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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
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New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
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लूका 8:1-25

बीज बोवइया के पटं‍तर

(मत्ती 13:1-9; मरकुस 4:1-9)

एकर बाद यीसू ह सहर-सहर अऊ गांव-गंवई मन म जाके परमेसर के राज के सुघर संदेस के परचार करिस। ओकर बारह चेलामन ओकर संग रिहिन, अऊ कुछू माईलोगनमन घलो जऊन मन ला परेत आतमा अऊ बेमारीमन ले ठीक करे गे रिहिस, ओकर संग रिहिन। ओमन ए रिहिन: मरियम जऊन ला मगदलिनी कहे जावय – जेम ले सात ठन परेत आतमा निकारे गे रिहिस; हेरोदेस के घर के देख-रेख करइया खोजा के घरवाली – योअन्ना, सूसन्ना अऊ बहुंत आने माईलोगनमन। ए माईलोगनमन अपन साधन ले यीसू अऊ ओकर चेलामन के मदद करत रिहिन।

जब एक बड़े भीड़ ह जूरत रिहिस अऊ आने सहर ले मनखेमन यीसू करा आवत रिहिन, तब ओह ए पटं‍तर कहिस: “एक किसान ह अपन बीजा बोय बर गीस। जब ओह बोवत रिहिस, त कुछू बीजामन डहार के तीर म गिरिन; ओमन गोड़ खाल्‍हे कुचरे गीन, अऊ अकास के चिरईमन ओला खा डारिन। कुछू बीजामन पथर्री भुइयां ऊपर गिरिन अऊ ओमन जामिन, पर ओमन पानी के नमी नइं मिले के कारन सूख गीन। कुछू बीजामन कंटिली झाड़ीमन के बीच म गिरिन, अऊ ओ कंटिला पौधामन संगे-संग बढ़के ओमन ला दबा दीन। अऊ कुछू बीजामन बने भुइयां म गिरिन। ओमन बाढ़िन अऊ जतेक बोय गे रिहिस ओकर ले सौ गुना जादा फसल लाईन।”

ए कहे के बाद यीसू ह नरियाके कहिस, “जेकर सुने के कान हवय, ओह सुनय।”

ओकर चेलामन ओकर ले पुछिन, “ए पटं‍तर के का मतलब होथे?” 10 ओह कहिस, “तुमन ला परमेसर के राज के भेद के गियान दिये गे हवय, पर आने मन ले मेंह पटं‍तर म गोठियाथंव, ताकि,

‘देखत ले घलो, ओमन झन देख सकंय;
    अऊ सुनत ले घलो, ओमन झन समझ सकंय।’[a]

11 पटं‍तर के ए मतलब अय: बीजा ह परमेसर के बचन ए। 12 डहार के तीर म गिरे बीजा ह ओमन अंय, जऊन मन बचन ला सुनथें; पर सैतान ह आथे, अऊ ओमन के हिरदय ले बचन ला ले जाथे, ताकि ओमन बिसवास नइं कर सकंय अऊ ओमन के उद्धार नइं होवय। 13 पथर्री भुइयां के ऊपर गिरे बीजा ह ओमन अंय, जऊन मन बचन ला आनंद सहित गरहन करथें जब ओमन एला सुनथें, पर ओमन म जरी नइं रहय। ओमन कुछू समय बर बिसवास करथें, पर परखे जाय के समय म ओमन गिर जाथें। 14 ओ बीजा जऊन ह कंटिली झाड़ीमन के बीच म गिरिस, ओह ओमन अंय, जऊन मन बचन ला सुनथें, पर आघू चलके ओमन ए जिनगी के चिंता, धन अऊ भोग-बिलास म फंस जाथें, अऊ ओमन परिपक्व नइं होवंय। 15 पर ओ बीजा जऊन ह बने भुइयां म गिरिस, ओह ओमन अंय, जऊन मन बचन ला सुनथें, अऊ एला सच्‍चा अऊ बने हिरदय म रखथें, अऊ धीरता से फर लाथें।

दीया के पटं‍तर

(मरकुस 4:21-25)

16 कोनो मनखे दीया ला बारके ओला बड़े कटोरा म नइं ढांपय या खटिया के खाल्‍हे म नइं मढ़ाय। पर ओह दीया ला दीवट ऊपर रखथे, ताकि जऊन मन भीतर आवंय, ओमन अंजोर ला देखंय। 17 काबरकि कोनो घलो चीज छुपे नइं ए, जऊन ह परगट करे नइं जाही, अऊ कोनो घलो चीज गुपत म नइं ए, जेकर खुलासा करे नइं जाही। 18 एकरसेति, सचेत रहव कि तुमन कइसने सुनथव। जेकर करा हवय, ओला अऊ दिये जाही; अऊ जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओला घलो ले लिये जाही, जऊन ला ओह अपन समझथे।”

यीसू के दाई अऊ भाईमन

(मत्ती 12:46-50; मरकुस 3:31-35)

19 यीसू के दाई अऊ भाईमन ओला देखे बर आईन, पर भीड़ के मारे ओमन ओकर करा नइं जा सकिन। 20 एक झन यीसू ला कहिस, “तोर दाई अऊ भाईमन बाहिर ठाढ़े हवंय, अऊ तोला देखे बर चाहथें।”

21 यीसू ह ओ जम्मो झन ला कहिस, “मोर दाई अऊ भाई ओमन अंय, जऊन मन परमेसर के बचन ला सुनथें अऊ ओला मानथें।”

यीसू ह आंधी ला सांत करथे

(मत्ती 8:23-27; मरकुस 4:35-41)

22 एक दिन यीसू ह अपन चेलामन संग एक ठन डोंगा म चघिस अऊ ओमन ला कहिस, “आवव, झील के ओ पार चली।” तब ओमन डोंगा ला खोल दीन। 23 जब ओमन डोंगा ला खेवत रिहिन, त यीसू ह सुत भुलाईस। तब झील के ऊपर एक आंधी चलिस, अऊ डोंगा ह पानी ले भरे लगिस, अऊ ओमन बड़े जोखिम म पड़ गीन।

24 चेलामन यीसू करा गीन अऊ ओला ए कहिके उठाईन, “मालिक, मालिक, हमन पानी म बुड़इया हवन।”

यीसू ह उठिस, अऊ आंधी अऊ उफनत पानी ला दबकारिस। ओमन थम गीन अऊ जम्मो ह सांत हो गीस। 25 तब यीसू ह अपन चेलामन ले कहिस, “तुम्‍हर बिसवास ह कहां हवय?”

ओमन म डर हमा गे अऊ अचम्भो करके एक-दूसर ला कहिन, “एह कोन ए? एह आंधी अऊ पानी ला घलो हुकूम देथे अऊ ओमन एकर बात ला मानथें।”

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