Old/New Testament
मन्दिर क आरोहण गीत।
1 हे यहोवा, जइसे दाऊद यातना भोगे रहा, ओका याद करा।
2 मुला दाऊद यहोवा स एक सपथ लिहेस।
दाऊद याकूब क सक्तिसाली परमेस्सर क एक मन्नत माने रहा।
3 दाऊद कहे रहा: “मइँ आपन घरे मँ तब तलक न जाब,
आपन बिछउना पइ न ही ओलरब, न ही सोउब।
4 मइँ आपन आँखिन क नाहीं सोवइ देब।
अउर आपन पलकन क बन्द नाहीं होइ देब।
5 एहमाँ स मइँ कउनो बात भी नाहीं करब जब तलक मइँ यहोवा बरे एक घर न प्राप्त कइ लेउँ।
मइँ याकूब क सक्तिसाली परमेस्सर बरे एक ठु मन्दिर पाइ क रहब।”
6 एप्राता मँ हम दाऊद क वचन क बारे मँ सुनेउँ।
हमका किरीयथ योरीम क वन मँ करार क सन्दूख मिली रही।
7 आवा, पवित्तर तम्बू मँ चला।
आवा, ओकरे सिंहासन क समन्वा आराधना करी।
8 हे यहोवा, आपन आराम क जगह स उठा,
अउ करार क सन्दूख संग होआ जहाँ तू सक्ति क संग सासन करत ह।
9 हे यहोवा, तोहार याजक धरम क भावना क धारण किया करी।
तोहर बिस्सासी भगतन बहोत खुस रहीं।
10 तू आपन चुने भए राजा क आपन सेवक दाऊद क भले बरे
जिन अस्वीकार करा।
11 यहोवा दाऊद क एक वचन दिहेस ह जेका उ कबहुँ नाहीं तोड़िही।
उ वचन दिहस ह कि दाऊद क बंस स राजा अइहीं।
12 यहोवा कहे रहा, “अगर तोहार संतानन मोर करार पइ अउर मइँ ओनका जउन सिच्छन सिखाइन ओन पइ चलिहीं
तउ फुन तोहरे परिवार क कउनो न कउनो सदा ही राजा रही।”
13 आपन मन्दिर क जगह बरे यहोवा सिय्योन क चुने रहा।
इ उ जगह अहइ जेका उ आपन भवन बरे चाहत रहा।
14 यहोवा कहे रहा, “इ मोर जगह सदा-सदा बरे होइ।
मइँ एका आपन जगह पइ रहइ बरे चुनेउँ ह।”
15 भरपूर भोजन स मइँ इ सहर क आसीर्बाद देब,
हिआँ तलक कि गरीब लोगन क लगे खाइ क भरपूर होइ।
16 ओकरे याजकन क उद्धार क मइँ ओढ़ना पहिराउब।
मोर भगत बहोत खुस होइहीं।
17 इ जगह पइ मइँ हिआँ दाऊद क परिवार क सुदृढ करब।
मइँ आपन चुने भए राजा क एक दीपक स्थापित करब।
18 मइँ दाऊद क दुस्मनन क लज्जा स ढाँपि देब।
अउर दाऊद क राज्ज क चमकाउब।
दाऊद क आरोहण गीत।
1 इ फुरइ नीक अउ सुखदायी अहइ
जब भाइयन आपुस मँ मिलिजुलिके रहइँ।
2 इ वइसे महकउआ तेल जइसा होत ह जेका हारून क मूँड़ी पइ उड़ेरा गवा रहा।
इ, उ तेल जइसा होत ह जउन हारून क दाढ़ी क पइ बहत होइ।
इ, उ तेल जइसा होत ह जउन हारून क खास ओढ़नन पइ बहत रहा।
3 इ उ कोमल बर्खा क बूँदन क समान अहइ जउन हेर्मोन क पहाड़ी स आवति हीं अउ सिय्योन क पहाड़ पइ गिरत हीं,
काहेकि हुवँइ यहोवा आपन अनन्तकालीन जिन्नगी क आसीस दिहे रहा।
आरोहण क गीत।
1 यहोवा क बड़कई करा, ओकरे सब सेवको,
जउन सारी राति मन्दिर मँ सेवा किह्या।
2 हे सेवको, पवित्तर ठउर मँ आपन हाथन उठावा
अउर यहोवा क बड़कई करा।
3 यहोवा तोहका सिय्योन स आसीस देइ।
यहोवा सरग अउ धरती रचेस ह।
पर्भू क भोज
17 अब इ आदेस देत हउँ मइँ तोहार प्रसंसा नाहीं करत हउँ काहेकि तोहर आपस मँ मिलब तोहार भला करइ क बजाय तोहे हानि पहुँचावत बा। 18 सबसे पहिले इ कि मइँ सुने हउँ कि तू लोग सभा मँ जब परस्पर मिलत ह्या त तोहरे बीच मतभेद रहत ह। कछू अंस तक मइँ एह पर बिसवास करत हउँ। 19 (आखिरकार तोहरे बीच मतभेद भी होइहीं। जेहसे कि तोहरे बीच मँ जउन अच्छा ठहरावा गवा बा, उ सामने आइ जाइ।)
20 तउन जब तू आपस मँ इकट्ठा होत ह तउ सचमुच पर्भू क भोज पावइ क बरे नाहीं एकट्ठा होत्या, 21 मुला जब तू भोज ग्रहण करत ह त तोहमाँ स हर केऊॅ आगे बढ़ि क अपनेन ही खाना पर टूट पड़त ह। अउर बस केउ मनई तउ भूखइ ही चला जात ह, जब कि कउनउ मनई बहुत जियादा खाइ-पी क मस्त होइ जात ह। 22 का तोहरे लगे खाइ-पीअइ क बरे आपन घर नाहीं बा। अउर एह तरह तू परमेस्सर क कलीसिया क अनादर नाहीं करत अहा? अउर जउन दीन अहइँ ओनकर तिरस्कार करइ क चेस्टा नाहीं करतेन? मइँ तोहसे का कहीं? एकरे बरे का मइँ तोहर प्रसंसा करउँ। एह बिसय मँ तोहार प्रसंसा न करब।
23 काहेकि जउन सीख मइँ तोहे सबन क दिहे हउँ, उ हमका पर्भू स मिली रही। पर्भू ईसू त ओह रात, जब ओका मरवाइ डालइ क बरे पकड़वावा ग रहा, उ एक ठु रोटी लिहेस, 24 अउर धन्यबाद देइ क बाद, उ ओका तोड़ेस अउर कहेस, “इ मोर देह अहइ, जउन तोहरे बरे बा। मोका याद करइ क बरे तू अइसेन ही किहा करा।” 25 उ भोजन कइ चुकइ क बाद इही तरह उ कटोरा उठाएस अउर कहेस, “इ कटोरा मोरे लहू क जरिये कीन्ह गवा एक नवा करार अहइ। जब कभउँ तू एका पिआय तबहिं मोका याद करइ क बरे अइसेन करा।” 26 काहेकि जेतॅनी बार उ तू ऍह रोटी क खात ह अउर एह कटोरा क पिअत ह, ओतॅनी बार जब तलक उ आइ नाहीं जात, तू पर्भू क मउत क प्रचार करत रहा।
27 अत: जब केउ पर्भू क रोटी या पर्भू क कटोरा क अनुचित रूप स खात-पिअत ह, उ पर्भू क देह अउर ओकर लहू क बरे अपराधी होइ। 28 मनई क चाहे कि उ पहिले अपने क परखइ अउर तब इ रोटी क खाई अउर इ कटोरा क पिअइ। 29 काहेकि पर्भू क देह क मतलब समझे बिना जउन एह रोटी क खात ह अउर एह कटोरा क पिअत ह, उ एह तरह खाइ-पीके अपने उप्पर सजा क बोलावत ह। 30 इही बरे तउ तोहमाँ स बहुत लोग कमजोर अहइँ बीमार अहइँ अउर बहुत स त चिरनिद्रा मँ सोइ ग अहइँ। 31 मुला अगर हम अपने आप क अच्छे तरह स परख लिहे होइत हमका पर्भू क सजा न भोगइ पड़ी। 32 पर्भू हमका अनुसासित करइ क बरे सजा देत थ। ताकि हमका संसार क साथे दण्डित न कीन्ह जाइ।
33 एह बरे कि हे मोर भाइयो तथा बहिनियो, जब भोजन करइ त एकट्ठा होत ह तउ परस्पर एक दूसरे क इन्तजार करा। 34 अगर सहीयउ मँ कउनो क बहुत भूख लगी होइ तउ ओका घरे पर खाइ लेइ चाही ताकि तोहार एकत्र होइ तोहरे बरे दण्ड क कारण न बनइ। अउर, दूसर बातन क जब मइँ अउबइ तबइ सुलझाउब।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.