Old/New Testament
1 यहोवा क बड़कई करा।
हे यहोवा क सेवको,
यहोवा क नाउँ क बड़कई करा।
2 तू लोग मन्दिर मँ खड़ा अहा।
यहोवा क नाउँ क बड़कई करा।
तू लोग मन्दिर क आँगन मँ खड़ा ह्वा।
ओकरे नाउँ क बड़कई करा।
3 यहोवा क बड़कई करा काहेकि उ खरा अहइ।
ओकरे नाउँ क गुण गावा काहेकि उ आन्नदायक अहइ।
4 यहोवा याकूब क चुने रहा।
इस्राएल परमेस्सर क अहइ।
5 मइँ जानत हउँ, यहोवा महान अहइ।
हमार सुआमी दूसर देवन स महान अहइ।
6 यहोवा जउन कछू चाहत ह सरग मँ, अउर धरती पइ,
समुद्दर मँ या गहिर महासागरन मँ, करत ह।
7 यहोवा धरती पइ सब कहूँ बादरन क रचत ह।
उ बिजुरी अउ बर्खा क रचत ह।
उ हवा क ओकर जगह स निकारत ह।
8 परमेस्सर मिस्र मँ मनइयन अउ गोरुअन क सबहिं पहिलउटी बच्चन क नास कइ दिहस।
9 यहोवा मिस्र मँ बहोत स अद्भुत अउर अचरज भरे कामन किहस।
उ फिरौन अउ ओकरे सब अधिकारियन क खिलाफ अद्भुत बातन क दिखाएस।
10 परमेस्सर बहोत स देसन क हराएस।
परमेस्सर बलवान राजा लोगन क मारेस।
11 यहोवा एमोरियन क राजा सीहोन क हराइ दिहस।
उ बासान क राजा ओग क हराएस।
उ कनान क सारी राज्जन क हराएस।
12 यहोवा ओनका ओनकर धरती क अधिकार क रूप मँ दिहेस, उ इस्राएल क स्थाई रूप स लेइ बरे दिहेस।
13 हे यहोवा, तू सदा बरे प्रसिद्ध होब्या।
हे यहोवा, लोग तोहका सदा सर्वदा याद करत रइहीं।
14 काहेकि यहोवा आपन लोगन बरे निआव लावत ह
अउर उ आपन सेवकन प तरस खात ह।
15 दूसर रास्ट्रन क लोग बस सोना अउर चाँदी क देवता बनावत रहेन।
ओनकर देवता मात्र लोगन क जरिये बनाए भए पुतलन रहेन।
16 पुतलन क मुँइ अहइँ, पर बोल नाहीं सकतेन।
पुतलन क आँखी अहइँ, पर लखि नाहीं सकतेन।
17 पुतलन क कान अहइँ, पर ओनका सुनाई नाहीं देत।
पुतलन क नाक अहइँ, पर उ पचे साँस नाहीं लेइ सकतेन।
18 उ सबइ लोग जउन ऍन पुतलन क बनाएन, ओन पुतलन क समान होइ जइहीं।
काहेकि उ सबइ लोग ओन पइ बिस्सास किहेन ह।
19 इस्राएल क संतानन, यहोवा क बड़कई करा।
हारून क संतानन, यहोवा क बड़कई करा।
20 हे लेवी क संतानन, यहोवा क बड़कई करा।
तू जउन यहोवा क सम्मान दिहा, यहोवा क बड़कई करा।
21 यहोवा यरूसलेम मँ बास करत ह,
सिय्योन स ओकर स्तुति होइ।
1 यहोवा क बड़कई करा, काहेकि उ उत्तिम अहइ।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
2 देवतन क परमेस्सर क बड़कई करा।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
3 पर्भुअन क पर्भू क बड़कई करा।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
4 परमेस्सर क गुण गावा।
बस उहइ एक अहइ, जउन बहोत अद्भुत करम करत ह।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
5 ओकर बड़कई करा, जउन आपन बुद्धि स आकास क रचेस ह।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
6 परमेस्सर सागर क बीच मँ झुरान धरती क कायम किहस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
7 परमेस्सर महान ज्योतियन क रचेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
8 परमेस्सर सूरज क दिन पइ हुकूमत करइ बरे बनाएस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
9 परमेस्सर चाँद तारन क बनाएस कि उ पचे रात पइ हुकूमत करइँ।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
10 उ मिस्र मँ पहिलउठी मनइयन अउर जनावरन क मारेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
11 परमेस्सर इस्राएल क मिस्र स बाहेर लइ आवा।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा बना रहत ह।
12 परमेस्सर आपन सामरथ अउ आपन महासक्ती क परगट किहेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
13 परमेस्सर लाल सागर क दुइ हींसा मँ फाड़ेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
14 परमेस्सर इस्राएल क सागर क बीच स पार उतारेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
15 परमेस्सर फिरौन अउ ओकर फउज क लाल सागर मँ बोरि दिहस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
16 परमेस्सर आपन निज भगतन क रेगिस्तान मँ राह देखाँएस।
ओकरे बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
17 परमेस्सर बलवान राजा क हराएस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
18 उ सदृढ़ राजा लोगन क मारेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
19 परमेस्सर एमोरियन क राजा सीहोन क मारेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
20 परमेस्सर बासान क राजा ओग क मारेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
21 उ आपन भुइँया क मीरास क रूप मँ दइ दिहस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
22 उ उ भुइँया क आपन सेवक इस्राएल क अधिकार क रूप मँ दिहस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
23 उ हमका याद राखेस, जब हम लोगन क हरा दीन्ह गवा रहेन।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
24 उ हमका हमरे दुस्मनन स मुक्त किहेस।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
25 परमेस्सर हर एक क खइया क देत ह।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
26 सरग क परमेस्सर क गुण गावा।
ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही बना रहत ह।
पवित्तर आतिमा क बरदान
12 भाइयो तथा बहिनियो, अब मइँ चाहत हउँ कि तू आतिमा क बरदान क बारे मँ जाना। 2 तू जानत अहा कि जब तू विधर्मी रह्या तब तोहे गूगी जड़ मूर्तियन कइँती जइसेन भटकावा जात रहा, तू वइसेन ही भटकत रह्य। 3 तउन मइँ तोहे बतावत हउँ कि परमेस्सर क आतिमा क बोलइ वाला कउनउ इ नाही कहत, “ईसू क स्राप लगइ” अउर पवित्तर आतिमा क बगैर मदद द्वारा कहइवालन क न केउ इ कहि सकई, “ईसू पर्भू अहइ।”
4 हर एक क आतिमा क अलग-अलग बरदान मिला बा। मुला ओनका देइवाली आतिमा तउ एक्कइ बा। 5 सेवा कइउ तरह क निस्चित कीन्ह गइ बाटिन मुला हम सब जेकर सेवा करत अही उ पर्भू तउ एक ही अहइ। 6 काम-काज बहुत स बतावा गवा बाटेन मुला सबहिं क बीच सब कामन क करइवाला उ परमेस्सर तउ एक ही अहइ।
7 सब कउनो मँ आतिमा केउ न केउ रूपे मँ परगट होत ह जउन हर एक क भलाइ क बरे होत ह। 8 कउनो क आतिमा क जरिये परमेस्सर क गियान स युक्त भइ बोलइ क योग्यता दीन्ह गइ बा। तउ केउ क उही आतिमा क जरिये दिव्य गियान क प्रबचन क योग्यता। 9 अउर केउ क उही आतिमा द्वारा बिसवास क बरदान दीहा गवा बा तउ केउ क चंगा करइ क छमता ऊही आतिमा क जरिये दीन्ह गइ बा। 10 अउर केउ दुसरे मनई क अद्भुत कारजन करइ क सक्ती दीन्ह गइ बा तउ केउ दूसरे क परमेस्सर कइँती स बोलइ क सामर्थ्य दीन्ह गवा बा। अउर केउ क मिली बा भली बुरी आतिमा क अन्तर क पहिचानइ क सक्ती कउनो क अलग-अलग भाखा बोलइ क सक्ती मिली भइ बा: तउ केउ क भाखा क बियाखिया कईके ओकर मतलब निकालइ क सक्ती। 11 मुला इ उहई एक आतिमा बा जउन जेह-जेह क जइसेन-जइसेन ठीक समझत ह, देत भए इन सब बातन क पूरा कइ सकत ह।
मसीह क देह
12 जइसेन हममें स हर एक क सरीर तउ एक्कइ बा, पर ओहमाँ अंग कइयउ बाटेन। अउर यद्यपि अंगन क कइयउ रहत भए ओनसे देह एकइ बनत ह वइसेन ही मसीह अहइ। 13 काहेकि चाहे हम यहूदी रहा अही, चाहे गैर यहूदी, सेवक होइ य स्वतन्त्र एकइ सरीर क विभिन्न अंग बनी जाइ क बरे हम सब क एकइ आतिमा द्वारा बपतिस्मा दीन्ह गवा अउर पियास बुझावइ क हम सब क एकइ आतिमा दीन्ह गइ बा।
14 अब देखा, मनई सरीर कउनो एक अंग स ही तउ बना नाहीं होत, बल्कि ओहमाँ बहुत स अंग होत हीं। 15 अगर गोड़ कहई, “काहेकि मइँ हाथ नाहीं हउँ, इही बरे मोर सरीर स कउनउ सम्बन्ध नाहीं।” तउ इही बरे क उ सरीर क अंग न रही। 16 इही तरह अगर कान कहइ, “काहेकि मइँ आँख नाहीं हउँ, एह बरे मइँ सरीर क नाहीं हउँ।” तउ का इही कारण स उ सरीर क अंग न रही? 17 अगर एक आँख ही सब सरीर होत तउ सुना कहाँ स जात? अगर कान ही सब सरीर होत तउ सूँघा कहाँ स जात? 18 मुला परमेस्सर जइसा ठीक समझेस उ सही मँ सरीर मँ वइसेन ही स्थान दिहेस। 19 तउ सरीर क सब अंग एक जइसा ही होइ जात तउ सरीर ही कहाँ होत। 20 मुला स्थिति इ बा कि अंग त कइयउ होत हीं मुला सरीर एक्कइ रहत ह।
21 आँख हाथे स इ नाहीं कहि सकत, “मोका तोहार जरूरत नाहीं बाटइ!” या अइसे ही सिर, गोड़न स इ नाहीं कहि सकत, “हमका तोहार जरूरत नाहीं!” 22 एकरे बिलकूल उल्टा सरीर क अंगन क हम कमजोर समझित ह, उ सबइ बहुत जरूरी होत हीं। 23 अउर सरीर क जउने अंगन क हम कम आदरणीय समझित ह, ओनकर हम जियादा धियान रखित ह। अउर हमार गुप्त अगं अउर जियादा सालीनता पाइ लेत हीं। 24 जब कि हमरे प्रदर्सनीय अंगन क एह तरह क उपचार क जरूरत नाहीं होत। मुला परमेस्सर तउ हमरे सरीर क रचना एह ढंग स किहेस ह जेहसे ओन अंगन क जउन कम सुन्दर बा अउर जियादा आदर मिलइ। 25 ताकि देहे मँ कहूँ कउनउ फूट न पड़इ बल्कि देहे क अंग परस्पर एक दुसरे क समान रूप स धियान रखइँ। 26 अगर सरीर क कउनउ एक अंग दुख पावत ह तउ ओकरे साथे सरीर क अउर सभन अंग दुखी होत हीं। अगर कउनउ एक अंग क मान बढ़वत ह त ओकर खुसी मँ सभन अगं हिस्सा बटाव थीं।
27 एह तरह तू सभन लोग मसीह क देह अहा अउर अलग-अलग रूप मँ ओकर अंग अहा। 28 ऍतना ही नाहीं परमेस्सर तउ कलीसिया मँ पहिले प्रेरितन क, दूसरे नबियन क, तीसरे उपदेसकन क फिन अद्भुत कारजन करइ वालन क, चंगा करइ क सक्ती स युक्त मनइयन क, फिन ओनकर जउन दुसरन क सहायता करत हीं, स्थापित किहे अहइ, फिन अगुवाई करइवालन क अउर फिन ओन्हन लोगन क जउन विभिन्न भाखा बोल सकत हीं। 29 का इ सब लोग प्रेरित अहइँ? का इ सब लोग नबी अहइँ? का इ सब लोग उपदेसक अहइँ? का इ सब लोग अचरज काम करत हीं? 30 का इ सब लोगन क लगे चंगा करइ क सक्ती बाटइ? का इ सब लोग दूसर भाखा बोलत हीं? 31 हाँ, मुला आतिमा क अउर बड़ा बरदान पावइ क बरे यत्न करत रहा। अउर इ सबन क बरे अच्छा रस्ता तू पचन क अब मइँ देखउब।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.