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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
सभोपदेसक 1-3

इ सबइ दाऊद क पूत अउर यरूसलेम क राजा, उपदेसक क सब्द अहइँ।

उपदेसक क कहब अहइ कि हर चीज बेमतलब क अहइ अउर अकारथ अहइ। मतलब इ कि हर बात बियर्थ अहइ। इ जिन्नगी मँ लोग जउन कड़ी मेहनत करत हीं, ओहसे ओनका फुरइ का कउनो लाभ होत ह नाहीं।

वस्तुअन अपरिवर्तन सील अहइँ

एक पीढ़ी आवत ह अउर दूसर चली जात ह मुला संसार हमेसा अइसहिन बना रहत ह। सूरज उगत ह अउर फुन ढल जात ह अउर फुन सूरज हाली ही उहइ ठहर स उदय होइके जल्दी करत ह।

हवा दक्खिन दिसा कइँती बहत ह अउर हवा उत्तर कइँती बहइ लागत ह। हवा एक चक्र मँ घूमत रहत ह अउर फुन हवा जहाँ स चली रही वापस हुवँइ बहइ लागत ह।

सबहिं नदियन एक हीं जगह कइँती बार बार बहा करत ही। उ सबइ समुद्दर स आइके मिलत हीं, किन्तु फुन भी समुद्दर कबहुँ नाहीं भरत।

सबइ सब्दन कस्ट दायक अहइ; लोग ओहका पूरा-पूरा वर्णन नाहीं कइ सकतेन। हमेसा बोलत ही रहत हीं। सब्द हमरे काने मँ बार बार पड़त हीं मुला ओनसे हमार कान कबहुँ भी भरतेन नाहीं ह। हमार आँखिन भी, जउन कछू उ सबइ लखत हीं, ओहसे कबहुँ नाहीं अघातिन।

कछू भी नवा नाहीं बाटइ

सुरू स वस्तुअन जइसी रहिन वइसी ही बनी भई अहइँ। सब कछू वइसे ही होत रही, जइसे सदा स होत आवत अहइ। इ संसार मँ कछू भी नवा नाहीं अहइ।

10 कउनो मनई कहि सकत ह, “लखा, इ बात नई अहइ।” मुला उ बात तउ हमेसा स होत रही। उ तउ हमसे भी पहिले स होत रही।

11 उ सबइ बातन जउन पहिले घट चुकी अहइँ, ओनका लोग याद नाहीं करतेन अउर आगे भी लोग ओन बातन क याद नाहीं करिहीं जउन अब घटत अहइँ ओकरे बाद भी दूसर लोग ओन बातन क याद नाहीं रखिहीं जेनका ओनके पहिले क लोगन किहे रहेन।

12 मइँ उपदेसक, यरूलेम मँ इस्राएल क राजा भवा। 13 निहचय किहेउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू होत ह ओका बुद्धि क जरिए ढूँढउँ अउर जाँच पड़ताल करेउँ। इ एक दुःखद तरीका परमेस्सर मानव जाति क दिहेस ह ताकि उ नम्र होइ सकीं। 14 इ धरती पइ सबहिं वस्तुअन पइ मइँ निगाह डाएउँ अउर लखेउँ कि इ सब कछू बियर्थ अहइ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरब। 15 तू ओन बातन क बदल नाहीं सकत्या। जदि कउनो बात टेंढ़ अहइ तउ तू ओका सोझ नाहीं कइ सकत्या अउर अगर कउनो वस्तु क लेइ चाहत तउ तू ओका नाहीं गिन सकत।

16 मइँ अपने आप स कहेउँ, “मइँ बहोत बुद्धिमान अहउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन राजा लोग राज्ज किहेन ह, मइँ ओन सब स जियादा बुद्धिमान अहउँ। मइँ जानत हउँ कि असल मँ बुद्धि अउ गियान का अहइ।”

17 मइँ इ जानइ क निहचय किहेउँ कि मूर्खता स भरे चिन्तन स विवेक अउर गियान कउने तरह स स्रेस्ठ बाटइ। मुला मोका मालूम भवा कि विवेकी बनइ क प्रयास वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन। 18 काहेकि जियादा गियान क संग हतासा भी उपजत ह। उ मनई जउन जियादा गियान पाइ जात ह उ जियादा दुःख भी पाइ जात ह।

का “मनोविनोद” स सच्चा आनंद मिलत ह?

मइँ अपने मने मँ कहेउँ, “मोका मनोविनोद करइ चाही। मोका हर वस्तु क जेतना रस मइँ लइ सकउँ। ओतना लेइ चाहीं।” मुला मइँ जानेउँ कि इ भी बियर्थ अहइ। हर समइ हँसत रहब भी मूर्खता अहइ। आनन्द स का प्राप्त होत ह?

तउ मइँ निहचय किहेउँ कि मइँ आपन देह क दाखरस स भरि लेउँ जदपि मोर दिमाग मोका अबहिं गियान क राह देखावत रहा। मइँ इ मूर्खता स भरा आचरण किहेउँ, मइँ चाहत रहेउँ कि लोगन क बरे आपन जिन्नगी क थोड़ा स दिनन मँ का करब उत्तिम अहइ, एका हेर लेउँ।

का कड़ी मेहनत स फुरइ आनन्द मिलत ह?

फुन, मइँ बड़के बड़के काम करब सुरू किहेउँ। मइँ अपने बरे घर बनवाए। अउर अंगूरे क बाग लगवाएउँ। मइ बगियन लगवाएउँ अउर बाग बनवाएउँ। मइँ सबहिं तरह क फलन क बृच्छ लगवाएउँ। मइँ आपन बरे पानी क तालाब बनवाएउँ अउर फुन एन तालाबन क पानी क मइँ आपन बाढ़त बृच्छन क सींचइ क काम मँ लिआवइ लागेउँ। मइँ दास अउर दासियन खरीदेउँ अउर फुन मोरे घरे मँ पइदा भए दास भी रहेन। मइँ बड़की बड़की वस्तुअन क सुआमी बन गएउँ। मोरे लगे झुंड क झुंड पसु अउर भेड़न क ढेर रहेन। यरूसलेम मँ कउनो भी मनई क लगे जेतनी वस्तुअन रहिन, मोरे लगे ओसे भी जियादा रहिन।

मइँ आपन बरे चाँदी सोना भी जमा किहेउँ। मइँ राजा लोगन अउर ओनके देसन स भी खजानन क बटोरेउँ। मोरे लगे बहोत सी रंडियन रहिन।

मइँ बहोत धनवान अउर प्रसिद्ध होइ गएउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन भी कउनो रहत रहा, मइँ ओहसे जिआदा महान रहा तउ मोर बुद्धि मोर संग रही। 10 मइँ हर उ चीज जेका मइँ चाहत रहा प्राप्त किहेउँ। मउँ जउन कछू करत, मोर मन सदा ओसे खुस रहा करत अउर इ खुसी मोरे कठिन मेहनत क प्रतिफल रही।

11 मुला मइँ जउन कछू किहे रहेउँ जब ओह पइ निगाह डालेउँ अउर आपन कीन्ह गवा कठिन मेहनत क बारे मँ बिचार किहेउँ तउ मोका लाग इ सब अरथहीन अहइ। इ अइसा ही रहा जइसे हवा क धरब। सच-मुच मँ इ जिन्नगी मँ हम लोगन क सारे काम बरे संतोसजनक लाभ नाहीं अहइ।

होइ सकत ह एकर जवाब बुद्धि होइ

12 जेतना एक राजा कइ सकत ह, ओहसे जियादा कउनो भी मनई नाहीं कइ सकत। तू जउन भी कछू करइ चाह सकत ह, उ सब कछू कउनो राजा अब तलक कइ भी चुका होइ। मोरी समझ मँ आइ गवा कि एक राजा तलक जउन कामन क करत ह, उ सबइ सब भी बेकार अहइँ। तउ मइँ फुन बुद्धिमान बनइ, बेवकुफ बनइ अउर सनकीपन क कामन क करइ क बारे मँ सोचेब सुरू किहेउँ। 13 मइँ लखेउँ कि बुद्धि मूर्खता स उहइ प्रकार उत्तिम अहइ जउने तरह अँधियारा स प्रकास उत्तिम होत ह। 14 इ वइसे ही अहइ जइसे: एक बुद्धिमान मनई, उ कहाँ जात अहइ, ओका लखइ क आपन बुद्धि क प्रयोग, आपन आँखिन क तरह करत ह। किन्तु एक मूर्ख मनई उ मनई क समान अहइ जउन अँधियारा मँ चलत अहइ।

किन्तु मइँ इ लखेउँ कि मूरख अउर बुद्धिमान दुइनउँ क अंत एक ही तरह स होत ह। दुइनउँ ही आखिर मँ मउत क पावत हीं। 15 अपने मने मँ मइँ सोचेउँ, “कउनो मूरख मनई क संग जउन घटत ह उ मोर संग भी घटी तउ ऍतना बुद्धिमान बनइ बरे एतना कठिन मेहनत मइँ काहे किहेउँ?” आपन खुद स मइँ कहेउँ, “बुद्धिमान बनब भी बेकार अहइ।” 16 बुद्धिमान मनई अउर मूर्ख मनई दुइनउँ ही मरि जइहीं अउर लोग सदा बरे न तउ बुद्धिमान मनई का याद रखिहीं अउर नही कउनो मूरख मनई क। उ पचे जउन कछू किहे रहेन, लोग ओका जल्दी बिसराइ देइहीं। इ सही नाहीं अहइ कि बुद्धिमान मनई मूरख मनई क जइसा मरइ चाहीं।

का फुरइ आनन्द जिन्नगी मँ अहइ?

17 एकरे कारण मोका जिन्नगी स घिना हो गइ। इ विचार स मइँ बहोत दुःखी भएउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू बाटइ सब बेकार अहइ। बिल्कुल वइसे ही जइसे हवा क धरइ क कोसिस करब।

18 मइँ जउन कठिन मेहनत किहे रहेउँ, ओहसे घिना करब सुरू कइ दिहेउँ। मइँ लखेउँ कि उ सबइ लोग जउन मोरे पाछे जिअत रइहीं ओन चिजियन क लइ लेइहीं जेनके बरे मइँ कठिन मेहनत किहे रहेउँ। मइँ आपन ओन चिजियन क आपन संग नाहीं लइ जाइ सकब। 19 कउनो दूसर मनई इ संसार म जउन चिजियन बरे मइँ मन लगाइके कठिन मेहनत किहे रहउँ पइ नियंत्रण होइ। मइँ तउ इ भी नाहीं जानत कि उ मनई बुद्धिमान होइ या मूरख। पर इ सब भी तउ अर्थहीन ही अहइ।

20 एह बरे मइँ जउन भी कठिन परिस्रम किहे रहेउँ, उ सबइ क बारे मँ मइँ बहोत दुःखी भएउँ। 21 एक मनई आपन बुद्धि, आपन गियान अउर आपन चतुराई क प्रयोग करत भए कठिन मेहनत कइ सकत ह। मुला उ मनई तउ मरि जाइ अउर जिन चिजियन बरे उ मनई कठिन मेहनत किहे रहा, उ सबइ कउनो दूसर मनई क गिल जइहीं। ओन मनइयन ओन चिजियन बरे कउनो काम तउ नाहीं किहे रहा, मुला ओनका सबहिं कछू हाल होइ जाइ। एहसे मोका बहोत दुःख होत ह। इ निआव स पूर्ण तउ नाहीं अहइ।

22 आपन जिन्नगी मँ सारी मेहनत अउर सघंर्स क पाछे आखिर एक मनई क असल मँ का मिलत ह? 23 आपन सारी जिन्नगी उ कठिन मेहनत करत रहा मुला पीरा अउर निरासा क अलावा ओकरे हाथे कछू भी नाहीं लगा। राति क समइ भी मनई क मन आराम नाहीं पावत। इ सब भी अर्थहीन अहइ।

24-25 जिन्नगी क जेतना आनन्द मइँ लिहेउँ ह का कउनो भी अइसा मनई अउर अहइ जउन मोका जियादा जिन्नगी क आनन्द लेइ क जतन किहे होइ? नाहीं। मोका जउन गियान भवा ह उ इ अहइ: कउनो मनई जउन नीक स नीक कइ सकत ह उ अहइ खाब, पिअब अउर उ करम का आनन्द लेब जउन ओका करइ चाही। मइँ इ भी समझेउँ ह कि सब कछू परमेस्सर स मिलन ह। 26 जउन मनई क उ चाहत ओका उ बुद्धि अउर गियान अउर आनन्द देही। मुला जेका उ कस्ट देइ चाही ओका दुःख देब, उ आस्चर्यजनक वस्तुअन क जमा करब, उ सिरफ ओहका देब जेका परमेस्सर चाहत अहा। उ भी अरथहीन अहइँ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन करब।

एक ठु समय बाटइ…

हर बात एक उचित समय होत ह। अउर इ धरती पइ हर बात एक उचित समय पइ ही घटित होइ।

जन्म लेइ क एक उचित समय निहचित अहइ,
    अउर मउत क भी।
एक समय होत ह पेड़न क रोपइ क,
    अउर ओनका काटइ क।
मारइ क होत ह एक समय,
    अउर एक समय होत ह ओकरे उपचार का।
एक समय होत ह जब ढहाइ दीन्ह जात,
    अउर एक समय होत ह करइ क निर्माण।
एक समय होत ह रोवइ-विलपइ क,
    अउर एक समय होत ह करइ क अट्ठहास।
एक समय होत ह होइ क दुखे मँ मगन,
    अउर एक समय होत ह उल्लास भरे नाच क।
एक समय होत ह जब पाथर फेंका जात हीं,
    अउर एक समय होत ह ओनके एकत्र करइ क।
केहउँ क गले लागन क एक समय होत ह।
    अउर गले लगावइ स रुकइ क भी एक समय होत ह।
एक समय होत ह खोज क,
    अउर एक समय होत ह रूकए क।
एक समय होत ह वस्तुअन क धरइ क,
    अउर एक समय होत ह चिजियन क फेंकइ क।
होत ह एक समय ओढ़नन क फारइ क,
    फुन एक समय होत ह जब ओनका सिया जात ह।
एक समय होत ह साधइ क चुप्पी,
    अउर होत ह एक समय फुन बोल उठइ क।
एक समय होत ह पिआर क,
    अउर एक समय होत जब घिना कीन्ह जात ह।
एक समय होत ह करइ क लड़ाई,
    अउर होत ह एक समय सान्ति क।

परमेस्सर अपने संसार क नियन्त्रण करत ह

का कउनो मनई क आपन कठिन मेहनत स असल मँ कछू मिल पावत ह? 10 मइँ उ कठिन मेहनत लखेउँ ह जेका परमेस्सर हमका करइ क बरे दिहेस ह। 11 अपने संसार क बारे मँ सोचइ बरे परमेस्सर हमका छमता प्रदान किहेस ह। मुला परमेस्सर जउन करत ह, ओन बातन क पूरी तरह हम कबहुँ नाहीं समुझ सकित। फुन भी परमेस्सर हर एक चीज ठीक समय पइ करत ह।

12 मइ लखेउँ ह कि लोगन बरे सबसे उत्तिम बात इ अहइ कि उ पचे कोसिस करत रहइँ अउर जब तलक जिअत रहइँ आनन्द करत रहइँ। 13 अउर अगर एक मनई खाइ, पिअइ अउर इ सबइ करम क आनन्द लेत रहइ, तउ इ बातन परमेस्सर कइँती स मिला भवा उपहार अहइ।

14 मइँ जानत हउँ कि परमेस्सर जउन कछू भी घटित करत ह उ सदा घटी ही। लोग परमेस्सर क काम मँ कछू भी बृद्धि नाहीं कइ सकतेन अउर इहइ तरह लोग परमेस्सर क कामे मँ कछू घटत भी नाहीं कइ सकत हीं। परमेस्सर अइसा एह बरे किहस कि लोग ओकर आदर करइँ। 15 जउन अब होत अहइ पहिले भी होइ चुका अहइ। जउन कछू भविस्स मँ होइ उ पहिले भी भवा रहा। परमेस्सर घटनन क बार बार घटित करत रहत ह।

16 इ जिन्नगी मँ मइँ इ सबइ बातन लखेउँ ह। मइँ लखेउँ ह कि कचहरी जहाँ निआव अउर अच्छाइ होइ चाही, हुवाँ आजु बुराई भरि गइ अहइ। 17 एह बरे मइँ आपन मन स कहेउँ, “हर बात बरे परमेस्सर एक समय निहचित किहे अहइ। मनइयन जउन कछू करत हीं ओकर निआव करइ बरे भी परमेस्सर एक समय निहचित किहे अहइ। परमेस्सर नीक लोगन अउ बुरे लोगन क निआव करी।”

का मनई पसुअन जइसे अहइँ?

18 लोग एक दूसर बरे जउन कछू करत हीं ओनके बारे मँ मइँ सोचेउँ अउर आप स कहेउँ, “परमेस्सर चाहत ह कि लोग आपन खुद क उ रूपे मँ लखइँ जउने रूपे मँ उ पचे पसुअन क लखत हीं। 19 का एक मनई एक पसु स उत्तिम अहइ? नाहीं। काहे? काहेकि हर वस्तु नाकारा अहइ। मउत जइसे पसुअन क आवत ह उहइ तरह मनइयन क भी। मनई अउर पसु एक ही ‘साँस’ लेत हीं। का एक मरा भवा पसु एक मरे भए मनई स भिन्न होत ह? 20 मनइयन अउर पसुअन क तने क अंत एक ही तरह स होत ह। उ सबइ माटी स पइदा होत हीं अउर माटी मँ ही समाइ जात हीं। 21 कउन जानत ह कि मनई क आतिमा क का होत ह? का कउनो जानत ह कि एक मनई क आतिमा परमेस्सर क लगे जात ह? जबकि एक पसु क आतिमा खाले उतरिके धरती मँ जाइके समात ह।”

22 तउ मइँ इ लखेउँ कि मनई जउन सब स नीक बात कइ सकत ह उ इ अहइ कि उ आपन करम मँ आनन्द लेत रहइ। बस ओकरे लगे इहइ अहइ कि। कउनो मनई क भविस्स क चिन्ता भी नाहीं करइ चाही। काहेकि भविस्स मँ का होइ ओका लखइ मँ कउनो भी ओकर मदद नाहीं कइ सकत।

2 कुरिन्थियन 11:16-33

पौलुस की यातना

16 मइँ फिन दोहरावत अहउँ कि मोका केउ मूरख न समझइ। मुला अगर फिन स तू अइसेन समझत ह तउ मोका मूरख बनाइके ही मंजूर करा। तब मोका स्वीकार कइ ल्या अउ मोका कछू अधिकार द्या। ताकि मइँ कछू गरब कइ सकउँ। 17 अब इ मइँ कहत अहउँ, उ पर्भू क अनुसार नाहीं कहत ह, बल्कि एक मूरख क रूप मँ गरबपूर्वक बिसवास क साथे कहत हउँ। 18 काहेकि बहुत लोगन अपने संसारी जीवन पर गरब करत हीं। 19 फिन तउ मइँ गरब करब। अउर फिन तउ तू ऍतना समझदार अहा कि मूर्खन क बात खुसी क साथे सहि लेत ह। 20 काहेकि अगर केउ तोहका दास बनावइ, तोहका फँसाइ देत ह, धोखा देत ह अपने क तोहसे बड़ा बनवइ, अउर तोहरे मुँहे पर थप्पड़ मारई त तू ओका सहि लेत ह। 21 मइँ सरम क साथे कहत हउँ कि हम पचे बहुत कमजोर रहे।

अगर कउनउ मनई कउनो चीजन पे गरब करइ क साहस करत ह त ओइसन साहस मइँ भी करब। (मइँ मूर्खतापूर्वक कहत अही।) 22 इबरानी सबइ तउ नाहीं अहइँ। जदि उ पचे इस्राएली अहइँ, तउ उ मइँ भी अहउँ, जदि उ सबइ इब्राहीम क बंसज अहइँ, तउ उ मइँ भी हउँ। 23 मइँ अहउँ। इस्राएली उ सबइ तउ नाहीं अहइँ। मइँ ह भी। का उ पचे मसीह क सेवक अहइँ? (एक सनकी की नाहीं मइँ इ कहत ह अहउँ।) कि मइँ ओहसे बड़ा मसीह क सेवक अहउँ। मइँ बार बार जेल गवा हउँ। मोका बार बार मारा गवा बा। कई अवसरन पर मोका मऊत क सामना भवा बा।

24 पाँच बार मइँ यहूदियन स एक कम चालीस चालीस कोड़ा खाए हउँ। 25 मइँ तीन तीन बार लाठियन स पीटा गवा हउँ। एक्क बार तउ मोहे पर पत्थराऊँ कीन्ह गवा बा। तीन बार मोर जहाज बूड़ा। एक दिन अउर एक रात मइँ समुंदर क गहिरे पानी मँ बितावा। 26 मइँ भयानक नदियन, खूँखार डकइतन, खुद आपन लोगन, विधर्मियन, नगरन, गाँवन, समुद्रन अउर देखआवटी बन्धुवन क खतरे क बीचवा मँ कइयऊ यात्रा किहे हउँ।

27 मइँ कड़ा मेहनत कइके थकावट से चूर होइके जीव जिए हउँ। कई अवसरन पर मइँ सोइ तक नाहीं पाएउँ। भूखा अउर पियासा रहेउँ। अकसर मोका खाई तक क नाहीं मिला। बिना कपड़न क जाड़ा मँ ठिठूरत रहेउँ। 28 अउर अब अउर जियादा का कही? रोज मोरे ऊपर जिम्मेदारी का भार अहइ अउर मोहे पइ सब कलीसियावन की चिन्ता बनी रहत ह। 29 कीहीऊ का कमजोरी मोका सक्तिहीन नाहीं कई देत ह अउर केकर पापे मँ होब मोका बैचेन नाहीं बनाई डावत ह। लेकिन मइँ अन्दर से दुखी होइ जात हउँ यदि कउनो प्रलोभन मँ बहक जात ह।

30 अगर मोका बढ़-चढ़ क बात करई क बा तउ मइँ ओन्हन बातन क करब जउन हमरे कमजोरी क अहइँ। 31 परमेस्सर अउर पर्भू ईसू क परमपिता जउन हमेसा धन्य अहइँ, जानत हीं कि मइँ कबहुँ झूठ नाहीं बोलत हउँ। 32 जब मइँ दमिस्क मँ रहेउँ तउ राजा अरितास क राज्यपाल दमिस्क क चारों ओर पहरा बइठा दिहे रहा मोका बन्दी कई लेइक जतन किहे रहा। 33 मुला मोका नगर क चार दीवारी क छेद से टोकरी मँ बइठाइ क नीचे उतार दीन्हा गवा अउर मइँ ओकरे हाथ स बच निकलउँ।

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