुछ लोग घात लगाये थे कि वह उसे ठीक करता है कि नहीं, ताकि उन्हें उस पर दोष लगाने का कोई कारण मिल जाये। 3 यीशु ने सूखे हाथ वाले व्यक्ति से कहा, “लोगों के सामने खड़ा हो जा।”
4 और लोगों से पूछा, “सब्त के दिन किसी का भला करना उचित है या किसी को हानि पहुँचाना? किसी का जीवन बचाना ठीक है या किसी को मारना?” किन्तु वे सब चुप रहे।
5 फिर यीशु ने क्रोध में भर कर चारों ओर देखा और उनके मन की कठोरता से वह बहुत दुखी हुआ। फिर उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने हाथ बढ़ाया, उसका हाथ पहले जैसा ठीक हो गया। 6 तब फ़रीसी वहाँ से चले गये और हेरोदियों के साथ मिल कर यीशु के विरुद्ध षड़यन्त्र रचने लगे कि वे उसकी हत्या कैसे कर सकते हैं।
बहुतों का यीशु के पीछे हो लेना
7 यीशु अपने शिष्यों के साथ झील गलील पर चला गया। उसके पीछे एक बहुत बड़ी भीड़ भी हो ली जिसमें गलील, 8 यहूदिया, यरूशलेम, इदूमिया और यर्दन नदी के पार के तथा सूर और सैदा के लोग भी थे। लोगों की यह भीड़ उन कामों के बारे में सुनकर उसके पास आयी थी जिन्हें वह करता था।
9 भीड़ के कारण उसने अपने शिष्यों से कहा कि वे उसके लिये एक छोटी नाव तैयार रखें ताकि भीड़ उसे दबा न ले। 10 यीशु ने बहुत से लोगों को चंगा किया था इसलिये बहुत से वे लोग जो रोगी थे, उसे छूने के लिये भीड़ में ढकेलते रास्ता बनाते उमड़े चले आ रहे थे। 11 जब कभी दुष्टात्माएँ यीशु को देखतीं वे उसके सामने नीचे गिर पड़तीं और चिल्ला कर कहतीं “तू परमेश्वर का पुत्र है!” 12 किन्तु वह उन्हें चेतावनी देता कि वे सावधान रहें और इसका प्रचार न करें।
यीशु द्वारा अपने बारह प्रेरितों का चयन
(मत्ती 10:1-4; लूका 6:12-16)
13 फिर यीशु एक पहाड़ पर चला गया और उसने जिनको वह चाहता था, अपने पास बुलाया। वे उसके पास आये। 14 जिनमें से उसने बारह को चुना और उन्हें प्रेरित की पदवी दी। उसने उन्हें चुना ताकि वे उसके साथ रहें और वह उन्हें उपदेश प्रचार के लिये भेजे। 15 और वे दुष्टात्माओं को खदेड़ बाहर निकालने का अधिकार रखें। 16 इस प्रकार उसने बारह पुरुषों की नियुक्ति की। ये थे:
शमौन (जिसे उसने पतरस नाम दिया),
17 जब्दी का पुत्र याकूब और याकूब का भाई यूहन्ना (जिनका नाम उसने बूअनर्गिस रखा, जिसका अर्थ है “गर्जन का पुत्र”),
18 अंद्रियास,
फिलिप्पुस,
बरतुलमै,
मत्ती,
थोमा,
हलफई का पुत्र याकूब,
तद्दी
और शमौन जिलौती या कनानी
19 तथा यहूदा इस्करियोती (जिसने आगे चल कर यीशु को धोखे से पकड़वाया था)।
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